30 दिसंबर को दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम विषय पर राष्ट्रीय अनुसूचित विकास परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया इस ज्वलंत विषय पर पूरे देश से क़रीब तीन सौ प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया

राजधानी नई दिल्ली भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय सह मीडिया कोऑर्डिनेटर श्री रणजीत सिंह भाटी ने कहा 30 दिसंबर को दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम विषय पर राष्ट्रीय अनुसूचित विकास परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया इस ज्वलंत विषय पर पूरे देश से क़रीब तीन सौ प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिससे भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री डॉ जयप्रकाश नड्ढा भाजपा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री बी एल संतोष जी व भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विनोद सोनकर जी द्वारा भी सम्बोधित किया गया इस संगोष्ठी को राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं, द्वारा  संबोधित किया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी सम्मिलित थे ।


नागरिकता संशोधन अधिनियम पर पूरे देश में कुछ लोग भ्रांति उत्पन्न कर रहे हैं की यहाँ के मुसलमानों कि नागरिकता ख़तरे में है, जो सरासर ग़लत है ।इस अधिनियम द्वारा पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आये हिंदू, सिख , बौद्ध , पारसी और ईसाई को नागरिकता देने का प्रविधान है न की किसी की नागरिकता छीनने का । बँटवारे के समय पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान(अब बांग्लादेश ) में 23% हिंदू सिख आदि अल्पसंख्यक थे , जो अब पाकिस्तान में 2.8% तथा बांग्लादेश में 7% रह गये है जो अधिकतर दलित है। आये हुए इन शरणार्थियों में 70-80% दलित है , आख़िर वे कहाँ जाएँगे।

कुछ लोग मुसलमानों को इस अधिनियम से अलग करने पर देश को भ्रमित कर रहे है।इन देशों से कोई मुसलमान प्रताड़ित होकर यहाँ नहीं आया है , हाँ कुछ घुसपैठिए अवश्य आये है जिन्हें किसी भी हालत में नागरिकता नहीं दी जा सकती जो अधिकतर बंगलादेशी मुसलमान है   किसी भी भारतीय मुसलमान को इस अधिनियम से कोई आशंका नहीं होनी चाहिये।अधिनियम का विरोध करने वाले देश हित के बिलकुल विपरीत बात कर रहे है।

प्रदर्शनों में राष्ट्रीय ध्वज तथा बाबा साहब आम्बेडकर के चित्रों को लाकर दलितों को गुमराह किया जा रहा है कि इस प्रदर्शन में दलित हिस्सा ले रहे है जो एकदम ग़लत है।समविधान को ना कोई ख़तरा है और न ही भविष्य में रहेगा।पीएफ़आई की घृणित भूमिका का पर्दाफ़ाश हो चुका है जिन्होंने गुमराह करके हिंसा का तांडव किया जो प्रतिबंधित सिम्मी का नया अवतार है जो वर्ष 2006 में केरल में बना था। दुःखद यह है कि कुछ राजनैतिक पार्टियाँ भी अपनी वोटबैंक की राजनीति के तहत इसे हवा दे रही है।

जिनकों भारत की नागरिकता मिल रही है , उसमें 70-80% प्रताड़ित दलित है। नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने वाले घोर दलित विरोधी भी है जिन्होंने ने Article 370 को समाप्त करने पर भी विरोध किया था। इसके समाप्त होने पर ही जम्मू कश्मीर में दलितों , ओबीसी तथा गरीब स्वर्ण जनों को वहाँ न्याय मिल सका नहीं तो वहाँ भारत का समविधान ही लागू नहीं होता था

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