हिमाचल प्रदेश बिलासपुर उपायुक्त बिलासपुर को बरमाना एसीसी कारखाना प्रभावित विस्थापितों ने दिया समस्या बारे ज्ञापन

आज पूरा विश्व करोना महामारी से लड़ने व प्रभाव कम करने के लिए लड़ रहा है पर फिर भी इस महामारी के आगे बड़े बड़े देश जो विश्व में अपनी स्वास्थ्य सुविधाएं जीवनशैली आधारभूत सुविधाओं का डंका बजाते थे नतमस्तक हैं वह विश्व की संबंधित सरकारें भी भी सोशल डिस्टेंस व बचाव ही महामारी से बचने का एकमात्र उपाय बता  रहे है साथ में सभी एनजीओ मात्र भारत के उद्योगपति कर्मचारी हमारे सैनिक  सेवाएं देने के साथ-साथ सरकारी खजाने में इस समस्या से निपटने के लिए आर्थिक मदद कर रहे हैं  .मात्र बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां जो यूरोपियन देशों के जिन के मालिक हैं ,  जिन्होंने यहां के संसाधनों को ही लूट कर अनंत पैसा कमाया वहां का प्रबंधन फूटी कौड़ी का योगदान देने के लिए तैयार नहीं है देखने में आ रहा है .  जिला बिलासपुर के बरमाना गांव में जो सीमेंट का कारखाना है तथा जिसका प्रबंधन यहां के विस्थापितों प्रभावितों के हकों पर कुंडली मारकर  वर्षों से बैठा है यहां की समस्याएं लिखित रूप से अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के माध्यम से उपायुक्त बिलासपुर को दी क्योंकि यहां  पर कंपनी प्रबंधन  ने मात्र गरीब मजदूर वर्ग जो कारखाने की रीढ़ की हड्डी होते हैं उनका ही रोजगार  छीना हालांकि लेबर कमिश्नर हिमाचल प्रदेश में मुझे मजदूरों के साथ कोई भी अन्याय नहीं होगा इसका आश्वासन दिया है  .          इसलिए ग्रामीणों की मांग है की कारखाने के कच्चे माल के लिए जो सप्लाई खनन क्षेत्र से आती है वहां पर माइनिंग डेवलपमेंट फंड के रूप में पैसा सरकारी खजाने में जाता है जिसके चेयरमैन उपायुक्त बिलासपुर हैं अतः ग्रामीणों की मांग है क्योंकि इसमें  मात्र मास्क पहनना क्षेत्र को सैनिटाइज करना वह इस बीमारी से बचने के लिए इसका बचाव कैसे किया जाए प्रचार करना आदि है तो यह मास्क व सैनिटाइजर व प्रचार यहां की माताएं बहने करें व उनका जो भी मानदेय बनता है वह इस माइनिंग डेवलपमेंट फंड से दिया जाए जो पैसा 45 करोड़ के लगभग है  क्योंकि संबंधित पंचायत प्रधान मंजू मनहंस इन कार्यों में कोई रुचि नहीं लेती और इस कारखाने का उत्पादन वह सप्लाई भी शुरू हो गई है जिससे यहां पर कई राज्यों से जहां पर महामारी ने कोहराम मचाया है , ड्राइवरों का आवागमन शुरू हो गया है दूसरे सरकार ने मनरेगा कार्य भी शुरू कर दिए हैं तो सीएसआर हेड हितेंद्र क्यों 10 वर्षों से यहां के सीएसआर पैसे पर कुंडली मारकर बैठा है पूछने पर हमेशा बताता है  की  श्रमिक नहीं है  तो  यह  सीमेंट की गाड़ियां  कौन भर रहा है  मात्र यहां के लोगों की अनदेखी की जाती है और कोई भी विकास कार्य नहीं किया . माइनिंग एरिया जिसमें पंचग्राम पंचायत व धान कोठी पंचायत  के 4 गांव आते हैं तथा माइनिंग ब्लास्टिंग धमाकों के कारण दर्जनों मकान गिरने की कगार पर हैं   उनका जल्द से जल्द अधिग्रहण किया जाए समझौता ज्ञापन के साथ ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी रोजगार मिले जैसा पहले था हालांकि इसके बारे में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी  विजय धीमान ने साफ शब्दों में बता दिया है की इस से रिलेटेड संबंधित उच्च अधिकारियों  का दस्ता जल्द से जल्द वहां का सर्वेक्षण करके रिपोर्ट के अनुसार हर समस्या सुलझाई  जाएगी डीएवी फीस के बारे में भी जल्द से जल्द प्रशासन को की ओर से प्रतिनिधि भेजने का आग्रह किया गया वह यहां के सामान्य जनता के 2 लोग उस मीटिंग में बैठेंगे क्योंकि यहां की जनता जनप्रतिनिधियों पर चाहे वह पंचायत का हो या  विधायक बिल्कुल विश्वास नहीं करते क्योंकि पूर्व में भी इन्होंने जनता के अनुसार इनके  साथ धोखाधड़ी की  है .

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