टिकैत बंधुओं की कथनी और करनी में बड़ा अंतर, यदि अन्य संगठन साथ ना होते तो 2 अक्टूबर दो हजार अट्ठारह बनने में देर नहीं लगती


भारतीय किसान यूनियन  के ज्यादा पदाधिकारियों विषय में बात ना करते हुए केंद्रीय नेतृत्व व उनके विश्वासपात्र राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर , कृषक समृद्धि आयोग उत्तर प्रदेश के सदस्य धर्मेंद्र मलिक, प्रदेश प्रवक्ता कुलदीप पवार के विषय में इतना कहूंगा कि ऊंची दुकान पकवान


भारतीय  किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते व बालियान खाप चौधरी होने के बावजूद दोनों ही मोर्चे पर कमजोर साबित हुए



 आपको बता दें कि 2 अक्टूबर 2018 को जैसे भारतीय किसान यूनियन द्वारा किसान यात्रा निकाली गई थी जिसका जो अर्थ हुआ था वह आप सभी के सामने हैं कैसे इस तरह वह आंदोलन समाप्त कर दिया गया था उस आंदोलन की समाप्ति के बाद आयोजकों ने किन किन मांगों को पूरा होने की नौटंकी की गई थी यह आपसे किसी से छिपा नहीं है और ना ही आज तक कोई मांग पूरी हुई है लेकिन अब हम दो हजार अट्ठारह में नहीं 21 में आ चुके हैं जो आंदोलन 2020 में शुरू हुआ था वहीं 2021 में पहुंच चुका है जिसमें लगभग 80 से ऊपर से आदत हो चुकी है अब ऐसे में यदि यह कहा जाए कि यदि इस आंदोलन में अन्य और कोई संगठन में होता तो 2 अक्टूबर 20 18 वाली स्थिति कभी की उत्पन्न हो गई होती तो गलत नहीं होगा मैं दो हजार अट्ठारह की ज्यादा बात ना करते हुए केवल बात करूंगा कि कैसे भारतीय किसान यूनियन के गढ़ में भाजपा की रैली दल रैली हो रही है और किसान यूनियन के प्रमुख इस विषय पर चुप्पी साधे हुए हैं इससे जो सवाल उत्पन्न होते हैं उन सब से आप भी अनजान नहीं है बाद में बात करता हूं उनके राष्ट्रीय  राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर की जो कभी किसानों के साथ सड़कों पर आंदोलन में नजर नहीं आई कलेक्ट्रेट तहसील बिजली घरों की के घेराव में नजर नहीं आए नजर आते हैं तो केवल डिबेट और अधिकारियों से वार्ताओं में एक इसी तरह के इनके सहयोगी अशोक बालियान जी भी हैं जो रसूलपुर निवासी है पूर्व में सरकार को इन तीन काले कानूनों का विरोध में अपना समर्थन पत्र भी दे चुके हैं लेकिन आज भी इनके साथ खड़े नजर आते हैं जो दूर हो या अशोक बालियान यह कहिए कि सरकार और यूनियन के बीच की कड़ी है जो इनको जोड़े रखने में सहायक है वरना इन के पल्ले


 जितने किसानों के धीरे से आप सब वाकिफ हैं आग इनके बाद नाम आता है धर्मेंद्र मलिक जो खंड निवासी हैं और भारतीय किसान यूनियन की प्रतिनिधि के रूप में कृषक समृद्धि आयोग उत्तर प्रदेश के सदस्य भी हैं सदस्य पद से त्यागपत्र दिया नहीं किसान इसकी लंबी चौड़ी बात करते हैं यहां तक कि वार्ताओं में शामिल भी होते हैं बेशर्मी की इतनी है कि बिना त्यागपत्र दिए ही किसानों की जीत और हार की बात करते हैं और गांव में वजूद किसान में वजूद कितना है यह सब से छुपा नहीं है और यही कारण हमारे प्रदेश प्रवक्ता कुलदीप पवार जी निवासी  नाला का भी है उनके आह्वान पर उनके गांव से कभी 10 किसान निकले नहीं ट्रैक्टर मार्च हो या आंदोलन में उनके साथ कभी कोई खड़ा देखा नहीं लेकिन महा अनुभव अधिकारियों को अपना चेहरा दिखाने में अपने केंद्र नेतृत्व की परिक्रमा करने में कभी किसी से पीछे नहीं रहते जिनके पल्ले एक भी किसान नहीं एक ट्रैक्टर नई जिले के आंदोलनों तहसील के आंदोलनों दिल्ली के आंदोलन हो या कोई कितना भी बड़ा या छोटा आंदोलन हो यह भी ऐसे नाम है जिनका मैंने उल्लेख किया है जिनके नाम पर 10 आदमी की भीड़ भी काटा नहीं होती और यह पूरे देश व प्रदेश के किसानों का ठेका लिए हुए हैं और इनकी बात छोड़ो अब बात करते हैं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वह बालियान खाप के चौधरी माननीय नरेश  टिकैत जी के आशीर्वाद से सांसद व मंत्री बने संजीव बालियान जी उनके विरुद्ध एक मेरठ में किसान संगठन खड़ा करते हैं उससे रोड शो कराते हैं और दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात कर आते हैं इसके बावजूद भी संजीव बालियान के विरुद्ध  टिकैत बंधु मुंह तक नहीं खोलते हैं इसके बावजूद संजीव बालियान द्वारा उन्हें के गढ़ उन्हें के घरों में उन्हीं की खाप में किसान चौपाई ले लगाई जाती हैं उसके बावजूद भी कुछ ना बोलना सवालिया निशान खड़े करता है हरियाणा की सभी खाप पंचायत और किसान संगठन जनप्रतिनिधियों के विरोध की बात करता है वही अपने एक पदाधिकारी से त्यागपत्र ना दुआ ना संजीव बालियान के विरुद्ध एक शब्द भी नए बोलना उनके भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वह बालियान खाप के चौधरी होने के बावजूद भी कमजोरी को प्रदर्शित 

करता है अब आप उम्मीद लगा सकते हैं कि इनसे आप कैसे आंदोलन की उम्मीद रख सकते हैं लेकिन फिर भी आप सभी से अपेक्षा है कि किसान आंदोलन से जुड़े रहेंगे क्योंकि पूरे देश के किसान इससे लगे हैं इस बार इनके हाथ में ज्यादा कुछ नहीं है या यूं कहिए कि यह तो इस आंदोलन में मजबूरी में फंसे आपने शुरुआत में देखा होगा जब पंजाब और हरियाणा का किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आज चुका था प्रेस के प्रतिनिधियों द्वारा जब बार-बार इनसे पूछा गया कि तुम इस आंदोलन में क्या कर रहे हो तुम इस आंदोलन में क्या करो क्या रहेगी तुम्हारी भूमिका उत्सव परिसर के चलते आखरी में इन्हें आंदोलन में कूदना पड़ा वरना जब इन काले कानूनों के प्रति अध्यादेश आया था तो उस वक्त तो यह लोग भी इसकी तारीफ कर चुके थे इनसे इस आंदोलन में कोई बड़ी उम्मीद तो नहीं है फिर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है लगे रहिए निश्चित रूप से कामयाबी हाथ लगेगी लेकिन यह सच्चाई है कि जो इनके कमाऊ पूत है जिनके पल्ले भीड़ भी नहीं है आख़िर उनको यूनियन में पारले रखने का क्या उद्देश्य है कैसे मजबूत होती है इससे किसान यूनियन या मजबूत होते हैं स्वयं यह भी एक बड़ा सवाल है इन सब सवालों को अपने ध्यान में रखते हुए इनके चेहरों की पहचान करते हुए आप सभी से अनुरोध है कि आंदोलन को तो मजबूत कीजिए लेकिन इन पर नजर अवश्य बनाए रखें ना जाने कब और कहां आपको  और हमें तो 2अक्टूबर दो हजार अट्ठारह की तरह लावारिस छोड़ कर गायब ना हो जाये

 यदि लग रहा है यह गलत है तो युद्धवीर अशोक बालियान धर्मेंद्र मलिक और कुलदीप पवार के गांव पर 26 तारीख की ट्रैक्टर मार्च की घोषणा पर ध्यान रखिए कि उनके नाम पर उनके गांव से कितने ट्रैक्टर निकलते हैं केवल उनके नाम पर और यदि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बालियान के चौधरी वाकई किसान हितेषी है तो केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के आवास का घेराव करे घोषणा व साथी साथ बालियान खाप के बहिष्कार पर भी दे अपना बयान

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