कैराना मे सट्टेबाजी का अंधेरा जाल - वाजिद की गिरफ्तारी के साथ खुला बड़ा सवाल!

कैराना (शामली)। कोतवाली कैराना क्षेत्र में सट्टेबाजी का अवैध कारोबार एक बार फिर सुर्खियों में है, जब पुलिस ने वाजिद (पुत्र जाहिद) को रंगे हाथ पकड़कर गिरफ्तार किया। मोहल्ला पीरजादगान का रहवासी वाजिद, जिसने पत्थरों वाली मस्जिद के निकट तिराहे पर सट्टे की खाईबाड़ी की हुई थी, अब सवालों के घेरे में है। क्या वाजिद सिर्फ एक छोटे किंगपिन की तरह है, या एक बड़े सट्टा माफिया के नेटवर्क का हिस्सा? यह प्रश्न अब क्षेत्र की जनता और कानून-व्यवस्था के रखवालों के बीच गूंज रहा है।

सट्टेबाजी का अवैध कारोबार, एक महामारी

स्थानीय निवासियों ने सचेत किया है कि कैराना में सट्टेबाजी का यह जाल में केवल वाजिद तक सीमित नहीं है। क्षेत्र के कई अन्य स्थानों पर भी अवैध सट्टा चल रहा है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है और युवाओं को गलत रास्ते पर डाल रहा है। सूत्रों का आरोप है कि जब पुलिस ने वाजिद को गिरफ्तार किया, तब वह केवल एक बोट का शिकार था, जबकि असली मछुवारे अब भी खुली हवा में तैर रहे हैं।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार पुलिस ने इस अवैध कारोबार के खिलाफ कार्रवाई की है, लेकिन यह केवल एक औपचारिकता रही है। पुलिस ने अपनी कार्रवाई में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करने का दावा किया, लेकिन आखिरकार, सवाल यह उठता है कि जब तक वाजिद जैसे छोटे मछलियों की गिरफ्तारी होती है, तब तक बड़े मछलियों का क्या? क्या पुलिस, जो सट्टे के इस धंधे को रोकने में नाकाम रही है, सच में इसमें गंभीर है?

स्थानीय राजनीति और सट्टे का रिश्ता

कैराना की सट्टेबाजी की समस्या केवल कानून और व्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि इसका एक बड़ा राजनीतिक पहलू भी है। विभिन्न राजनीतिक पार्टी के स्थानीय नेता इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त होने के संदेह में हैं। इससे यह भी संदेह उठता है कि क्या पुलिस उन नेताओं के प्रभाव में आकर कड़ी कार्रवाई करने से कतराती है जो इस कारोबार में लिप्त हैं। क्या वाजिद की गिरफ्तारी सच में किसी बड़े माफिया के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत है या यह केवल एक सांकेतिक प्रदर्शन है?

आवाज उठाते लोग

स्थानीय जनता ने अब अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए मामले को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। लोगों ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि न केवल वाजिद, बल्कि सट्टेबाजी के कारोबार में शामिल सभी लोगों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएं। सूत्रों की माने तो स्थानीय समाजसेवियों ने पंचायतों की बैठक बुलाई है ताकि इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके, और यह तय किया जा सके कि सट्टे की यह समस्या अपने जड़ से खत्म की जा सके।

कैराना में सट्टेबाजी का यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम सच में सुरक्षित हैं? क्या हमारी कानून व्यवस्था इतनी कमजोर है कि एक छोटे से आरोपी की गिरफ्तारी से बड़ी मछलियों का शिकंजा नहीं टूटता? या फिर पुलिस और स्थानीय प्रशासन वास्तव में सट्टेबाजी के इस काले कारोबार से आंखें मूंदे हुए हैं, जो केवल कुछ शोर-शराबा करने पर मजबूर हैं?

सामाजिक संरचना की चुनौती को स्वीकार करना होगा
अवश्य ही, कैराना में सट्टेबाजी का यह जाल केवल एक आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि यह समाज में नैतिकता और मूल्यों की भी चुनौती है। जब युवा वर्ग इस अवैध धंधे की चपेट में आता है, तब हमारे समाज की नींव हिलने लगती है। इसके स्वरूप को बदलने के लिए केवल पुलिस कार्यवाही ही नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। 

एक ओर जहां सरकार द्वारा सट्टेबाजी पर रोक लगाने के लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए, वहीं हमें स्थानीय समुदाय को भी जागरूक करना चाहिए कि वे इस काले धंधे में शामिल न हों। क्या यह सच में कठिन है कि हम अपनी अगली पीढ़ी को इस स्थायी समस्या से बचा सकें? जनता की आवाज, जब तक गूंजती रहेगी, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।

 
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर हमें वह याद दिलाया है कि सट्टा सिर्फ जेब का मामला नहीं है, यह हमारे समाज के लिए एक घातक रोग है। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन कितना गंभीर है इस मुद्दे को लेकर और क्या वाकई वाजिद की गिरफ्तारी से कैराना में सट्टेबाजी का सम्राट गिरने वाला है या फिर यह केवल एक और ‘फर्ज़ी मामला’ है? क्या गति और बदलाव की आवश्यकता को पहचानने की हिम्मत हममें है? यह सुनहरा अवसर है कि हम सभी मिलकर इस काले धंधे की जड़ें काटने की दिशा में कदम बढ़ाएं, नहीं तो सट्टेबाजी का यह जाल हमें कभी नहीं छोड़ेगा। रिपोर्ट गुलवेज आलम

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