तुम्हें याद हो ,के न याद हो जब अताउल्लाह खान के बेवफाई के गानों और हसन जहांगीर के "हवा हवा "ने मचाया था धूम


सग़ीर ए ख़ाकसार
तुम्हे याद हो,के न याद हो,नब्बे का  दशक रोमांटिक गानों का दौर था।पाकिस्तानी ग़ज़ल गायक अताउल्लाह खान के बेवफाई के गानों

ने धूम मचा रखा था।युवा उस वक़्त के गानों में अपनी प्रेम कहानी ढूंढता फिरता था।उसे लगता था कि अताउल्लाह खान के गाने में उस

का सारा "दर्द"छुपा है।नवोदित गायकों को प्रमोट करने के मकसद से टी सिरीज़ के कैसेट भी नए नए एल्बम के साथ भारतीयों बाजारों  में

लांच हो रहे थे।पाकिस्तान के ही पाप सेंसेशन हसन जहांगीर के गानों को भी खूब पसंद किया जा रहा था।भारतीय गायकों में कुमार

सानू,अलका याग्निक,अनुराधा पौडवाल,शब्बीर कुमार,नदीम श्रवण,अलीशा चिनाय ,अभिजीत,बाबुल सुप्रियो, आदि गायकों के
गाने लोग बड़े शौक से सुनते और गुनगुनाते थे।

                       उस वक़्त के सबसे ज़्यादा चर्चित  ग़ज़ल गायक थे पाकिस्तानी गायक अताउल्लाह खान ।जिनके बारे यह कहानी मशहूर

थी कि वो जिस लड़की से प्यार करते थे उसने उन्हें धोखा दे दिया था।उस लड़की की बेवफाई से नाराज़ होकर अताउल्लाह खान ने

उसकी हत्या कर दी और जेल में बंद है।जेल में ही रहकर वह लिखते है और गानों की रिकॉर्डिंग होती है।इस कहानी ने उनकी शोहरत में

इज़ाफ़ा कर दिया था।उनकी बेवफाई के दर्द भरे गाने "अच्छा सिला दिया तू ने मेरे प्यार का ,यार ने ही लूट लिया घर यार का।"दिल

तोड़कर हंसती हो मेरी,वफ़ाएँ मेरी याद करोगी,।इश्क में हम क्या बताएं,किस कदर चोट खाये हुए हैं।आदि सुनकर लोगों को आसानी

से अताउल्लाह खान की महबूबा की बेवफाई पर यकीन भी हो जाता था।हालांकि यह कहानी बिल्कुल फिल्मी थी जिसमे कोई सच्चाई नहीं

थे।लेकिन इस कहानी ने उन्हें लोक प्रियता खूब दिलायी।नब्बे के दशक में युवा दिलों पर राज करने वाले अताउल्लाह खान का जन्म

19 अगस्त 1951 में पाकिस्तान में हुआ था।उन्हें बचपन से गाना गाने का शौक था।वो भारत मे स्टार तो बने ही महज़ 22 साल की उम्र

में पाकिस्तान के नामी चेहरों में उनका शुमार होने लगा था।40की उम्र में उन्हें पाकिस्तान के एक बड़े सम्मान"सितार ए इम्तियाज़" से भी

केनवाजा गया था।उनके के प्रोग्राम विदेशों में भी होने लगे।1994 में ब्रिटेन की महारानी ने उन्हें सम्मानित किया।उन्हें प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस अवार्ड से भी नवाजा गया है।

  पाकिस्तान के पॉप सेंसेशन हसन जहागीर का जादू भी 80 -90 के दशक में युवाओं के सिर चढ़कर बोलता था।उस दौर में लोग फिल्मों

को कम फिल्मी गानों को ज़्यादा याद रखते थे ।किसी फिल्म के अच्छे गाने फिल्मों के हिट होने की गारंटी होते थे।कहते है कि कला

और संगीत दो ऐसे क्षेत्र हैं जो सरहदों को नहीं मानते।पाकिस्तानी पॉप सिंगर हसन जहागीर के "हवा हवा" एल्बम पाकिस्तान और

भारत दोनों देशों मे ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में इतना हिट हुआ कि उसकी 15 मिलियन कॉपियां देखते ही देखते बिक गयी।

कहा जाता है यह एक ईरानी गाना था।इस गाने का क्रेज़ बहुत लंबा चला।वॉलीवुड की कुछ फिल्मों में रीमिक्स केतौर पर भी "हवा हवा"

गाने को चलाया गया।अनीस बज़्मी के निर्देशन में बनी मुबारका में इस गाने को नए वर्जन के साथ शामिल किया गया।जिसे मीका सिंह

और प्रकृति पक्कड़ ने गया।दिलचस्प बात यह है कि गूगल ने 2017 में सबसे ज़्यादा सर्च किये गए गानों की सूची बनाई है।जिसमे फ़िल्म मुबारका का यह "हवा हवा "गाना नम्वर वन पर रहा है।

नब्बे के दशक में भारतीय गायकों के गाने आज भी लोगों को पसंद है।अलीशा चिनाय ने अन्नू मलिक के साथ ज़्यादा गाना गाये।अलीशा

का "मेड इन इंडिया"आज भी ज़बान पर आजाता है और गुनगुनाने को दिल चाहता है।"दिल तू ही बता,तेरा होने लगा हूँ ,आदि गानों पर

पैर थिरकना मामूली बात है।अलीशा नब्बे के दशक की पॉप सेंसेशन थी।इसी दौर में उदित नारायण का लव सांग भी काफी फेमस था।"ऐ

मेरे हम सफर,पापा कहते है बड़ा नाम करेगा आदि गानों ने रातों रात संगीत का शहंशाह बना दिया।अलका याग्निक के गाने "बाज़ी गर ओ

बाज़ीगर,टिप टिप बरसा पानी ,आदि खूब हिट हुए।अलका याग्निक ने उस वक़्त 7 फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड जीते।कुमार शानू उस वक़्त के

बेस्ट प्ले सिंगर थे।उनके गाने "अब तेरे बिन जी लेंगे हम, ये काली काली आंखे,एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा,ने अपने समय खूब

धूम मचाया।1993 में कुमार शानू का नाम भी गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।उन्होंने एक दिन 28 गाने गाए। सोनू

निगम के लिए भी अताउल्लाह खान यह गाना "अच्छा सिला दिया तू ने मेरे प्यार का सोनू निगम के लिए भी मुफीद साबित हुआ।उस वक़्त

निगम रफी साहब के गानों को गाकर अपने करियर की शुरआत कर रहे थे लेकिन बेवफा सनम फ़िल्म में इस गाने को गाकर रातों रात

फेम हो गए।अताउल्लाह खान की आवाज़ नब्बे के दशक में हिंदुस्तान के छोटे छोटे कस्बों तक पहुंच गई थी ।लेकिन अताउल्लाह पहली

बार 2014 मे भारत आये और दिल्ली ऐतिहासिक पुराने किले में आयोजित "महफ़िल ए रूहानियत"में शिरकत किया।इस प्रोग्राम के

आयोजन का मकसद सर्वाइकल कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करना था।अताउल्लाह खान के सूफी संगीत रूहानियत से भरे गानों

ने लोगो को दो दशक फ़्लैश बैक में जाने पर मजबूर कर दिया।यह अताउल्लाह खान की  भारत मे पहली परफॉर्मन्स थी।अपनी

करिश्माई आवाज़ की जादू से लोगों को सराबोर करने वाले अताउल्लाह खान खुद मुकेश कुमार,किशोर दा और लता के

ज़बरदस्त फैन हैं और इन गायकों के गाने गुनगुनाते रहते हैं।यही नहीं 7 भाषाओं में 50 हज़ार गाने रिकॉर्ड करने वाले अताउल्लाह खान

का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भो दर्ज है ,तुम्हें याद हो,के न याद हो।


(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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