देश के अन्य श्रमजीवी पत्रकारों की भी सुध ले सरकार


आज जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया की एक बैठक सम्पन्न हुई जिसमे सभी ने एकमत से हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 5 लाख रुपये धनराशि का जीवन बीमा राज्य के सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकारों को देने का फैसला लिया है एवं आक्समिक मृत्यु होने पर 10 लाख की धनराशि देने का निर्णय लिया है।सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए इस मुद्दे पर विशेष चर्चा करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि प्रदेश की योगी सरकार को अन्य श्रमजीवी पत्रकारों के बारे में भी सोचना चाहिए सरकार ने पत्रकारों के लिए जो जीवन बीमा घोषित किया है निसंदेह अच्छी पहल है पर यह बीमा सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए ही है यह विचारणीय प्रश्न है, सरकार को अन्य श्रमजीवी पत्रकार बंधुओं के हित को सोचकर इस सुविधा का दायरा बढ़ाना चाहिए। सरकार को उन पत्रकारों के विषय में भी सोचना चाहिए जो फील्ड में वर्क करते हैं और अपनी जान जो जोखिम में डालकर समाचार संकलन में लगे रहते हैं और हर छोटी बड़ी खबर से जनता को रूबरू कराते हैं पत्रकार सिर्फ पत्रकार है और उसके जीवन यापन के लिए सरकार को सोचना चाहिए। पत्रकारों की समस्याओ को सरकार धरातल पर देखे तो बहुत सुधार की आवश्यता है।लेकिन सरकारें इसे लेकर गम्भीर नहीं है। इसका मुख्य कारण पत्रकारों के बीच आपसी प्रतिद्वंदता के चलते एकजुटता का अभाव है अगर सभी पत्रकार एकजुट होकर आवाज उठाएं तो पत्रकारों के विषय में सरकार को सोचने के लिए मजबूर कर सकते हैं। वर्तमान मे संगठन के 4 मुख्य उद्देश्य है जिसमे देश के सभी पत्रकारों को सूचीबद्ध किया जाये,पत्रकारो की शैक्षिक योग्यता को निर्धारित किया जाये,डिजिटल मीडिया के भी रजिस्ट्रेशन का प्रावधान हो और इनके पत्रकारो को भी अन्य पत्रकारों की भांति मान सम्मान मिले साथ ही देश मे जल्द से जल्द पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू किया जाये।जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया अपनी इन मांगो पर तब तक अडिग रहेगी जब तक पत्रकारों के हितो मे सरकार द्वारा इन मांगो को माना नही जाता।

 संगठन के राष्ट्रीय सचिव दानिश जमाल ने कहा कि जैसे राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ राज्यों में सरकार ने पत्रकारों के लिए मानदेय के रूप में एक मासिक मानदेय की धनराशि प्रदान कर रखी है उसी तरह जो पत्रकार सच्ची निष्ठा एवं लगन से अपने पत्रकारिता के कार्यों को अंजाम दे रहे हैं उन सभी पत्रकारों के लिए भी सरकार को मासिक धनराशि रखनी चाहिए। आखिर पत्रकार किस तरह अपने घर का भरण-पोषण करे, पत्रकार का जीवन कष्टमय होता है क्योंकि पत्रकार झूठ अन्याय और शोषण के खिलाफ लिखता है तो उस पर अत्याचार किया जाता है परन्तु उसकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं है,कोई पत्रकार न छोटा होता है न कोई पत्रकार बड़ा होता है हर पत्रकार अपनी काबिलियत से पत्रकारिता के स्तर को बनाये हुए है।

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