क्रांतिकारियों के प्रति नेताओं की अनदेखी ,जनता की बे वफाई ,
भारत के स्वतंत्रता महासंग्राम आज़ादी की प्रमुख जोड़ी, सरदार
भगत सिंघ जी , राजगुरु जी, सुखदेव जी के बलिदान दिवस 23 मार्च की अमर वीर शहीद राष्ट्र सपूतों को कोटि कोटि नमन करता हूं ,
और इनकी भूली यादों को हर भारतीय के दिलों में पुनः जिंदा ,कर क्रांतिकारी इतिहास की नई पारी की शुरूआत करते है , आज से
सात दशक पहले , ब्रिटिश हुकूमत के वहशी , दमन अत्याचारों , के इतिहास के बारे में सभी देशवसी , भली भांति जानते हैं , ब्रिटिश
हुकूमत की जंजीरों की बेड़ियों से भारत मां को गुलामी से मुक्त कराने के लिए हमारे अनेक वीर क्रांतिकारियों ने भारत मां की रक्षा
करते हुए , हंसते हंसते, फांसी के फंदों पर झूल गए , तो कुछ गोलियां, लाठियां खाकर शहीद हो गए , उन्हीं में से एक ऐसी
अनोखी चट्टान जोड़ी जिसका, अंग्रेजों की कठोर से कठोर सजा हिला ना सकी उनके हौसले भरी इरादों की दीवार को वो दीवार थी
शहीद ए आजम सरदार भगत सिंघ जी राजगुरु जी , सुखदेव जी की , जिनकी कुर्बानी के बाद देश की क्रांति में भूचाल आ गया और
अंग्रेजो को भारत से भागना ही पड़ा , कभी खयालों में भी नहीं सोचा होगा , जिस देश व देशवासियों को अंग्रेजों की गुलामी
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जंजीरों से आज़ाद कराने के लिए , कठोर यातनाएं सहते हुए , आज हम जिस देश को आजाद करा कर चले हैं, कभी आने वाले चंद सालों
मै , इस देश के नेता और देश की आवाम , हमारे बलिदान को भुला देंगे , ऐसा कभी नहीं सोचा होगा , ये उनके विशाल हृदय में
समुद्र की लहरों की तरह , उमंगें लहराती होंगी , हम रहें या ना रहें हमारे प्यारे , देशवासी रहेंगे , हमारी कुर्बानी के बाद देश आज़ाद हो
जाएगा , कोई किसी का गुलाम नहीं, होगा , सब आज़ादी की खुली सांसें लेंगे , देश में समानता होगी , साम्राज्यवाद का अंत होगा ,
नए समाजवाद का उदय होगा , , सभी देशवासी आपस में मिलकर रहेंगे , सभी धर्मो की सांस्कृती के फूलों के रंग की महक की खुशबू
देश में बिखरेगी , और लोग एक दूसरे का सम्मान करेंगे, और हमारे क्रांतिकारी वीरों के बलिदान को याद करेंगे , हर वर्ष देश में आज़ादी
के मेले लगेंगे , जश्न के आनन्द में झूमेंगे , क्रांतिकारियों की वीर गाथाएं गाई जाएंगी , और आने वाली नई युवा पीढ़ी को
क्रांतिकारियों के साहित्य से देशभक्ति जागेगी और देश पर मर मिटने का जज्बा पैदा होगा यह सारी बातें कभी मस्ती के मूड में
क्रांतिकारियों के म मस्तिक में घूमती होंगी , इन महान विभूतियों ने कभी अंदाजा नहीं लाया होगा कभी ऐसी भी मनहूस घड़ी आएगी
जिस वतन की खातिर शहीद होने जा रहे हैं , उस देश की आवाम हमको भूल जाएगी , और शहीद का दर्जा देने की बजाय कुछ चंद
स्वार्थी विकृत मानसिकता वाले लोग आतंकवादी की परिभाषा से नवाजेंगे , और राजनीति रोटियां सेकेंगे , क्रांतिकारियों को जाति धर्म
में रखकर लोगों में आपसी मतभेद भी पैदा करेंगे, नेताओं के साथ-साथ देश की जनता ने भी क्रांतिकारियों के साथ उदासीनता की
भावना प्रकट की है जिन लोगों ने अंग्रेजों की चाटुकारी उनको सर्वो पर बैठाया , उनकी जयंती पर 6 महीने पहले से सरकारें भी सचेत हो
जाती हैं और स्वच्छता का नाम देकर तैयारियों में शासन-प्रशासनजुट जाता हैं और समाज में यह संदेश पहुंचाया जाता है देश की आजादी
के पितामह जिन्होंने अंग्रेजों का एक डंडा की बात तो दूर कभी एक चांटा तक नहीं खाया , और इनके सर पर आजादी का ताज फहरा
दिया जो वर्षों अंग्रेजों की कालकोठरी में रहे लाठी डंडे खाए 116 दिन भूख हड़ताल की गोलियां खाई अपना खून बहाया और हंसते-
हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए उनको आजाद देश में आतंकवादी की परिभाषा मिली और नेताओं की उदासीनता जनता की बेवफाई
मिली , वाह रे जमाने , तेरी बेवफाई , हमने कुर्बानी देकर निभाई , चाटू कारों की जयंतियां ही मना सकते हैं बलिदान दिवस नहीं , ये तो वीरों के ही मनाए जाते हैं
शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह जी राजगुरु सुखदेव जी कोटि कोटि तहे दिल से नमन करते हुए
अंत में देशवासियों से यही अपील करूंगा अपने महान क्रांतिकारियों को ना भूलो इनकी अनमोल
कुर्बानी को याद करो , ना इनको जाति धर्म से देखो क्रांतिकारियों की ना कोई जाति होती है ,ना मजहब होता है ,उनका तो सारा जहां होता है ,बस
हर बार यही मैं काम करूंगा, क्रांतिकारियों के सम्मान में जीवन लगा दूंगा, जय हिन्द जय भारत, इंकलाब जिंदाबाद, क्रांतिकारी अमर
रहे, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, समाजवाद जिंदाबाद
विचार, बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन
भारत के स्वतंत्रता महासंग्राम आज़ादी की प्रमुख जोड़ी, सरदार
भगत सिंघ जी , राजगुरु जी, सुखदेव जी के बलिदान दिवस 23 मार्च की अमर वीर शहीद राष्ट्र सपूतों को कोटि कोटि नमन करता हूं ,
और इनकी भूली यादों को हर भारतीय के दिलों में पुनः जिंदा ,कर क्रांतिकारी इतिहास की नई पारी की शुरूआत करते है , आज से
सात दशक पहले , ब्रिटिश हुकूमत के वहशी , दमन अत्याचारों , के इतिहास के बारे में सभी देशवसी , भली भांति जानते हैं , ब्रिटिश
हुकूमत की जंजीरों की बेड़ियों से भारत मां को गुलामी से मुक्त कराने के लिए हमारे अनेक वीर क्रांतिकारियों ने भारत मां की रक्षा
करते हुए , हंसते हंसते, फांसी के फंदों पर झूल गए , तो कुछ गोलियां, लाठियां खाकर शहीद हो गए , उन्हीं में से एक ऐसी
अनोखी चट्टान जोड़ी जिसका, अंग्रेजों की कठोर से कठोर सजा हिला ना सकी उनके हौसले भरी इरादों की दीवार को वो दीवार थी
शहीद ए आजम सरदार भगत सिंघ जी राजगुरु जी , सुखदेव जी की , जिनकी कुर्बानी के बाद देश की क्रांति में भूचाल आ गया और
अंग्रेजो को भारत से भागना ही पड़ा , कभी खयालों में भी नहीं सोचा होगा , जिस देश व देशवासियों को अंग्रेजों की गुलामी
जंजीरों से आज़ाद कराने के लिए , कठोर यातनाएं सहते हुए , आज हम जिस देश को आजाद करा कर चले हैं, कभी आने वाले चंद सालों
मै , इस देश के नेता और देश की आवाम , हमारे बलिदान को भुला देंगे , ऐसा कभी नहीं सोचा होगा , ये उनके विशाल हृदय में
समुद्र की लहरों की तरह , उमंगें लहराती होंगी , हम रहें या ना रहें हमारे प्यारे , देशवासी रहेंगे , हमारी कुर्बानी के बाद देश आज़ाद हो
जाएगा , कोई किसी का गुलाम नहीं, होगा , सब आज़ादी की खुली सांसें लेंगे , देश में समानता होगी , साम्राज्यवाद का अंत होगा ,
नए समाजवाद का उदय होगा , , सभी देशवासी आपस में मिलकर रहेंगे , सभी धर्मो की सांस्कृती के फूलों के रंग की महक की खुशबू
देश में बिखरेगी , और लोग एक दूसरे का सम्मान करेंगे, और हमारे क्रांतिकारी वीरों के बलिदान को याद करेंगे , हर वर्ष देश में आज़ादी
के मेले लगेंगे , जश्न के आनन्द में झूमेंगे , क्रांतिकारियों की वीर गाथाएं गाई जाएंगी , और आने वाली नई युवा पीढ़ी को
क्रांतिकारियों के साहित्य से देशभक्ति जागेगी और देश पर मर मिटने का जज्बा पैदा होगा यह सारी बातें कभी मस्ती के मूड में
क्रांतिकारियों के म मस्तिक में घूमती होंगी , इन महान विभूतियों ने कभी अंदाजा नहीं लाया होगा कभी ऐसी भी मनहूस घड़ी आएगी
जिस वतन की खातिर शहीद होने जा रहे हैं , उस देश की आवाम हमको भूल जाएगी , और शहीद का दर्जा देने की बजाय कुछ चंद
स्वार्थी विकृत मानसिकता वाले लोग आतंकवादी की परिभाषा से नवाजेंगे , और राजनीति रोटियां सेकेंगे , क्रांतिकारियों को जाति धर्म
में रखकर लोगों में आपसी मतभेद भी पैदा करेंगे, नेताओं के साथ-साथ देश की जनता ने भी क्रांतिकारियों के साथ उदासीनता की
भावना प्रकट की है जिन लोगों ने अंग्रेजों की चाटुकारी उनको सर्वो पर बैठाया , उनकी जयंती पर 6 महीने पहले से सरकारें भी सचेत हो
जाती हैं और स्वच्छता का नाम देकर तैयारियों में शासन-प्रशासनजुट जाता हैं और समाज में यह संदेश पहुंचाया जाता है देश की आजादी
के पितामह जिन्होंने अंग्रेजों का एक डंडा की बात तो दूर कभी एक चांटा तक नहीं खाया , और इनके सर पर आजादी का ताज फहरा
दिया जो वर्षों अंग्रेजों की कालकोठरी में रहे लाठी डंडे खाए 116 दिन भूख हड़ताल की गोलियां खाई अपना खून बहाया और हंसते-
हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए उनको आजाद देश में आतंकवादी की परिभाषा मिली और नेताओं की उदासीनता जनता की बेवफाई
मिली , वाह रे जमाने , तेरी बेवफाई , हमने कुर्बानी देकर निभाई , चाटू कारों की जयंतियां ही मना सकते हैं बलिदान दिवस नहीं , ये तो वीरों के ही मनाए जाते हैं
शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह जी राजगुरु सुखदेव जी कोटि कोटि तहे दिल से नमन करते हुए
अंत में देशवासियों से यही अपील करूंगा अपने महान क्रांतिकारियों को ना भूलो इनकी अनमोल
कुर्बानी को याद करो , ना इनको जाति धर्म से देखो क्रांतिकारियों की ना कोई जाति होती है ,ना मजहब होता है ,उनका तो सारा जहां होता है ,बस
हर बार यही मैं काम करूंगा, क्रांतिकारियों के सम्मान में जीवन लगा दूंगा, जय हिन्द जय भारत, इंकलाब जिंदाबाद, क्रांतिकारी अमर
रहे, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, समाजवाद जिंदाबाद
विचार, बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन
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