कैराना में स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल — बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहा अस्पताल, विभाग बना अनजान!

कैराना (जिला शामली)— ज़रा सोचिए… जहाँ लोगों की जिंदगी बचाई जानी चाहिए, वहीं मौत से खेलने का खेल खुलेआम खेला जाए, और जिम्मेदार अधिकारी आँखों पर पट्टी बांधकर बैठे हों—तो इसे क्या कहेंगे? कैराना में इन दिनों बिल्कुल ऐसा ही हो रहा है। बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल चल रहे हैं, और स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी “अनजान” बने बैठे हैं।

इस खुलासे ने पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।


बिना रजिस्ट्रेशन के हॉस्पिटल… और स्वास्थ्य विभाग चुप क्यों?

सूत्रों और स्थानीय लोगों के अनुसार कैराना में एक निजी अस्पताल बिना किसी पंजीकरण के काफी समय से संचालित हो रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह कि अस्पताल का संचालन किसी अस्थायी व्यवस्था से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के ही अधिकारियों की “कथित सह” से हो रहा है।

जब हमारे सहयोगी रिपोर्टर ने अस्पताल से बातचीत की, तो डॉक्टर ने खुलकर कहा—

“ये हॉस्पिटल ACMO विनोद कुमार की सह पर चल रहा है। आप हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।”

यह बयान अपने आप में पूरे सिस्टम के चरमराए हुए ढांचे को उजागर कर देता है।


सरकारी डॉक्टर का प्राइवेट अस्पताल—और मरीजों को रेफर करने का खेल

कैराना सरकारी अस्पताल में तैनात डॉ. जुल्फिकार का नाम भी इस पूरे मामले में सामने आया है।
रिपोर्ट के अनुसार:

  • वे सरकारी अस्पताल में ड्यूटी के दौरान भी अपने निजी अस्पताल में मरीज भेजते हैं,
  • सरकारी अस्पताल से ही मरीजों को रेफरल देकर अपने क्लिनिक में भर्ती कराया जाता है,
  • और इस पूरे खेल को विभागीय अधिकारियों की “छतरी” मिली हुई है।

जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य का जिम्मा उठाने वाले ही जब खुद नियमों को तोड़ने में लगे हों, तो यह व्यवस्था किस दिशा में जा रही है?


धमकियों का खेल भी जारी—ACMO का फ़ोन कॉल

हमारी टीम ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल शुरू की, तो कुछ देर बाद ACMO विनोद कुमार का फ़ोन आया।
उन्होंने जो कहा, वह और भी ज्यादा चौंकाने वाला था:

“आप खबर चलाओ या कुछ भी करो… हमारे ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होगी।”

एक अधिकारी का इस तरह का रवैया व्यवस्था के प्रति घोर लापरवाही का प्रमाण है।


क्या जिला प्रशासन सोया है?

एक बड़ा सवाल यह भी है—
क्या जिले में कोई अधिकारी ऐसा नहीं बचा जो इस तरह की गतिविधियों पर कदम उठा सके?
क्या स्वास्थ्य विभाग पर लग रहे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप किसी के संज्ञान में नहीं आ रहे?
क्या जनता की जान से खेलने की इजाज़त दे दी गई है?

इन सवालों का जवाब प्रशासन से ही चाहिए।


DM शामली ने दिया जवाब—अब होगी जांच!

जब इस पूरे मामले की जानकारी जिला अधिकारी शामली को दी गई, तो उन्होंने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा—

“मामला मेरे संज्ञान में नहीं था।
अब आ गया है, कल ही जांच कराऊंगा।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”

डीएम का यह बयान जनता के लिए उम्मीद की किरण है।
अब देखना यह होगा कि जांच कितनी निष्पक्ष होती है और क्या वाकई दोषियों पर कार्रवाई होती है… या फिर मामला किसी फाइल में दबा दिया जाता है।


जनता की जान के साथ खिलवाड़—आखिर कब तक?

स्वास्थ्य विभाग का असली काम है—

  • लोगों को सही इलाज देना,
  • अस्पतालों को लाइसेंसिंग नियमों में बांधना,
  • मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चत करना।

लेकिन जब विभाग ही नियमों को तोड़ने लगे, तो आम जनता के लिए खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कैराना का यह मामला सिर्फ एक अस्पताल का नहीं है—यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र की सड़न की तरफ इशारा करता है।


निष्कर्ष

कैराना में बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे अस्पताल का मामला हल्का नहीं है।
यह सरकार, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सभी की जिम्मेदारी है कि—

  • तत्काल जांच हो,
  • दोषियों पर कार्रवाई हो,
  • और जनता की जान से खिलवाड़ रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।

जब तक जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई नहीं होती, ऐसे अस्पताल खुलेआम लोगों की जिंदगी से खेलते रहेंगे।


"समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए

📍 कैराना, जिला शामली (उ.प्र.) से पत्रकार – इमरान अब्बास की खास रिपोर्ट
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