केवट ने कराई गंगा पार,भरत मिलाप की लीला का मंचन


कैराना। नगर की गौशाला भवन  में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है श्री रामलीला महोत्सव के आयोजन के नौवें दिन श्री रामलीला महोत्सव का शुभारंभ डीके कॉन्वेंट स्कूल कैराना के चेयरमैन श्री राजकुमार सैनी जी ने किया इसके उपरांत सर्वप्रथम दर्शय दिखाई गई कि भगवान राम लक्ष्मण सीता अपने राज्य के मंत्री सुमंत और प्रजा के साथ वन गमन के दौरान तमसा नदी पर पहुंचते हैं और सभी प्रजा वासियों को रात्रि में विश्राम करने के लिए बोलते हैं जब सभी प्रजावासी सो जाते हैं तो श्री रामचंद्र जी अपने मंत्री सुमंत को आज्ञा देते हैं

कि आप इन सभी प्रजा वासियों को यही सोने दो और आगे वनों की ओर निकल पड़ो मंत्री सुमंत काफी समझाता है परंतु भगवान राम कहते हैं कि वनवास मुझे हुआ है वह प्रजा वासियों को नहीं जिस पर रामचंद्र जी लक्ष्मण जी और सीता जी अपने मंत्री सुमंत के साथ वनों की ओर बढ़ जाते हैं तब उन्हें रास्ते में जंगलों के राजा निसाचराज गोह अपनी सेना के साथ मिलते हैं तब गोह उन्हें बताते हैं कि आप चित्रकूट पर जाकर आराम से वन गमन कर सकते हैं इसी दौरान भगवान राम अपने मंत्री सुमंत को भी वापस भेज देते हैं उसके बाद चित्रकूट पर्वत पर जाने के लिए भगवान रामचंद्र जी लक्ष्मण जी और सीता जी गंगा जी के किनारे जाते हैं

और वहां मौजूद भगवान राम के परम भक्त केवट से अपने नाव में बैठाकर गंगा पार कराने का निवेदन करते हैं जिस पर केवट कहता है कि आप नारायण का अवतार हैं आपके पैर के स्पर्श मात्र से पत्थर से भी नारी बन जाती है यदि आपको गंगा पार करनी है तो आपको अपने पैरों को धुलवाना पड़ेगा जिस पर केवट जी रामचंद्र जी के पैर धोते हैं और गंगा पार कराते हैं उसी दौरान गंगा जी अपने उफान पर बहती है तो सीता जी गंगा मैया से प्रार्थना करती हैं जिस पर गंगा मैया प्रकट होकर सीता जी को आशीर्वाद देती हैं और अपना उग्र रूप शांत कर लेती हैं जिस पर भगवान रामचंद्र जी गंगा पार कर चित्रकूट पहुंच जाते हैं जब सुमंत जी अयोध्या में वापस पहुंचते हैं तो वहां पर महाराजा दशरथ अपनी रानियों के साथ अपने महल में राम के वियोग में तड़प रहे होते हैं और उन्हें याद आता है कि एक बार उन्होंने जंगली जानवर समझ कर श्रवण कुमार को तीर मारा था जिससे सरवन कुमार की मृत्यु हो गई थी और सरवन कुमार के माता पिता ने दशरथ को मरते समय श्राप दिया था कि हे दशरथ जिस प्रकार पुत्र वियोग में हम तड़प रहे हैं उसी प्रकार तुम भी पुत्र वियोग में तड़फ कर अपने प्राण त्याग दोगे जब सुमंत महाराजा दशरथ के पास जाता है तो महाराजा दशरथ को सारा वृत्तांत बताता है उसी दौरान महाराजा दशरथ अपने प्राण त्याग देते हैं

इसकी सूचना भेजने के लिए गुरु वशिष्ठ दूत को आज्ञा देते हैं कि आपके कईपुर चले जाओ जहां पर भरत जी और शत्रुघ्न जी अपने ननिहाल में गए हुए हैं दूत भरत जी और शत्रुघ्न जी को साथ लेकर आता है जब भरत जी और शत्रुघ्न जी को पता लगता है कि केकई माता ने रामचंद्र जी को 14 वर्ष का वनवास और भरत को राज तिलक का वरदान मांगा है जिस कारण उन्हें केकईपुर से बुलाया गया है उस वरदान का अनुपालन करने के लिए रामचंद्र जी लक्ष्मण जी और सीता जी वन गमन के लिए चले गए हैं और महाराजा दशरथ ने पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर अपने प्राण त्याग देते हैं तो वह बेहद हताश होते हैं और शत्रुघ्न जी केकई की दासी मंथरा को लात मारते हैं भरत जी तभी वशिष्ट जी से आज्ञा पाकर रामचंद्र जी से मिलने की इच्छा जाहिर करते हैं और तीनों माताओं के साथ गुरु वशिष्ठ मंत्री सुमंत और शत्रुघ्न जी के साथ चित्रकूट की ओर प्रस्थान कर देते हैं रास्ते में निषाद राज राजा गोह उन्हें मिलता है और तीनों को चित्रकूट पर्वत पर ले जाता है जहां पर भरत जी का रामचंद्र जी से मिलाप होता है भरत जी रामचंद्र जी से बहुत प्रार्थना करते हैं

कि आप अपनी प्रतिज्ञा त्याग कर अयोध्या वापस लौट चलो परंतु भगवान राम उनकी नहीं सुनते हैं और बोलते हैं कि मुझे माता पिता का वचन निभाना है तुम अयोध्या के राजा बनकर अयोध्या वासियों की सेवा करो जब भगवान राम को पता लगता है कि पिताजी का स्वर्गवास हो गया है तो रामचंद्र जी लक्ष्मण जी और सीता जी मन ही मन बहुत उदास होते हैं वही जब भगवान राम अयोध्या वापस जाने को नहीं मानते हैं तो भरत जी उन से निवेदन करते हैं कि 14 वर्ष से यदि तुमने 1 दिन भी ऊपर किया तो भरत को जिंदा नहीं पाओगे और साथ ही भगवान राम से प्रार्थना करते हैं कि आप मुझे अपनी खड़ाऊ दे दीजिए जिन्हें

राजगद्दी पर रख कर मैं प्रजावासियों की सेवा करूंगा और जब आप अयोध्या वापस आओगे तो अयोध्या के अगले राजा का राजतिलक आपको ही होगा इस दौरान रामचंद्र जी का अभिनय सतीश प्रजापत लक्ष्मण जी का अभिनय राकेश प्रजापत सीता जी का अभिनय शिवम गोयल गोह का अभिनय अमन गोयल दशरथ का अभिनय प्रमोद गोयल केवट का अभिनय राकेश गर्ग संजू वर्मा मोहनलाल आर्य पंकज सिंघल वाशु गर्ग सुमंत का अभिनय ऋषिपाल शेरवाल माताओं का अभिनय सोनू कश्यप सनी हर्ष बंसल भरत का अभिनय चरण सिंह कश्यप शत्रुघ्न का अभिनय पियूष गर्ग गुरु वशिष्ठा  का अभिनय ऋषभ कुशल धीरू ने किया वही भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई इस दौरान सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारी पुलिस बल तैनात रहा वही कार्यक्रम के दौरान कलाकारों को उत्साहवर्धन करने के लिए स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने उपहार भेंट किए इस दौरान मुख्य रूप से राकेश वर्मा विरेंद्र वशिष्ठ डॉ राम कुमार गुप्ता अभिषेक गोयल अरविंद मित्तल पुनीत गोयल सोनू नेता विजय नारायण तायल पदम् सेन नामदेव सुनील कुमार टिल्लू आयुष गर्ग जयपाल कश्यप पवन सैनी धीरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे l

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