IAS प्रिया रानी: वो बेटी जिसके दादाजी ने गांव वालों से लड़कर पढ़ाई करवाई, और उसने पहले ही प्रयास में हासिल की AIR 69!

हर साल लाखों युवा IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी बनने का सपना देखते हैं, लेकिन यह राह केवल कुछ दृढ़ निश्चयी लोगों के लिए ही आसान होती है। आज हम आपको एक ऐसी ही प्रेरणादायक शख्सियत, प्रिया रानी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनकी सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी रूढ़िवादी सोच या मुश्किल राह आपको रोक नहीं सकती।

 बचपन में पढ़ाई छुड़वाने की थी तैयारी, दादाजी बने सहारा
बिहार के पटना जिले के फुलवारी शरीफ के कुरकुरी गांव की रहने वाली प्रिया रानी का बचपन चुनौतियों से भरा था। वह एक ऐसे साधारण परिवार से आती हैं जहाँ लड़कियों की शिक्षा को लेकर पुरानी सोच हावी थी। गांव के कई लोग यह मानते थे कि बेटियों को ज्यादा पढ़ने की क्या जरूरत है, और वे उनकी पढ़ाई छुड़वाने के लिए भी तैयार थे।

लेकिन, प्रिया की किस्मत में कुछ और ही लिखा था। उनके दूरदर्शी दादाजी ने इन सामाजिक बेड़ियों को तोड़ने का फैसला किया। उन्होंने न सिर्फ प्रिया को आगे पढ़ने की इजाजत दी, बल्कि बेहतर शिक्षा के लिए उन्हें पटना भी भेजा। पटना में किराए के एक छोटे से कमरे में रहकर, प्रिया ने अपने सपनों को सींचना शुरू किया।

 कॉर्पोरेट की मोटी सैलरी छोड़कर चुना देश सेवा का रास्ता
प्रिया रानी शुरू से ही मेधावी थीं। उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS), रांची से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। ग्रेजुएशन के बाद, उन्हें बेंगलुरु की एक नामी प्राइवेट कंपनी में अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी भी मिल गई।

कॉर्पोरेट की आरामदायक जिंदगी के बावजूद, उनके दिल में देश की सेवा करने का सपना पल रहा था। इसी सपने को पूरा करने के लिए, प्रिया ने अपनी सिक्योर जॉब को अलविदा कह दिया और यूपीएससी (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। यह फैसला आसान नहीं था; परिवार और परिचितों ने उनके इस कदम पर सवाल उठाए, लेकिन प्रिया ने अपने दृढ़ निश्चय और सपने को सबसे ऊपर रखा।

अनुशासन बना सफलता की असली 'कुंजी'
प्रिया रानी की सफलता का सबसे बड़ा राज उनका अटूट अनुशासन था।

वह हर दिन सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई शुरू कर देती थीं।

उन्होंने अपनी तैयारी का आधार NCERT की किताबों, महत्वपूर्ण अखबारों और सरकारी रिपोर्टों को बनाया।

उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट इकोनॉमिक्स (अर्थशास्त्र) था, जिस पर उन्होंने खास ध्यान केंद्रित किया।

प्रिया का मानना है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता और शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है।

उन्होंने बड़े लक्ष्यों को छोटे-छोटे दैनिक लक्ष्यों में बाँटा और उन्हें हर दिन पूरा करते हुए धीरे-धीरे अपने सपने की तरफ कदम बढ़ाए।

 और पहली ही कोशिश में बन गईं IAS! (AIR 69)
साल 2023 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में प्रिया रानी की लगन और मेहनत रंग लाई। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 69 हासिल की और IAS कैडर प्राप्त किया।

प्रिया रानी की यह सफलता न सिर्फ उनके परिवार के लिए गर्व का विषय बनी, बल्कि बिहार और देश भर की उन लाखों लड़कियों के लिए भी एक बड़ी प्रेरणा है, जो रूढ़िवादी सोच और सीमित साधनों के बावजूद बड़े सपने देखने की हिम्मत रखती हैं।

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