झिंझाना 22 अगस्त।
बावरिया समाज के उत्थान हेतु एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में प्रताप प्रोजेक्ट के अंतर्गत किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा को जनपद शामली के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह गुरुवार को बावरिया समाज के गांव खानपुर कला में पहुंचे थे। खुले मंच पर आयोजित इस कार्यशाला में शासन स्तर के तमाम अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी शंभू नाथ तिवारी , जिला पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश कुमार , स्वास्थ्य विभाग , पशु चिकित्सा विभाग , राजस्व विभाग , शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारी , तहसील ऊन के एसडीएम सुरेंद्र कुमार चाहल इस कार्यशाला में उपस्थित रहे। जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने आज यहाँ बावरिया समाज के लोगों की समस्याओं को सुना एवं बावरिया समाज के सर्वांगीण विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों में तेजी एवं पारदर्शिता लाने का भरोसा दिया। जिलाधिकारी ने भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार द्वारा बावरिया समाज के 12 गांव में बसें 1527 परिवारों को समाज की मुख्य विकास धारा से जोड़ने के लिए शुरू किए गए प्रताप प्रोजेक्ट एवं बावरिया समाज के उत्थान हेतु पूर्व सचिव एवं वरिष्ठ आईएएस योगेंद्र नारायण का नाम लेकर उनके द्वारा शुरू किए गए प्रयासों में तेजी लाने के लिए भी आश्वस्त किया । जिलाधिकारी ने कहा कि बावरिया समाज के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए एक कमेटी गठित कर मासिक स्तर पर समाज हेतु शासन स्तर द्वारा दी जाने वाली योजनाओं की समीक्षा करूंगा। जिलाधिकारी ने समाज के युवा वर्ग को शराब एवं चैन स्नैचिंग जैसी बुराइयों से दूर रहकर शिक्षा ग्रहण करने एवं स्वरोजगार में लगने की प्रेरणा दी । उन्होंने आह्वान किया कि प्रत्येक परिवार की कम से कम एक महिला स्वयं सहायता समूह कि जरूर मेंबर बने। जिससे समाज के लोगों का शीघ्र अति शीघ्र विकास हो सकेगा । कार्यक्रम का संचालन कुमारी ममता एवं अपर जिलाधिकारी शैनन कुमार ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बावरिया समाज के नेता जीतराम , शेर सिंह , हरजीत , होशियार सिंह ने बावरिया समाज की समस्याओं को जिलाधिकारी महोदय के समक्ष रखा । मंच से बाहय पुलिस द्वारा बावरिया समाज के लोगों के उत्पीड़न एवं अवैध वसूली को अविलंब रोके जाने की मांग की। समाज के नेता जीतराम ने कहा बावरिया एक अनुसूचित जनजाति है जबकि अधिकारियों द्वारा इसे बावरिया गेंग बताकर पूरे समाज को बदनाम किया जा रहा है । इसे तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिए।
कार्यक्रम में 60% महिलाएं उपस्थित थीं।जो एन आर एल एम के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के रूप में भी थी।
बावरिया समाज के उत्थान हेतु एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में प्रताप प्रोजेक्ट के अंतर्गत किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा को जनपद शामली के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह गुरुवार को बावरिया समाज के गांव खानपुर कला में पहुंचे थे। खुले मंच पर आयोजित इस कार्यशाला में शासन स्तर के तमाम अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी शंभू नाथ तिवारी , जिला पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश कुमार , स्वास्थ्य विभाग , पशु चिकित्सा विभाग , राजस्व विभाग , शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारी , तहसील ऊन के एसडीएम सुरेंद्र कुमार चाहल इस कार्यशाला में उपस्थित रहे। जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने आज यहाँ बावरिया समाज के लोगों की समस्याओं को सुना एवं बावरिया समाज के सर्वांगीण विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों में तेजी एवं पारदर्शिता लाने का भरोसा दिया। जिलाधिकारी ने भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार द्वारा बावरिया समाज के 12 गांव में बसें 1527 परिवारों को समाज की मुख्य विकास धारा से जोड़ने के लिए शुरू किए गए प्रताप प्रोजेक्ट एवं बावरिया समाज के उत्थान हेतु पूर्व सचिव एवं वरिष्ठ आईएएस योगेंद्र नारायण का नाम लेकर उनके द्वारा शुरू किए गए प्रयासों में तेजी लाने के लिए भी आश्वस्त किया । जिलाधिकारी ने कहा कि बावरिया समाज के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए एक कमेटी गठित कर मासिक स्तर पर समाज हेतु शासन स्तर द्वारा दी जाने वाली योजनाओं की समीक्षा करूंगा। जिलाधिकारी ने समाज के युवा वर्ग को शराब एवं चैन स्नैचिंग जैसी बुराइयों से दूर रहकर शिक्षा ग्रहण करने एवं स्वरोजगार में लगने की प्रेरणा दी । उन्होंने आह्वान किया कि प्रत्येक परिवार की कम से कम एक महिला स्वयं सहायता समूह कि जरूर मेंबर बने। जिससे समाज के लोगों का शीघ्र अति शीघ्र विकास हो सकेगा । कार्यक्रम का संचालन कुमारी ममता एवं अपर जिलाधिकारी शैनन कुमार ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बावरिया समाज के नेता जीतराम , शेर सिंह , हरजीत , होशियार सिंह ने बावरिया समाज की समस्याओं को जिलाधिकारी महोदय के समक्ष रखा । मंच से बाहय पुलिस द्वारा बावरिया समाज के लोगों के उत्पीड़न एवं अवैध वसूली को अविलंब रोके जाने की मांग की। समाज के नेता जीतराम ने कहा बावरिया एक अनुसूचित जनजाति है जबकि अधिकारियों द्वारा इसे बावरिया गेंग बताकर पूरे समाज को बदनाम किया जा रहा है । इसे तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिए।
कार्यक्रम में 60% महिलाएं उपस्थित थीं।जो एन आर एल एम के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के रूप में भी थी।
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