कैराना में प्रेम के नाम पर सामाजिक बहिष्कृत, मंडली ने लगाया 10 साल का प्रतिबंध!-पीड़ित परिवार ने एसपी से लगाई इंसाफ की गुहार

कैराना। कस्बे में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है, बल्कि नारी के सम्मान को भी चुनौती दी है। यहाँ मौहल्ला आलदरम्यान की निवासी मुनेश ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई है। 

इस मामले की शुरुआत तब हुई, जब पीड़िता का पुत्र रवि और कामिनी, जो एक-दूसरे के प्रति आकर्षित थे, उन्होंने ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का निर्णय लिया। लेकिन इस निर्णय ने मोहल्ले में हलचल मचा दी। स्थानीय पंचायत ने एक आपात बैठक बुलाई और उन दोनों के प्रेम संबंधों को गैर-सामाजिक बताया। 

बहिष्कार की पंचायत का फरमान सुनाते हुए मोहल्ले के महेन्द्र पुत्र भोलू, प्रहलाद पुत्र मोती, हर्ष पुत्र महेन्द्र, विशाल पुत्र चमन, त्रिलोक चंद पुत्र मिटठन लाल और दीपक प्रधान पुत्र सोम ने मिलकर यह ऐलान किया कि मुनेश का परिवार 10 साल के लिए समाज से बहिष्कृत रहेगा। उन्हें आदेश दिया गया कि "तुम अपना गेट हमेशा के लिए बंद कर लो!" इस अपमानजनक आदेश ने पूरे मोहल्ले में तूफान खड़ा कर दिया है।

पंचायत का फैसला न केवल पीड़िता और उसके परिवार के लिए अपमानजनक था, बल्कि यह एक बड़ा सामाजिक अन्याय भी था। मुनेश ने अपने पत्र में साफ तौर पर कहा है कि "यह सब मेरी और मेरे बच्चों की मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हमें प्रताड़ित करने की कोशिश की जा रही है।" 

इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब प्रेम की बात आती है, तो समाज के रीति-रिवाज और कथित सम्मान का ताना-बाना कितना महत्वपूर्ण हो जाता है। पीड़िता ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि इस अत्याचार के खिलाफ एक्शन लिया जाए, ताकि उनके परिवार का सम्मान पुनः स्थापित हो सके।

सवाल यह है कि क्या इस समुदाय के लोग अपनी सोच में बदलाव करेंगे या प्रेम को खुलेआम स्वीकारने की कोशिश कर रहे युवाओं को हमेशा इसी तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा? क्या यह पंचायत का फैसला एक नए तरह के सामाजिक बंधन का परिचायक है, जो न केवल प्रेम बल्कि इंसानियत के खिलाफ है?

क्या प्रशासन सच में इस गंभीर मामले का संज्ञान लेगा या इसे भी एक आम मामला मानकर नजरअंदाज कर देगा? समय ही बताएगा! रिपोर्ट गुलवेज आलम कैराना
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