सग़ीर ए ख़ाकसार
तुलसीपुर।।तुलसीपुर के उत्साही,बेमिसाल शख्सियत आमिर शाह मीरु इस दुनिया को और भी खूबसूरत बनाने में जुटे हैं।उनके ज़िंदगी
का मकसद सिर्फ प्यार बांटना है।क्या हिन्दू ?क्या मुसलमां?सभी पर मोहब्बत की खशबू बिखेर रहे हैं।यही नहीं बेज़ुबान जानवरों से
बेइंतेहा मुहब्बत करने की इनकी अदा इन्हें इंसान से फरिश्ता जैसा बना देती है।
कोरोना जैसी महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है।अपने देश मे भी मुश्किल घड़ी है।मीरु पूरी शिद्दत से नगर वासियों की खिदमत में लगे
हैं।सरकार के आदेशों का पालन करते है और दूसरे लोगों को भी प्रेरित करते हैं। लॉक डाउन के पालन की अपील करते हैं।घर मे रहने
की सलाह भी देते हैं।क्या दिन और क्या रात हमेशा ज़रूरत मंदों की मदद के लिए खड़े रहते हैं।जब हम रात में आराम की नींद सो रहे
होते है ,तब मीरु सुनसान नगर की सड़कों पर खाना लेकर निकल पड़ते है ,ये देखने कि कोई नगर में भूखा तो नहीं रह गया।
मज़दूर,रिक्शा,चालक और लाचार जहां भी दिखता है उसे ज़रूरत का सामान दे दते हैं।यही नही मीरु बेज़ुबान जानवरों से भी बेइंतेहा
मुहब्बत करते हैं कभी गाय की सेवा करते हुए दिखायी पड़ते है तो कभी अपनी छत से बंदरों को खाना खिलाते हुए नज़र आते हैं।
प्रधामंत्री के आह्वान पर एकता के दीप भी जलाते हैं और मुहब्बत का चराग तो हमेशा इनके दिल को रोशन किये रहता है।आमिर शाह मीरु
कहते हैं अपना तो काम है मुहब्बत बांटना ,आज इस दुनिया को सबसे ज़्यादा प्यार की ज़रूरत है।वो कहते है कि
उनका जो काम है वो अहले सियासत जाने
अपना पैग़ाम मुहब्बत है जहाँ तक पहुंचे।।
तुलसीपुर।।तुलसीपुर के उत्साही,बेमिसाल शख्सियत आमिर शाह मीरु इस दुनिया को और भी खूबसूरत बनाने में जुटे हैं।उनके ज़िंदगी
का मकसद सिर्फ प्यार बांटना है।क्या हिन्दू ?क्या मुसलमां?सभी पर मोहब्बत की खशबू बिखेर रहे हैं।यही नहीं बेज़ुबान जानवरों से
बेइंतेहा मुहब्बत करने की इनकी अदा इन्हें इंसान से फरिश्ता जैसा बना देती है।
कोरोना जैसी महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है।अपने देश मे भी मुश्किल घड़ी है।मीरु पूरी शिद्दत से नगर वासियों की खिदमत में लगे
हैं।सरकार के आदेशों का पालन करते है और दूसरे लोगों को भी प्रेरित करते हैं। लॉक डाउन के पालन की अपील करते हैं।घर मे रहने
की सलाह भी देते हैं।क्या दिन और क्या रात हमेशा ज़रूरत मंदों की मदद के लिए खड़े रहते हैं।जब हम रात में आराम की नींद सो रहे
होते है ,तब मीरु सुनसान नगर की सड़कों पर खाना लेकर निकल पड़ते है ,ये देखने कि कोई नगर में भूखा तो नहीं रह गया।
मज़दूर,रिक्शा,चालक और लाचार जहां भी दिखता है उसे ज़रूरत का सामान दे दते हैं।यही नही मीरु बेज़ुबान जानवरों से भी बेइंतेहा
मुहब्बत करते हैं कभी गाय की सेवा करते हुए दिखायी पड़ते है तो कभी अपनी छत से बंदरों को खाना खिलाते हुए नज़र आते हैं।
प्रधामंत्री के आह्वान पर एकता के दीप भी जलाते हैं और मुहब्बत का चराग तो हमेशा इनके दिल को रोशन किये रहता है।आमिर शाह मीरु
कहते हैं अपना तो काम है मुहब्बत बांटना ,आज इस दुनिया को सबसे ज़्यादा प्यार की ज़रूरत है।वो कहते है कि
उनका जो काम है वो अहले सियासत जाने
अपना पैग़ाम मुहब्बत है जहाँ तक पहुंचे।।
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