देश वासियों कभी भूली बिछड़ी यादों को भी नमन कर के याद कर लिया करो........ बी एस बेदी


चेहरे पर मासूमियत , आंखों में आजादी का सपना पिरोए, दिल में क्रांतिकारी की ज्वाला, दुश्मनों से कभी ना डरने वाला , मात्र 19 वर्ष की अल्प आयु में फांसी को चूमने वाला   , घुंघराले बालों वाला , महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस ,भारत की आजादी के अध्याय  में अहम स्थान रखते हैं  जिनका जन्म 3 दिसंबर 1889 को  बंगाल में मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था ।
बचपन में ही खुदीराम बोस के माता पिता का देहांत हो गया था । माता पिता के जाने के बाद उनका पालन पोषण उनकी बड़ी बहन ने किया । देश में 1905 में बंगाल विभाजन के बाद आजादी का आंदोलन बड़े जोर पर था । खुदीराम बोस के दिल में भारत मां को अंग्रेजों की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए क्रांति की ज्वाला देखने लगी । और छात्र जीवन में ही नौवीं क्लास में ही स्कूल छोड़ दिया । और आजादी के लिए आंदोलन में कूद पड़े क्रांतिकारी सत्येन बॉस के नेतृत्व में अंग्रेजी साम्राज्य का अंत ।

और भारत को आजादी दिलाने के सफर की शुरुआत की     और पहली परीक्षा क्रांतिकारियों के साथ हैवानियत क्रूरता दिखाने वाले अंग्रेज अधिकारी किंग्सफोर्ड का अंत करने की जिम्मेदारी क्रांतिकारी संगठन ने खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चंद चाकी को दी । और अपने कर्तव्य का पालन करते हुए दोनों क्रांतिकारी अपने मिशन को अंजाम देने के लिए कोलकाता से बिहार मुजफ्फरपुर आए  दुष्ट अधिकारी की खोज करते हुए एक दिन उसके बंगले के बाहर को सबक सिखाने के लिए मोर्चा संभाल लिया  रात का समय था एक  बंगले की ओर से एक बग्गी गाड़ी आती दिखाई दी  जिससे वह आता जाता था  और दोनों क्रांतिकारियों ने उस बग्गी  पर बम फेंका और अंजाम देने के बाद दोनों क्रांतिकारी फरार हो गए ।

दुर्भाग्य रहा के किंग्सफोर्ड की जगह दूसरा अधिकारी जो अपनी पत्नी और बेटी के साथ जा रहा   वह शिकार का हादसा हुआ बेटी की मौके पर ही मृत्यु हो गई पत्नी व अंग्रेज अधिकारी गंभीर  जख्मी हो गया । उसके बाद अंग्रेज पुलिस  दोनों वीरों के पीछे   कुत्ते की तरह पड़ गई  बाद में इस बात का पता चला कि किंग्स फोर्ट बच गया उसकी जगह पर कोई अन्य अधिकारी मारा गया वह गलतफहमी का शिकार हुआ दोनों की बग्गी गाड़ी का रंग मिलता जुलता था  ।


 कुछ मील भागने के बाद पुलिस ने घेर लिया प्रफुल्ल चंद ने अंग्रेज पुलिस का डटकर मुकाबला किया  अपने को घिरता देख अंत में खुद को गोली मार कर वीरगति को प्राप्त हो गए । खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया अंग्रेजी साम्राज्य में कानून को कठपुतली बना रखा था  मात्र 5 दिन के अंदर इतने संगीन केस में क्रांतिकारी खुदीराम बोस को अंग्रेजी अदालत ने सजा ए मौत की सजा सुना कर  भारत के महान क्रांतिकारी ने 11 अगस्त 1908 को  गीता के श्लोक पढ़ते हुए और हंसते हुए  मौत को अपनी वीरता के पैरों तले रौंद ते हुए  फांसी के फंदे को चूम लिया और सदा सदा के लिए अमर हो गए , और देशवासियों को  देशभक्ति का संदेश दे गए , जाते जाते देश को आजाद करा गए
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महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन करता हूं, 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐💐💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳  वंदे मातरम , इंकलाब, जिंदाबाद ।  बी एस बेदी ,   संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन

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