समझो भारत न्यूज़ कैराना से सलीम फ़ारूक़ी की रिपोर्ट
कैराना में रामलीला से एक दिन बाद काल जुलूस निकाला जाता हैं। सदियों पुरानी इस परंपरा को जीवित रखने में हिदू ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय भी पूरी जिम्मेदारी से साथ निभा रहें हैं। यह अजीबो गरिब प्रथा हैं। प्रसाद समझ कर लोग काल से मार खाते हैं व काले कपडे करने के लोग पैसे देतें है। काल जुलूस यहां हिदू मुस्लिम समुदाय के सौहार्द, प्रेम व भाईचारे की मिसाल कायम कर रहा हैं कैराना की यह मिसाल इसीलिए आज भी बेमिसाल हैं।
दरअसल महाभारत काल में पानीपत की लडाई में जाते वक्त कर्ण ने जिस स्थान पर रात्री में विश्राम किया था। उसका नाम कर्णनगरी पड गया था। जो अब बदलकर कैराना हो गया। सालों से चली आ रहीं परंपरा को देखना हो तो कभी कैराना आइए।
शामली जनपद मुख्यालय से महज 12 किमी की दूरी पर स्थित कर्ण की इस नगरी में दोनों संप्रदाय के लोग देशभर में अनोखी मिसाल कायम कर रहें हैं। कैराना की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पूरे देश में देखने लायक हैं। हिदू परंपरा के अनुसार, श्री रामलीला महोत्सव हर शहर में शुरू हो चुका हैं।
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