जी हां, यह कोई मज़ाक नहीं है। सन 2010 के बाद से साहब के खाते में तनख्वाह आनी ही बंद हो गई थी, और उन्होंने कभी इसकी सुध ही नहीं ली। अब रिटायरमेंट में बस एक महीना बाकी है, तो अचानक उन्हें ख्याल आया – “पेंशन कैसे मिलेगी जब 15 साल से सैलरी ही नहीं मिली?”
कैसे हुआ ऐसा?
जांच में सामने आया कि करीब 15 साल पहले उनके कुछ जरूरी दस्तावेज घर से गुम हो गए थे। शायद उसी वजह से उनका वेतन अटक गया। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इतने सालों में उन्होंने एक बार भी अपना सैलरी अकाउंट चेक नहीं किया।
इस बीच साहब प्रमोशन पर प्रमोशन पाते गए और विभाग के वरिष्ठ पद तक पहुंच गए। वह इतने चहेते अफसर माने जाते थे कि पीडब्ल्यूडी से ज़्यादा समय उन्होंने राजकीय निर्माण निगम की अहम परियोजनाओं में ही गुज़ारा। शायद इसी वजह से उन्हें वेतन की कमी कभी खली ही नहीं।
अब क्या होगा?
रिटायरमेंट से एक महीना पहले साहब ने विभाग से गुहार लगाई है कि उनकी सैलरी तुरंत बहाल की जाए और पिछले 15 साल का पूरा बकाया भी दिलाया जाए। उन्होंने यह भी बताया है कि गुम हुए दस्तावेज अब मिल गए हैं।
अब सवाल यह है कि विभाग 15 साल का वेतन एकमुश्त देगा या फिर यह मामला सरकारी फाइलों के बोझ तले दबकर लंबा खिंच जाएगा।
बड़ा सवाल
यह कहानी सिर्फ़ एक अफसर की नहीं, बल्कि हमारे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या यह संभव है कि कोई अफसर बिना वेतन 15 साल तक काम करता रहे और न उसे, न ही विभाग को इसकी खबर हो? या फिर यह “सरकारी चहेतेपन” का एक और नमूना है, जहां नियम और प्रक्रियाएं ताक पर रख दी जाती हैं?
एक आम आदमी अगर दो महीने भी सैलरी न पाए, तो घर-बार चलाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन यहां सवाल उठता है कि साहब का घर 15 साल तक कैसे चलता रहा?
👉 इस पूरे मामले ने कर्मचारियों, विभाग और सिस्टम—सबकी भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
✍️ गुलवेज आलम की खास रिपोर्ट
📌 समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
#samjhobharat
🗣️ पाठकों से सवाल
- क्या आपको लगता है कि यह लापरवाही सिर्फ़ अफसर की थी या विभाग भी उतना ही जिम्मेदार है?
- अगर यही हाल किसी आम कर्मचारी का होता, तो क्या उसे भी 15 साल का बकाया वेतन आसानी से मिल जाता?
- क्या सरकार को ऐसे मामलों पर सख्त नियम बनाने चाहिए ताकि भविष्य में कोई कर्मचारी या विभाग ऐसी लापरवाही न करे?
- “15 साल तक नहीं मिली तनख्वाह, फिर भी प्रमोशन पाते रहे इंजीनियर साहब!”
- “बिना सैलरी 15 साल की नौकरी – अब रिटायरमेंट पर जागे साहब”
- “सैलरी अकाउंट 15 साल तक सूना, फिर भी घर चलता रहा कैसे?”
- “सरकारी सिस्टम का करिश्मा: न तनख्वाह, न हिसाब… फिर भी अफसर बने सीनियर”
- “रिटायरमेंट से पहले बड़ा खुलासा – 2010 के बाद से सैलरी ही नहीं मिली”
No comments:
Post a Comment