उर्स की व्यवस्थाओ में एस डी एम साहब व दरगाह प्रबंधन का कमाल: ठेकेदार व कुछ दलाल हो रहे मालामाल , दरगाह की आय को दिया जा रहा जानबूझ कर भारी नुकसान पिरान कलियर


अनवर राणा की रिपोर्ट

जिला प्रशासन द्वारा 2012 से आज तक कि जा रही व्यवस्थाओ की देखरेख में जितना नुकसान इस वर्ष दरगाह की आय को दरगाह प्रशासन द्वारा जानबूझकर ठेकेदारों व कुछ दलालों के जरिये दिया गया जिसमें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की को भृमित करते हुवे अपने लालच में नुकसान पहुंचकर उर्स की व्यवस्थाओ में भी अड़ंगा लगाकर चाक चौबंद करने की बजाय धर्मभरम कराया गया उससे ज्यादा नुकसान कभी वक्फ बोर्ड के अधीन भी दरगाह की आय का नुकसान नही हुआ होगा।
अब बात चाहे उर्स के दौरान छुटने वाले ठेको की हो या उर्स की व्यवस्थाओ की सब प्रत्यक्ष रूप से सामने आ रही है।क्योंकि उर्स शुरू होने से पूर्व वर्तमान ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के छुट्टी पर चले जाने के बाद चार्ज में आये ए एस डी एम महोदय की नजदीकियों का फायदा उठाकर कुछ लोग जमकर चांदी काटने में लगे है यही वजह है कि लंगर में रोटी बनाने के ठेके में भी पिछले साल के मुकाबले लगभग 500 रुपये प्रति कुंतल आटा,टिन शेड में 70 रुपये प्रति टीन अधिक की देनदारी दरगाह से की जानी है ,टेंट का ठेका पिछले 2.50 लाख का था इस बार सिर्फ 52 हजार बोली आयी सर्कस झूला में 30 लाख कम सिर्फ 16 लाख की बोली आयी जो पिछले वर्ष 46 लाख में हुआ था।इस बार ठेकेदारों को जिस ठेके से दरगाह को पेमेंट देना है उसकी बोली सांठगांठ के चलते कम ओर जिस ठेके से दरगाह खाते से पेमेंट लेना है उसकी अधिक किम्मति दर्शा कर ठेके किए जा रहे है।जिससे दरगाह की आय को मेलमिलाप कर दलालों की मार्फ़त अधिकारियों को गुमराह कर नुकसान दिया जा रहा है।
अब उर्स की तीन तारिक होने के बावजूद पूरे क्षेत्र में कहीं भी सफाई व अस्थायी शौचालयों का निर्माण व पीने के पानी के कोई स्टैंड पोस्ट नही लगाए गए है ओर दरगाह खाते से उर्स में इस काम के लिये एक बड़ा बजट बनाकर एस डी एम रुड़की से तो दलालों की मार्फ़त स्वीकृति कराने की कोशिश पूरी हो गयी लेकिन वक्फ बोर्ड सी ई ओ से किसी भी काम की स्वीकृति नही ली जा रही है जबकि अब से पूर्व में उर्स ठेको व नये कामो की स्वीकृति सी ई ओ वक्फ बोर्ड से लेनी पड़ती है तभी उसका पैसा भी सी ई ओ वक्फ बोर्ड के हस्ताक्षर से ही निकलता है।लेकिन उल्टी गंगा तलपट राजा वाली कहावत यहां पूरी जोर पकड़ रही है।
सभी ठेको में दलालों की मार्फ़त भारी पोल कराकर दरगाह प्रबंधतंत्र अवैध कमाई कर रहा है।अब देखना यह है कि सी ई ओ बक्फ बोर्ड आई ए एस अहमद इकबाल उर्स सफाई कार्य की फाइल जो कि सात दिन के लिये 13 लाख रुपये दरगाह से खाते कराने की कार्यवाही एस डी एम के द्वारा की जा रही उसको स्वीकृति प्रदान करेंगे या नही जबकि 2015 तक उर्स में इस कार्य को स्वास्थ्य विभाग सरकारी बजट करता चला आ रहा था लेकिन एक भृष्ट दरगाह प्रबंधक द्वारा 2015 से नगर पंचायत कलियर में दरगाह के खाते से पैसा ट्रांसफर कर यह नई प्रणाली शुरू की थी जिससे दरगाह को नुकसान दिया जा रहा है ओर ठेकेदार से आधी रकम दरगाह प्रबंधतंत्र अधिकारियों के कमीशन के नाम पर डकारने का काम करता चला आ रहा है।दरगाह प्रबंधन के इस अन्यायपूर्ण कार्य पर वक्फ बोर्ड सी ई ओ नकेल लगा पाएंगे या नही यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन दरगाह अक़ीददत मन्द लोग उर्स में हो रहे ठेको में पैसे की बन्दरबांट को लेकर न्यायालय में जाने का मन बना चुके हैं।

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