युवतियों के युवतियों से सांसारिक संबंध अज़मेर में कोई नई बात नही इससे पहले भी कई युवतियों ने आपस में विवाह तो किया ही बल्कि कई युवतियां जवानी से लेकर अब बूढ़ी होने तक साथ रह रही है

युवती का युवती से सांसारिक संबंध और आई लव अजमेर


                  *✒समझो भारत न्यूज़ अजमेर से सुरेन्द्र चतुर्वेदी की रिपोर्ट

अजमेर के एस.पी कुँवर राष्ट्रदीप के सामने  पेश होकर दो युवतियों ने कहा कि वे आपस में एक दूसरे को प्यार करती हैं। एक दूसरे के बिना रह नहीं सकतीं। उन्हें परिवार जनों से ख़तरा है। सुरक्षा दिलाई जाए।फाय सागर रोड का यह मामला जब मुझ तक पहुंचा तो लगा वास्तव में मेरा शहर स्मार्ट होता जा रहा है । शहर वासियों के लिए अब यह शुभ सूचना है । शुभ संकेत हैं।आई लव अजमेर का रंग अब इस तरह से भी चढ़ने लगा है। युवतियों के इन फ़ैसलों से और विचारों से पता नहीं और पत्रकार सहमत हो या नहीं मगर मैं पूर्णतया सहमत हूँ। दोनों युवती बालिग हैं और बालिग़ हो जाने से हमारे देश का कानून नाबालिग़ हो जाता है। उन्हें अपनी मर्जी से ...अपनी ज़िन्दगी जीने का हक़ मिल जाता है।

         मित्रों!! यह कहानी इस शहर के लिए कोई नई नहीं है। बीस साल से मैं ऐसी कई वीरांगनाओं को जानता हूं जो युवकों से सांसारिक रिश्ते बनाने से गुरेज़ करती है और समवयस्क युवतियों के समक्ष समर्पित हो जाती हैं। आदर्श नगर में रहने वाली दो अध्यापिकाओं से में वाकिफ़ हूँ जो विगत 30 साल से यानी  अपनी जवानी के प्रारम्भ से अब तक वृद्धावस्था तक एक दूसरे को प्रेममई सहयोग प्रदान कर रही हैं। पंचशील की एक युवती अपने पति को छोड़ कर अपने से उम्र में छोटी युवती को उसके परिवार से अलग करवा कर अपने साथ रखे हुए है। यहां भी वही किस्सा है। वैसे यह कोई कम बात नहीं कि  महिला पुरुषों से संतुष्ट न होकर महिला के साथ हो जाए और लगातार होती रहे। यदि ऐसा हो जाए और होता रहे तो इसमें किसी का क्या नुकसान है ?

     वैसे भी आंकड़े बताते हैं कि अजमेर शहर में साल भर में 500 विधिवत विवाह होते हैं जिनमें से 260 तो तलाक़ तक जा पहुंचते हैं । अजमेर अन्य शहरों की तुलना में तलाक़ के मामले में ज्यादा प्रगतिशील हैं । आए दिन पुलिस थानों में अपने पति के विरुद्ध नाना प्रकार के घटिया आरोपों के साथ मामले दर्ज़ होते हैं। पति द्धारा किये जाने वाले अत्याचारों में कई बार अप्राकृतिक मैथुन करने से नाराजगी भी शामिल होती है । समाज में *लिव इन रिलेशनशिप* का खेल भी लोकप्रिय होता जा रहा है । युवक युवतियाँ बिना विवाह के ही साथ-साथ रह कर वैवाहिक दायित्व निभाना पसंद करते हैं। इस बात को मेरे एक मित्र *वेद माथुर*  बडे ही मज़ेदार तरीके से व्यक्त करते हैं । पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें*  विज्ञापनों के युग में अब रिश्ते भी इस्तेमाल करने के बाद यक़ीन करते हैं।
     मेरे एक मित्र जिनकी अभी मृत्यु हो चुकी है । हाथी भाटा में रहते थे। उन्होंने अपनी पत्नी को महज इसलिए तलाक़ दे दिया था कि उनकी पत्नी का अपने साथ काम करने वाली किसी युवती के साथ सांसारिक संबंध थे। मित्र ने उनके व्हाट्सएप मैसेज पढ़ लिए। उन्हें बिस्तर पर एक दूसरे का उत्साहवर्धन करते देख लिया । कई चित्रों को आपत्तिजनक मुद्रा में कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट में पत्नी ने भी अंत में स्वीकार कर लिया कि उसे पुरुष के संसर्ग में सुख नहीं मिलता ।उसे युवतियों का ही साथ चाहिए। मित्र को तलाक़ मिल गया।
     अजमेर में यह कला विगत 20 सालों में भयंकर रूप से विकसित हुई है ।सहेलियों के साथ रहने पर घरवाले और समाज दोनों ही रोक नहीं लगाते। बल्कि शक़ भी नहीं करते । लड़कियों का लड़कियों के साथ रहना, आना-जाना, घूमना -फिरना ,सोना- जागना ,यूँ भी परिवारजन को हानिकारक या जोख़िम भरा नहीं लगता।
इन्हीं परिस्थितियों में विगत मंगलवार को एस.पी. साहब के सामने पेश हुई युवतियों ने अपने संबंधों की वक़ालत की।*  मेरे कुछ मित्रों ने इसे प्राकृतिक बीमारी की संज्ञा दी है। जिस तरह पुरुष का पुरुष के साथ संबंध बनाना सामाजिक रूप से हेय माना जाता है वैसे ही युवतियों  का युवतियों से संबंध बनाना भी लोग अच्छा नहीं समझते । "लैसबियन" जैसे शब्द अब कानून की दृष्टि में गैरकानूनी नहीं ।इसलिए पुलिस कप्तान कुंवर राष्ट्रदीप ने इसे ग़ैरकानूनी नहीं माना । पुलिस कप्तान की तरह मैं भी इन रिश्तों को अवैध नहीं मानता हूँ । मैं तो चाहता हूं कि हर युवती ऐसा ही करे ताकि युवक जान सकें कि उनकी करतूतों से समाज किस ओर जा रहा है। पुरुषों के प्रति युवतियों की धारणा क्यों बदलती जा रही है ? आने वाले समय मे ऐसा न हो कि युवतियां सिर्फ़ युवतियों के लिए रह जाएं और युवकों को युवकों से ही इतिश्री करनी पड़े। वैसे भी जब आप युवतियों को  ऐसा करने से रोक नहीं पा रहे तो आपको  इस  *हुनर* का स्वागत करना चाहिए।
      देश की बढ़ती जनसंख्या के लिए भी यह क्रिया कलाप लाभ दायक कहा जाएगा। मैं तो चाहता हूं कि इस तरह के रिश्ते गुप्त ना रखे जाएं, बाक़ायदा विवाह  हों। शादी के कार्ड छपें। युवती घोड़ी पर बैठकर बरात लेकर जाए। हनीमून पर जाया जाए। पर्यटन को बढ़ावा मिले ।पंडितों का घर चले । यूँ भी अजमेर शहर को आई लव अजमेर कहने वाले चोरी छिपे इसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं।।युवतियां युवतियों के साथ और युवक युवकों के साथ संपर्क सुविधा का लुत्फ़ ले रहे हैं। कई तो ऐसे हैं जो हिम्मत नहीं जुटा पाते और विवाह कर लेते हैं फिर जीवन साथी से सुख ना लेकर यहां -वहाँ सुख तलाशते रहते हैं। बेहतर होगा कि समाज धीरे-धीरे इस दिशा में क्रांतिकारी पहल करे। पुलिस इस दिशा में बेहतर अवसर प्रदान कर सकती है। मोदी जी को भी ऐसा करने वाले युवक- युवतियों के लिए एक कल्याणकारी योजना जरूर बनानी चाहिए।

           

अजमेर के एस.पी कुँवर राष्ट्रदीप के सामने  पेश होकर दो युवतियों ने कहा कि वे आपस में एक दूसरे को प्यार करती हैं। एक दूसरे के बिना रह नहीं सकतीं। उन्हें परिवार जनों से ख़तरा है। सुरक्षा दिलाई जाए।  फाय सागर रोड का यह मामला जब मुझ तक पहुंचा तो लगा वास्तव में मेरा शहर स्मार्ट होता जा रहा है । शहर वासियों के लिए अब यह शुभ सूचना है । शुभ संकेत हैं।आई लव अजमेर का रंग अब इस तरह से भी चढ़ने लगा है। युवतियों के इन फ़ैसलों से और विचारों से पता नहीं और पत्रकार सहमत हो या नहीं मगर मैं पूर्णतया सहमत हूँ। दोनों युवती बालिग हैं और बालिग़ हो जाने से हमारे देश का कानून नाबालिग़ हो जाता है।उन्हें अपनी मर्जी से ...अपनी ज़िन्दगी जीने का हक़ मिल जाता है।
         मित्रों!! यह कहानी इस शहर के लिए कोई नई नहीं है। बीस साल से मैं ऐसी कई वीरांगनाओं को जानता हूं जो युवकों से सांसारिक रिश्ते बनाने से गुरेज़ करती है और समवयस्क युवतियों के समक्ष समर्पित हो जाती हैं। आदर्श नगर में रहने वाली दो अध्यापिकाओं से में वाकिफ़ हूँ जो विगत 30 साल से यानी  अपनी जवानी के प्रारम्भ से अब तक वृद्धावस्था तक एक दूसरे को प्रेममई सहयोग प्रदान कर रही हैं। *पंचशील की एक युवती अपने पति को छोड़ कर अपने से उम्र में छोटी युवती को उसके परिवार से अलग करवा कर अपने साथ रखे हुए है।* यहां भी वही किस्सा है। वैसे यह कोई कम बात नहीं कि  महिला पुरुषों से संतुष्ट न होकर महिला के साथ हो जाए और लगातार होती रहे। यदि ऐसा हो जाए और होता रहे तो इसमें किसी का क्या नुकसान है?
     वैसे भी आंकड़े बताते हैं कि अजमेर शहर में साल भर में 500 विधिवत विवाह होते हैं जिनमें से 260 तो तलाक़ तक जा पहुंचते हैं । अजमेर अन्य शहरों की तुलना में तलाक़ के मामले में ज्यादा प्रगतिशील हैं! आए दिन पुलिस थानों में अपने पति के विरुद्ध नाना प्रकार के घटिया आरोपों के साथ मामले दर्ज़ होते हैं। पति द्धारा किये जाने वाले अत्याचारों में कई बार अप्राकृतिक मैथुन करने से नाराजगी भी शामिल होती है । समाज में "लिव इन रिलेशनशिप" का खेल भी लोकप्रिय होता जा रहा है । युवक युवतियाँ बिना विवाह के ही साथ-साथ रह कर वैवाहिक दायित्व निभाना पसंद करते हैं। इस बात को मेरे एक मित्र "वेद माथुर" बडे ही मज़ेदार तरीके से व्यक्त करते हैं । "पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें! विज्ञापनों के युग में अब रिश्ते भी इस्तेमाल करने के बाद यक़ीन करते हैं।
     मेरे एक मित्र जिनकी अभी मृत्यु हो चुकी है । हाथी भाटा में रहते थे। उन्होंने अपनी पत्नी को महज इसलिए तलाक़ दे दिया था कि उनकी पत्नी का अपने साथ काम करने वाली किसी युवती के साथ सांसारिक संबंध थे। मित्र ने उनके व्हाट्सएप मैसेज पढ़ लिए। उन्हें बिस्तर पर एक दूसरे का उत्साहवर्धन करते देख लिया । कई चित्रों को आपत्तिजनक मुद्रा में कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट में पत्नी ने भी अंत में स्वीकार कर लिया कि उसे पुरुष के संसर्ग में सुख नहीं मिलता ।उसे युवतियों का ही साथ चाहिए। मित्र को तलाक़ मिल गया।
     अजमेर में यह कला विगत 20 सालों में भयंकर रूप से विकसित हुई है ।सहेलियों के साथ रहने पर घरवाले और समाज दोनों ही रोक नहीं लगाते। बल्कि शक़ भी नहीं करते । लड़कियों का लड़कियों के साथ रहना, आना-जाना, घूमना -फिरना ,सोना- जागना ,यूँ भी परिवारजन को हानिकारक या जोख़िम भरा नहीं लगता।
     इन्हीं परिस्थितियों में विगत मंगलवार को एस.पी. साहब के सामने पेश हुई युवतियों ने अपने संबंधों की वक़ालत की। मेरे कुछ मित्रों ने इसे प्राकृतिक बीमारी की संज्ञा दी है। जिस तरह पुरुष का पुरुष के साथ संबंध बनाना सामाजिक रूप से हेय माना जाता है वैसे ही युवतियों  का युवतियों से संबंध बनाना भी लोग अच्छा नहीं समझते । *लैसबियन*  जैसे शब्द अब कानून की दृष्टि में गैरकानूनी नहीं ।इसलिए पुलिस कप्तान कुंवर राष्ट्रदीप ने इसे ग़ैरकानूनी नहीं माना । पुलिस कप्तान की तरह मैं भी इन रिश्तों को अवैध नहीं मानता हूँ । मैं तो चाहता हूं कि हर युवती ऐसा ही करे ताकि युवक जान सकें कि उनकी करतूतों से समाज किस ओर जा रहा है। *पुरुषों के प्रति युवतियों की धारणा क्यों बदलती जा रही है ? आने वाले समय मे ऐसा न हो कि युवतियां सिर्फ़ युवतियों के लिए रह जाएं और युवकों को युवकों से ही इतिश्री करनी पड़े। वैसे भी जब आप युवतियों को  ऐसा करने से रोक नहीं पा रहे तो आपको  इस  *हुनर* का स्वागत करना चाहिए।
      देश की बढ़ती जनसंख्या के लिए भी यह क्रिया कलाप लाभ दायक कहा जाएगा। मैं तो चाहता हूं कि इस तरह के रिश्ते गुप्त ना रखे जाएं, बाक़ायदा विवाह  हों। शादी के कार्ड छपें। युवती घोड़ी पर बैठकर बरात लेकर जाए। हनीमून पर जाया जाए। पर्यटन को बढ़ावा मिले ।पंडितों का घर चले । यूँ भी अजमेर शहर को आई लव अजमेर कहने वाले चोरी छिपे इसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं।।युवतियां युवतियों के साथ और युवक युवकों के साथ संपर्क सुविधा का लुत्फ़ ले रहे हैं। कई तो ऐसे हैं जो हिम्मत नहीं जुटा पाते और विवाह कर लेते हैं फिर जीवन साथी से सुख ना लेकर यहां -वहाँ सुख तलाशते रहते हैं। बेहतर होगा कि समाज धीरे-धीरे इस दिशा में क्रांतिकारी पहल करे। पुलिस इस दिशा में बेहतर अवसर प्रदान कर सकती है। मोदी जी को भी ऐसा करने वाले युवक- युवतियों के लिए एक कल्याणकारी योजना जरूर बनानी चाहिए।

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