❌ इलीगल शुरुआत – बिना नक्शा पास हुए प्लॉट बिके
जानकारी के अनुसार सन 2024 से ही इस टाउनशिप में प्लॉटों की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी गई थी, जबकि मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण (एमडीए) में इसका मानचित्र 16 अप्रैल 2025 को जमा किया गया और 24 जून 2025 को स्वीकृति दी गई।
यानी निवेशकों से पैसा लेने की प्रक्रिया तब शुरू कर दी गई थी जब यह प्रोजेक्ट विधिक रूप से अस्तित्व में ही नहीं आया था। सवाल यह है कि जब शुरुआत ही गैर-कानूनी हो, तो भविष्य में यह प्रोजेक्ट कितना टिकाऊ साबित होगा?
⚖️ सुप्रीम कोर्ट आदेश की अनदेखी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सहारा समूह की संपत्तियां बाजार भाव से 90% मूल्य पर खरीदी जानी चाहिए थीं और रकम सीधे सहारा-सेबी खाते में जमा करानी थी। लेकिन आरोप है कि न्यू मैक्स ग्रुप ने यह जमीन कौड़ियों के दाम पर खरीदी और सेबी खाते में पूरी रकम भी जमा नहीं कराई।
यह स्पष्ट रूप से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है, जिसके कारण भविष्य में इन रजिस्ट्रियों को रद्द किया जा सकता है।
🏛️ मध्य प्रदेश का उदाहरण – अरबपति विधायक फंसे
ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश में सामने आया था, जहां भाजपा विधायक संजय पाठक ने सहारा समूह की जमीन खरीदी थी। अब खुद भाजपा सरकार ने उन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसका सीधा संकेत है कि उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की जांच शुरू हो सकती है।
🔍 ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच की आहट
हाल ही में सहारा समूह की जमीन सौदों पर यूपी, राजस्थान और मुंबई में छापेमारी हुई है। कोलकाता हाई कोर्ट में ईडी ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर 1.74 लाख करोड़ के चिटफंड घोटाले का खुलासा किया है। इसमें सहारा के दिवंगत संस्थापक की पत्नी, बेटे समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।
चार्जशीट में खास तौर पर अनिल अब्राहम और जेपी वर्मा का नाम शामिल है, जिन्हें बड़े पैमाने पर अवैध जमीन सौदों और धन के गुप्त लेनदेन में लिप्त बताया गया है।
🚨 मध्य प्रदेश से गिरफ्तारी – दलाली और कमीशन का खेल
कुछ दिन पहले सीहोर (मध्य प्रदेश) से सहारा अधिकारी शिवाजी सिंह को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि उसने 1000 करोड़ की जमीन केवल 90 करोड़ रुपये में बिकवाई और उसमें 20-30% दलाली खाई। पुलिस अब उसकी रिमांड पर पूछताछ कर रही है, जिससे बड़े-बड़े नाम सामने आने की संभावना है।
✝️ धर्मगुरुओं के इस्तेमाल पर सवाल
आरोप यह भी है कि न्यू मैक्स ग्रुप ने नक्शा पास होने से पहले ही प्लॉट बेचने शुरू कर दिए और प्रमोशन के लिए बाबा बागेश्वर धाम को भी पैसे के दम पर बुलाया। सवाल उठता है कि यदि भविष्य में जांच एजेंसियां इस सौदे की तहकीकात करती हैं तो धर्मगुरुओं के नाम का इस्तेमाल जनता के विश्वास पर क्या असर डालेगा?
🗣️ सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका
अखिल भारतीय हिंदू शक्ति दल के राष्ट्रीय महासचिव अरुण प्रताप सिंह ने साफ कहा है कि न्यू मैक्स ग्रुप ने बाजार भाव से कोसों कम दाम में जमीन खरीदी और रकम सेबी खाते में नहीं डाली।
वहीं समाजसेवी विकास पवार लगातार इस मामले को उठाते रहे हैं। उनकी कोशिशों का ही नतीजा है कि एक गरीब किसान को उसका हक दिलवाया जा सका।
❓ अब सवाल यह है…
➡️ क्या मुजफ्फरनगर की यह टाउनशिप भी मध्य प्रदेश की तरह बड़े घोटाले में तब्दील होगी?
➡️ क्या भविष्य में निवेशकों का पैसा डूब जाएगा और उनकी रजिस्ट्री रद्द हो जाएगी?
➡️ क्या ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच इस सौदे तक पहुंचेगी?
📌 निष्कर्ष
आज जरूरत है कि मुजफ्फरनगर के निवेशक सतर्क हो जाएं। किसी भी टाउनशिप या प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले उसके वैधानिक दस्तावेज, नक्शा पास होने की स्थिति और अदालतों के आदेशों का गहराई से अध्ययन करें। वरना मेहनत की कमाई भविष्य में पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है।
✍️ ज़मीर आलम
विशेष संवाददाता, “समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📍 मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
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