जैविक विधि से तैयार किए गए काले गेहूं स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक अनेकों बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है हमारे शरीर को... उपेंद्र चौधरी


जनपद शामली के जैविक किसान उपेंद्र चौधरी जो मूल रुप से टीटोली गांव के निवासी हैं ने काला गेहूं उगाया उन्होंने बताया कि उनके द्वारा काले गेहूं का बीज मध्यप्रदेश से ₹100 प्रति केजी के हिसाब से मंगाया गया था और काले बीच में हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों को रोकने को एवं उनसे लड़ने की ताकत बढ़ाने के सभी तत्व होने के कारण बीज को मंगाया गया था और फसल तैयार की गई उन्होंने मात्र 4 बीघा गेहूं बोया था जिसमें प्रति बीघा लगभग 3.5 कुंटल की फसल तैयार हुई उन्होंने बताया कि जैविक विधि से तैयार किए गए चाहे वह गेहूं हो चावल हो या अन्य कोई भी कृषि फसलें एवं उनसे तैयार किए गए उत्पाद कि आज के समय में बाजार में बेहद मांग है इसलिए किसानों को जैविक फसल की ओर जाना चाहिए जहां बाजार में इनके दिमाग होने के चलते बाजार भाव अधिक है वहीं यह हमारे शरीर के लिए भी जबरदस्त लाभदायक है अधिक पेस्टिसाइड इस्तेमाल करने से आजा मारी जमीन बंजर होती जा रही है वही हमारे शरीर की ताकत भी बीमारी से लड़ने के प्रति कमजोर हो रही है आज हमारा पूरा देश करो ना जैसी महामारी से जूझ रहा है और यह साफ सामने आया है कि जिस व्यक्ति के शरीर में बीमारी से लड़ने की ताकत कम है उसे ही करो ना जल्दी होता है यूं तो बाजार में अनेकों शारीरिक ताकत बढ़ाने के कई अनेकों नुक्से यहां तक की काडे  भी उपलब्ध है जैविक विधि से कोई भी फसल जो तैयार की गई है वह प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक रामबाण का काम करती है हमारे शरीर को एक जबरदस्त ताकत प्राप्त करती है चौधरी ने बताया कि उनके द्वारा इससे पूर्व काला धन भी उगाया गया वह भी जैविक विधि से उसका भी अच्छा रिजल्ट रहा और इतना ही नहीं काला धन भी अनेकों बीमारियों से हमारे शरीर को बचाता है वह भी जबरदस्त गुणकारी है जिस की बेहद मांग रही साथी साथ उनके द्वारा जैविक विधि से तैयार किए गए गन्ने से निर्मित गन्ने का सिरका भी बाजार में उतार कर गन्ने की भाव से अधिक लाभ लिया गया यह लाभ अन्य किसान भी ले सकते हैं काला गेहूं या काला धन या गन्ने का सिरका या फिर गन्ने से बने गुड शक्कर व खंड की

बेहद मार्केट में मांग है इसी के चलते उपेंद्र चौधरी ने सभी किसानों से अनुरोध किया कि जैविक को अपनाएं पेस्टिसाइड को नकार कर स्वास्थ्य शरीर की और आगे बढ़े जब उपेंद्र चौधरी से हमारे संवाददाता ने काले गेहूं के रेट के विषय में बात की तो उन्होंने बताया कि यूं तो बाजार में काले गेहूं के रेट ₹10000 कुंटल तक है लेकिन हमें किसान और किसान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काले गेहूं को बीज के रूप में बेचे जाने की योजना है और वह भी मात्र ₹80 किलो यही काम हमने काले धान में भी किया उसको भी हम बीज के रूप में बेच रहे हैं वह भी मात्र ₹250 किलो जबकि हमारे द्वारा बीज ₹500 किलो लाया गया था और ऑर्गेनिक विधि से तैयार करेंगे गन्ने से निर्मित गन्ने का सिरका भी मात्र 135 रुपए प्रति लीटर वह गुड केवल 100 रुपए शक्कर सो रुपए खांड ₹125 प्रति केजी के हिसाब से उपलब्ध कराए गए जो कि किसान के लिए एक मुनाफे का सौदा है वहीं आम खरीदार के लिए अभी उसके स्वास्थ्य को मध्य नजर रखते हुए उसके बजट में हैं आपने देखा होगा कि कुछ किसान जो जैविक खेती कर रहे हैं लेकिन अपने उत्पादों की इतनी ऊंची कीमत रख रहे हैं जो कि आम आदमी की पहुंच से दूर हो रही है लेकिन हमारे द्वार जो भी जयपुर जी से फसल तैयार की गई या उसके उत्पाद तैयार किए गए उनको आम आदमी के बजट में रखने का पूरा प्रयास किया गया है और साथ ही साथ अपने अन्य सहयोगी जो किसान जैविक खेती कर रहे हैं उनसे भी अपील की गई है कि मुनाफा कम से कम लेने का प्रयास करें क्योंकि किसान कभी व्यापारी नहीं हो सकता किसान अन्नदाता है सभी के पेट पालने की जिम्मेदारी किसान पर है और अब तो क्वालिटी एवं गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी के सामने अपने कंधे पर ले ली है इसी क्रम में सभी किसानों से अनुरोध है कि अधिक से अधिक जैविक खेती को अपनाएं धन लाभ स्वास्थ्य लाभ कमाए

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