पेट्रोल, डीजल के दामो भारी वृद्धि, मोदी सरकार की जनता को लूटने का अर्थशास्त्र को समझने की जरूरत!------उपेंद्र चौधरी

 भारतीय किसान मजदूर सेना के अध्यक्ष व कुंडू खाप के बाबा उपेंद्र चौधरी द्वारा डीजल पेट्रोल के दामों में भारी वृद्धि के अर्थशास्त्र को समझाने का लेख द्वारा किया प्रयास,


लोक सभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित जवाब उत्तर में राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमारी सरकार को तेल कम्पनियों को आयल ब्रांड की भरपाई के लिए 2•62 लाख करोड़ रुपये देने है ।विश्वसनीय स्रोत से उपलब्ध आंकड़े बताते है कि पिछले सात सालों में मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में मनमाने तरीके से बढ़ाकर करीब 22 लाख करोड़ रुपये इकट्ठा किया है,जबकि अब तक केवल 3500 करोड़ रुपये के आयल  बॉण्ड का भुगतान किया है । सरकारी आंकडे बताते कि केवल 2020-21 में मोदी सरकार की यह कमाई 3 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा हुई है।

केवल इस कमाई से ही वह सभी आयल बॉण्ड का ब्याज सहित भुगतान कर सकती है। लेकिन मोदी सरकार ऐसा नही करेगी, क्योंकि उसे तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो रही वृद्धि के लिए मनमोहन सरकार को जिम्मेदार ठहराना है। वैसे विश्व के अधिकांश देश की सरकारें अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल के दामों वृद्धि के कारण अपने देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि करते है । हमारे देश की मोदी सरकार भी इसी का हवाला देकर पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ाती रही है । लेकिन तथ्य यह है कि मोदी सरकार के शासन काल में अतंरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम काफी घटे है ।2020-21 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम प्रति बैरल 44•82 डाॅलर रहा है

, जबकि मनमोहन सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह 50 से 127 डाॅलर के बीच रहा था । 2008 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 161 डाॅलर तक बढ़ गई थी, लेकिन उस अवधि में भी पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 44 से 80 के बीच रही थी,लेकिन मोदी सरकार के काय॔काल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत कम होने पर भी,आज पेट्रोल और डीजल के दाम 100 रूपये प्रति लीटर से अधिक कर दिये है। इस तरह मोदी सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में वृद्धि का तर्क देना सिर्फ देश की जनता को बेवकूफ बनाना है?  मोदी सरकार के काय॔काल में पेट्रोल, डीजल व शराब पर करों की दरों को बढ़ाकर अच्छी कमाई की जा रही है। मार्च 2021 में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में अपने लिखित बयान में बताया था कि बीते 6 सालों में पेट्रोल, डीजल से होने वाली केंद्र सरकार की कमाई में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है । 2014 में पेट्रोल व डीजल पर एक्साइज ड्यूटी प्रति लीटर क्रमशः 9,48 रूपये और 3,56 रूपये थी,जिसे आज बढ़ाकर 32 रूपये से अधिक कर दी गई है ।पिछली 4 मई 2021 से पेट्रोल के दाम में 35 बार और डीजल के दाम में 33 बार वृद्धि की गई है । हाल में 5 जुलाई को भी पेट्रोल के दाम में 35 पैसे की वृद्धि की गई है।

पेट्रोल व डीजल के दामों में एक और कारण इनके ऊपर लगे सरकारी नियंत्रण को हटाना है । सबसे पहले मनमोहन सरकार ने जून 2010 में पेट्रोल की कीमतों पर नियंत्रण खत्म कर दिया था । इसके बाद तेल कम्पनियाँ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में वृद्धि का बहाना बनाकर पेट्रोल के दाम मनमाने ढंग से बढ़ाने लगीं । फिर 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो इसने अक्टूबर 2014 में डीजल के दाम पर लगे सरकारी नियंत्रण को हटा लिया। शुरू में हर तीन महीने में तेल कम्पनियों को पेट्रोल व डीजल के दामों में वृद्धि का अधिकार प्राप्त था ।

लेकिन 5 जून 2017 को 'डायनामिक फ्यूल प्राइस सिस्टम' को लागू करके मोदी सरकार ने तेल कम्पनियों को पेट्रोल और डीजल के दामों में प्रतिदिन सुबह 6 बजे वृद्धि करने का अधिकार दे दिया।  इस छूट का इस्तेमाल करते हुए तेल कम्पनियाँ आम उपभोक्ता से मनमाना रकम वसूल कर मालामाल हो रही हैं। यही कारण है कि सरकारी तेल कम्पनियों ने पिछ्ले एक साल में 12 लाख करोड़ रूपये का कारोबार किया है,जिसमें उन्हे 68000 हजार करोड़ रूपये का फायदा हुआ है । जहाँ तक निजी तेल कम्पनियों के फायदे की बात है,उसका तो कोई मूल्यांकन भी नही हो पाया है

कि उनको कितने करोड़ का फायदा हुआ है । मोदी सरकार एवं भाजपा का आईटी सेल के प्रधान, मनमोहन सरकार पर आरोप लगाते है कि उसने आम जनता के कंधो पर 1,31 लाख करोड़ रूपये के आयल बॉण्ड के कर्जों का बोझ डाल दिया है। जबकि तथ्य यह है कि 2014 में भारत सरकार पर कर्जों का प्रतिशत उसके जीडीपी का 52 प्रतिशत था,जो अभी बढ़ कर 90 प्रतिशत हो गया है । अनुमान है कि अगले साल तक यह बढ़कर 100 प्रतिशत तक हो जायेगा। निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि मोदी सरकार एक ओर टैक्सों का बोझ आम जनता पर बढ़ाती जा रही है और दूसरी ओर कर्जों का बोझ आम जनता पर थोपती जा रही है ।

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