चौराह सरदार भगत सिंह और प्रशासन दस्तावेज , अखबारों की न्यूज़ में परेड .क्रांतिकारी के नाम पर खिलवाड़ : बी0 एस0 बेदी


कानपुर नगर में  लग भग 70 वर्ष पुराना एक चौराह था जहां अंग्रेज़ भारतीयों को अत्याचार करते हुए वहां परेड कराते थे    इस प्रकार उस चौराह का निर्माण हुआ और उसका नाम  परेड  पड़ गया   जो हर भारतीय को एक तरह से जख्म देता और गुलामी की पहचान दिलाता  इस गुलामी से आजादी दिलाने के लिए अनेक हमारे क्रांतिकारियों ने कुर्बानियां दी      गुलामी नाम को परिवर्तन कर सरदार भगत सिंह के नाम पर रखने की मुहिम  सन 2016 में क्रांतिकारी संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी एस बेदी के नेतृत्व में इस मांग को उठाया गया और सन 2018 में कानपुर नगर निगम कार्यकारिणी में महापौर प्रमिला पांडे की अध्यक्षता में सर्वसम्मति से सरदार भगत सिंह के नाम पर चौराहा रखने का प्रस्ताव पारित हो गया 28 सितंबर 2019 को  सरदार भगत सिंह की जयंती वाले दिन नगर निगम की ओर से पूर्व नाम परिवर्तन कर  पर सरदार भगत सिंह चौराहा नाम से बोर्ड लगा दिए गए  दुर्भाग्य है प्रस्ताव तो पारित कर दिया आज भी सरकारी दस्तावेजों में पत्राचार , न्यूज़ अखबारों में परेड ही लिखा जाता है    यह एक क्रांतिकारी नाम के  साथ भद्दा व शर्मसार मजाक है   ऐसा लगता है आज भी लोगों की मानसिकता पर गुलामी का बोलबाला है 19 दिसंबर को जब संस्था ने कानपुर में सरदार भगत सिंह चौक शिक्षक में संस्था ने कार्यक्रम किया क्रांतिकारियों का बलिदान दिवस मनाया तो सभी अखबारों में परेड चौराहा नाम से समाचार लगा जबकि प्रमुख अखबारों व शहर के सभी समाचार पत्रों मे सरदार भगत सिंह के नाम पर चौराहा प्रस्ताव पारित की खबर छपी थी और सभी के संज्ञान में था अब इस स्थान का नाम क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह के नाम पर रखा गया है  फिर भी परेड के नाम से क्यों पुकारते हैं  संस्था इसकी कड़ी शब्दों में निंदा करती है    प्रशासन से मांग करती है  परेड नाम पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाए सरदार भगत सिंह के नाम पर सरकारी दस्तावेजों  पत्राचारों  में भगत सिंह चौक कराया जाए,

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