सर्व प्रथम सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में दिए गए सभी आदेशों को जो किसान हित में थे उनको लागू कराएं उसके बाद किसान आंदोलन में हस्तक्षेप करें ---उपेंद्र चौधरी

भारतीय किसान मजदूरों सेना व कुंडू खाप उत्तर प्रदेश प्रमुख उपेंद्र चौधरी ने आज किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज तक जितने भी किसान इतने आदेश दिए हैं पहले उन सब पर अमल कराएं चाहे वह गन्ने के पेमेंट के आदेश हो जिनमें 14 दिन में पेमेंट और उसके बाद भी आज की बात हो या अन्य आने को आदेश जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट आज से पहले दे चुके हैं उसके बाद किसान आंदोलन में हस्तक्षेप करें वाकई सोचने वाली बात है कि जब पहले किसानों ने कानून मांगा नहीं तो  केंद्र सरकार ने कानून दे दिया हम किसानों ने किसान आंदोलन में सुप्रीम कोर्ट का अब तक सिर्फ मांगा नहीं उन्हीं को उठ गई अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश दे दिया लेकिन आदेश दिया है  लेकिन यह मालूम नहीं कि जो सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्य कमेटी बनाई हैं उनके नाम सुप्रीम कोर्ट को सुझाव किसने यह कैसे संज्ञान में आया कि इन चार लोगों की कमेटी बननी चाहिए वाकई यह एक बड़ा सवाल है और वह भी चारों सदस्य ए2


क ही विचारधारा के और एक ही पार्टी के या यूं कहिए कि वह कानून बनवाने वाले और वहीं अब उस पर रिपोर्ट देने वाले कारण चाहे कुछ भी हो सवाल आज भी वही किसानों के सामने खड़े हैं सवाल सबसे बड़ा कि आखिर कब तक सड़कों पर ठंड में मरता रहेगा यू किसान सवाल आखिर कब तक गूंगी बहरी बनी रहेगी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से निराश  हुआ किसान आज के पूर्व सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो भी आदेश जारी किए गए हैं जब उन पर अमल न करने वालों के विरुद्ध आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और फिर आज का जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश जारी किया गया वह तो बिना हमारी मर्जी के बिना हमारी मांग के जारी किया गया फिर उसके मान्य या अमृत करने का तो सवाल ही उत्पन्न नहीं होता किसान जिस तरह आंदोलन कर रहा था उसी तरह करता रहेगा जब तक यह तीनों काले कानून वापसी नहीं होते और एमएसपी पर कानून नहीं बनता और साथ ही साथ उस कानून में पूर्णता फसल खरीद की गारंटी निर्धारित मूल्य से कम खरीदने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के प्रावधान उस कानून में नहीं होते तब तक आंदोलन निश्चित रूप से इसी तरह से चलता रहेगा इस बार पूरे हिंदुस्तान का किसान जाग उठा है निश्चित रूप से अपने हक की लड़ाई को अपने स्वाभिमान वजूद हक फसल और नस्ल की लड़ाई को शक कीमत पर जीत करेगा रही बात 26 जनवरी के कार्यक्रम की 26 जनवरी के कार्यक्रम में क्यों दखल डालना चाहती है सरकार किसान इस देश की रीढ़ है तो क्यों नहीं किसान शामिल हो सकती अपने ट्रैक्टर के साथ 26 जनवरी एक बड़ा सवाल है इस देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का भोजन का इंतजाम कर सकता है किसान तो कम से कम उसको 26 जनवरी जैसे प्रोग्राम में स सम्मान भाग लेने की मिलनी चाहिए सरकार की तरफ से  निमंत्रण लेकिन अफसोस की बात है कि जहां किसान प्रोग्राम में भाग लेना चाहता है ना जाने किस बात का डर सता रहा है केंद्र सरकार को मेरे भाई देश आजाद है किसान भी चाहता है कि वह 26 जनवरी की परेड में भाग ले तो उसमें सरकार को दिक्कत क्या है इस बात को सरकार को समझाना होगा और खुद भी समझना होगा यदि सरकार चाहती है कि किसान 26 जनवरी की परेड में भाग लें तो उनको 26 जनवरी से पूर्व निश्चित रूप से किसान की समस्याओं का निदान करते हुए सभी मांगों को मानना होगा और  तीनों काले कानून को वापस लेना होगा अन्यथा मैं नहीं समझता यह देश हित में होगा सरकार अनावश्यक टकराव की स्थिति उत्पन्न करने में लगी है फिर भी अपने इस बयान के माध्यम से मैं चाहूंगा कि सभी किसान भाई अपने ट्रैक्टर से शांति बनाए रखते हुए देश के संविधान का पालन करते हुए परेड में भाग ले जो कि उनका अधिकार भी है

No comments:

Post a Comment