आंगनवाड़ी भर्ती में आरक्षण एवं शासनादेश की अनदेखी के साथ-साथ आंगनवाड़ी केंद्र कोड का भी चला खेल-- बबीता चौधरी


सहारनपुर में रामपुर के जिला कार्यक्रम अधिकारियों ने दिखाई सबसे ज्यादा जल्दबाजी


शासनादेश को सही से समझने वाले जिला कार्यक्रम अधिकारी भर्ती को रहे टाल


मुक्ति हेतु पोर्टल निर्माण में हुई बड़ी चूक आवेदक कर सकते हैं अपने ही गांव के किसी भी एक कोड पर आवेदन जिस से उत्पन्न हुई विकट समस्या आवेदकों के सामने



नियमानुसार ग्राम पंचायत स्तर पर बनी चाहिए वरीयता सूची लेकिन नियम विरुद्ध अलग-अलग कोड के आधार पर बन रही वरीयता सूची जिससे ऊंची वरीयता वाले भी रहे सलेक्शन से दूर और कम वरीयता वालों का हुआ चयन


चयनित सभी आंगनवाड़ी मिनी आंगनवाड़ी एव सहायकों का भविष्य अधर में


कोर्ट की शरण में जाएगा उत्तर प्रदेश आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ



यूं तो प्रदेश में चल रही आंगनवाड़ी भर्ती पर आए दिन अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश आंगनबाड़ी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री बबीता चौधरी ने जहां पूर्व में जिला कार्यक्रम अधिकारियों द्वारा किए गए आरक्षण पर सवाल उठाए थे कहा था कि रिक्त पदों पर पूर्व से ही निर्धारित आरक्षण के अनुसार होनी चाहिए भर्ती आगे प्रमोशन में आंगनवाडी कार्यकत्रियों को पूर्व से कार्य कर रही है को आएगी दिक्कत अब उन्होंने आंगनवाड़ी कोड के आधार पर भर्ती पर ही सवाल खड़े कर दिए उन्होंने बताया कि केवल प्रदेश में सहारनपुर से रामपुर जनपद से हैं जो सबसे ज्यादा जल्दबाजी दिखाते हुए आंगनवाड़ी नियुक्ति करने में लगे हुए हैं या यूं कहिए कि कर चुके हैं जबकि आपको बिल्कुल एक मोटे तौर पर समझाना चाहूंगी कि विभागीय शासनादेश के अनुसार किसी भी ग्राम पंचायत में एक या एक से अधिक पद हैं तो उस ग्राम पंचायत से प्राप्त सभी आवेदकों के आवेदनों के आधार पर एक सूची तैयार की जाती है और सूची में ऊपर के वरीयता के आधार पर जितने उस गांव में पद होते हैं उनका सिलेक्शन कर लिया जाता है लेकिन इस बार भर्ती पोर्टल में हुई बड़ी चूक के चलते तथा अपनी गलती के जानकारी होने के बावजूद भी विभाग अपनी जिद पर अड़ा हुआ है और जिस से आवेदकों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है यहां की उच्च वरीयता वाली आंगनवाड़ी कार्यकत्री के पद पर सिलेक्शन होने से चूक रही है वही निम्न वरीयता वालियों का हो रहा है सिलेक्शन इसके लिए आपको समझाना चाहूंगी कि माना किसी गांव में 3 आंगनवाड़ी केंद्र है और तीनों का आंगनवाड़ी कोड 201 202 203 है और कोई आवेदन आवेदक करने के लिए जन सेवा केंद्र पर जाती हैं उसे फ्रेश आवेदक होने के चलते आंगनवाड़ी कोड की कोई जानकारी नहीं होती वह जन सेवा केंद्र के माध्यम से आवेदन करती है जन सेवा केंद्र संचालक पर निर्भर करता है कि वह किस कोड पर उसका आवेदन कर देता है आवेदन होने के बाद माना 201 कोड पर 5 आवेदन आते हैं जिनका अंको का योग 20 19 18 पॉइंट 5 आरा 16 होता है और वर्तमान में चल रहे शासनादेश के विरुद्ध नियमानुसार सलेक्शन बीस वाले का हो जाता है और कोड नंबर 202 पर आवेदन इसी क्रम में मानव चार आते हैं चीन की वरीयता सूची  का टॉपर 17 अंक लेकर बनती है और सिलेक्शन हो जाता है और यही नियम 203 कोर्ट में भी चार आवेदन आते हैं और चार आवेदन में टॉपर 15 होती होती है अंकों के साथ तो इस उदाहरण से आपको समझाना चाहूंगी कि 201 कोट वाले रिप केंद्र पर 20 नंबर का सिलेक्शन होने के बाद 19 नंबर 18 पॉइंट 5 व18 नंबर के अंक अधिक होने के बावजूद भी अन्य गांव में शेष दोनों पदों पर सिलेक्शन नहीं हो पाता उनसे कम वरीयता वालों का सिलेक्शन हो जाता है क्योंकि यह नियम विरुद्ध केंद्र कोर्ट में फस कर रह जाते हैं यदि केंद्र कोड का भी पोर्टल पर इनको लागू करना था तो केंद्र को की जानकारी के साथ-साथ गांव के प्रत्येक कोड पर आवेदक को आवेदन करने का अधिकार होना चाहिए था जो कि ऐसा नहीं हो पाया यदि ऐसा हुआ होता तो क्या 15 सत्रह के सिलेक्शन हुए हैं वहां 19 अट्ठारह अंक लेने वालों के सिलेक्शन हुए होती क्योंकि उनके द्वारा भी प्रत्येक कोण पर आवेदन किया गया होता और यही शासनादेश के अनुसार भी हैं कि 1 गांव से आए टोटल आवेदन को एक वरीयता सूची के आधार पर एक वरीयता सूची तैयार की जाती है और ऊपर के तो पढ़ो को उस गांव में रिक्त पदों की संख्या के अनुसार छात्र किया जाता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है जिससे उस मर्यादा वाले भी सिलेक्शन होने से चूक गए हैं मात्र यह सब हो रहा है पोर्टल बनाने में चूक करने वाले अधिकारियों की जिसके चलते लखनऊ में आयोजित होने वाले बैठकों में कुछ जिला कार्यक्रम अधिकारी भी पोर्टल पर वह शासनादेश की अनदेखी के चलते चल रही भर्ती पर सवालिया निशान खड़े कर चुके लेकर अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते आज योग्य एवं वरीयता सूची वाली आवेदक भी चयन होने से चूक रही है या यह कहिए कि जिन का सही हक था उनको हक नहीं मिल रहा है और अपने निजी स्वार्थों के चलते कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी व लखनऊ में बैठे उनके आकाश सभी कर्म को किए जा रहे हैं लेकिन अनेकों बार शिकायत के बावजूद भी कोई ठोस कार्यवाही इनके विद नहीं की जा रही इससे बड़ा क्या होगा कि जब उनके विभागीय जिला कार्यक्रम अधिकारी ही लखनऊ में आयोजित होने वाली बैठकों में चयन भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठा चुके हैं और भर्ती करने में भी टालमटोल दिखा रहे हैं इससे साफ प्रतीत होता है कि कुछ अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते सरकार की जहां पारदर्शी भर्ती करने की मंशा पर पानी फेर रहा है या यूं कहिए कि सरकार की नाक के नीचे यहां पूर्व में आंगनवाड़ी भर्ती में आरक्षण का खेल का बड़ा खुलासा हुआ नहीं अब आंगनवाड़ी केंद्र कोर्ट के चलते भी आंगनबाड़ियों की रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आवेदन कर रही आवेदकों के हो रहा है बड़ा खेल अब देखना यह होगा कि क्या उच्च अधिकारी इस खेल पर लगा पाएंगे अंकुश या फिर उत्तर प्रदेश आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ को कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर होना पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि इतनी बड़ी अनियमितताओं के बावजूद भी भर्ती प्रक्रिया का झोंका तो चलते रहना कहीं ना कहीं कुछ अधिकारियों की मंशा के साथ-साथ सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े करते हैं।

@Samjho Bharat News

8010884848

7599250450

No comments:

Post a Comment