समर्पण के बिना संगठन मजबूत नहीं बन सकता। संतान से सेवा चाहते हैं तो पहले संतान को सुश्रुत बनावे। अपने और पराए के कल्याण के लिए ईश्वर की उपासना करने हेतु हवन यज्ञ किया जाता है

झिंझाना 15 मार्च। । धरती पर व्याप्त सभी सुखों में अच्छी संगत पाने का सुख सर्वोपरि सुख है । आर्य पद्धती में हाथ जोड़कर नमस्ते करना पहले से ही था। जिसे आज कोरोना के डर से प्रधानमंत्री मोदी  के आव्हान पर विश्व भर में अपनाया जा रहा है। जो विश्व गुरु बनने बनने के लिए भारत का एक सशक्त कदम है।



       आज रविवार को झिंझाना स्थित आर्य समाज मंदिर में आर्य जागृति सम्मेलन में जिलेभर से पहुंचे तमाम आर्य बंधुओं को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए आर्य समाज के प्रखर विद्वान एवं

पूर्व प्रधानाचार्य मुख्य अतिथि डॉ भोपाल सिंह आर्य ( छपरौली ) ने उपरोक्त अनुसार उपदेश दिया। डॉक्टर आर्य ने सत्यार्थ प्रकाश एवं

वेद शिक्षा के अनुसार आर्य जागृति के लिए आध्यात्मिक एवं  सुसंस्कारित बनने को लोगों को जागरूक किया । आर्य ने कहा कि आर्य बंधुओं  के समर्पण के बिना आर्य समाज संगठन मजबूत नहीं

बन सकता। स्वामी विवेकानंद के अनुसार  सर्वप्रथम हमें  स्वाध्याय कर ब्रह्मयज्ञ , देवयज्ञ आदि पांचो यज्ञों को करना होगा। उन्होंने कहा यदि संतान से सेवा चाहते हो तो पहले  संतान को सुश्रुत अर्थात  सुनने की शिक्षा दें।


    उन्होंने समझाया कि हवन यज्ञ क्यों किया जाना चाहिए । अपने और पराए के कल्याण के लिए ईश्वर की उपासना करने हेतु हवन यज्ञ किया जाता है। धरती पर व्याप्त सभी सुखों में अच्छी संगत पाने का

सुख सर्वोपरि है । आर्य पद्धती में हाथ जोड़कर नमस्ते करना पहले से ही था। जिसे आज कोरोना के डर से प्रधानमंत्री मोदी के आव्हान पर विश्व भर में अपनाया जा रहा है। हम सब आर्यों के लिए यह गर्व की बात है। यह भारत को विश्व गुरु की ओर बढ़ने का एक कदम माना जाना चाहिए।

      कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मीचंद  आर्य  एवं अध्यक्षता चौधरी वीरपाल सिंह आर्य ने की। मुख्य अतिथि डॉक्टर भोपाल सिंह आर्य  उपस्थित हुए सम्मेलन से पूर्व  वैदिक पुरोहित  सुदेश आर्य के नेतृत्व

में  साप्ताहिक हवन यज्ञ  संपन्न हुआ। जिसमें  राकेश कुमार गर्ग , विनोद कुमार संगल , नवीन कुमार जिंदल , अमित कुमार गोयल , मनीष कुमार गर्ग  सपत्नी  यजमान  उपस्थित रहे ।


   आर्य समाज झिंझाना के प्रधान अशोक बहादुर गोयल के संयोजन में आयोजित आर्य जागृति सम्मेलन के मंच पर चौधरी वीरपाल सिंह , सुदेश पाल सिंह , रामपाल सिंह , आचार्या प्रतिभा देवी , पूरन चंद ( बागपत ) , रघुवीर सिंह आदि मंचासीन हुए ।


     सम्मेलन को संबोधित करते हुए आचार्य प्रतिभा देेवी ने आर्य समाज के विघटन पर चिंतित होते हुए आह्वान किया कि आर्य बंधु परोपकार के लिए अपने मोहल्ले से शुरुआत करें।

   सुबोध आर्य ( मुंडेटकला ) ने विज्ञान के दुरुपयोग से तरक्की नहीं होना बताया। आर्य समाज झिंझाना के प्रधान अशोक बहादुर गोयल ने देश और समाज के लिए बनाए गए संविधान पर ही चलने का आह्वान किया। उन्होंने अंधविश्वास पर नहीं कर्म प्रधानता पर जीवन जीने की प्रेरणा दी।

    प्रवक्ता सहदेव आर्य ने संस्कृत भाषा को रोजगार परक नहीं होने पर हिंदू एवं आर्य संस्कृति के कमजोर होने का आरोप लगाया। डॉ विकास आर्य ने वीर हकीकत का दृष्टांत बताते हुए इस्लाम धर्म कबूल

करने की बजाय वीर हकीकत द्वारा फांसी चूमने की सराहना की।
       पूर्व मंत्री रविंद्र कुमार आर्य ने द्वेष भावना से ऊपर उठकर त्याग एवं समर्पण के साथ संगठन को मजबूत बनाने का आह्वान किया।

वैदिक पुरोहित सुदेश पाल आर्य ( बागपत ) ने मूर्ति पूजा से बचकर हवन यज्ञ द्वारा स्वयं परिवार एवं वातावरण को शुद्ध करने का आह्वान किया । वेद सिंह आर्य ने कविता के माध्यम से ऋषि दयानंद

के संदेश को समझाया । कार्यक्रम में रामपाल सिंह , पूर्ण चंद , राकेश कुमार गर्ग ने भी संबोधित किया।

प्रेम चंद वर्मा

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