गंगा जमुनी तहजीब का निशान है रक्षा बंधन ; नवाबजादा सैयद मासूम रज़ा, एडवोकेट


लखनऊ : नवाबों व तहजीब के शहर में भाई बहन के प्यार के बंधन रक्षा बंधन मनाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। होली, दिवाली, ईद व बकरीद की तरह रक्षा बंधन भी ऐसा त्योहार है जो किसी एक मजहब का त्योहार नहीं है। इस त्योहार को सिर्फ हिंदू ही नहीं मनाते बल्कि मुसलमान भी सदियों से मनाते आ रहे हैं। भाई बहनों को इस त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। रक्षा बंधन रिश्तों की डोर को मजबूत और बरकरार रखने का त्योहार है। नवाबी घराने सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ के रहने वाले रॉयल फैमिली के नवाबजादा सैयद मासूम रज़ा, एडवोकेट का आगे कहना है की उनकी तीन सगी बहने हैं, इसके इलावा उनकी मुंह बोली बहन भी है

जो हिंदू हैं मगर उनका प्यार भी सगी बहनों से कम नहीं, चाहे कुछ भी हो जाए उनकी कलाई पर राखी बांधना या सजाना नहीं भूलती। रक्षा बंधन के मौके पर घर आकर पूरी रीति रिवाज के साथ राखी बांध कर अपने प्यार का इजहार कर अपना तोहफा लेती हैं। नवाबी घराने से ताल्लुक रखने वाली बेगम नसीमा रज़ा, लखनऊ के एक स्कूल की प्रिंसिपल भी रक्षा बंधन का बेसब्री से इंतजार करती हैं और अपने मुंह बोली भाई मारूत तिवारी को बचपन से रखी बांधती आ रही है और आज भी उनके भाई मारुत त्रिपाठी जब तक बेगम नसीमा रज़ा नहीं पहुंचती किसी से रखी नहीं बंधवाते। भाई बहन के प्यार के जज्बात से जुड़ा इस त्योहार का जवाब नहीं। इसमें कोई शक नहीं की यह त्योहार गंगा जमुनी तहजीब की अलामत है। 

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