📰 स्रोत – समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📅 तिथि – अगस्त 2025
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भूमिका:
कभी-कभी एक छोटी-सी गलतफहमी, इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटनाओं में बदल जाती है। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला उत्तर प्रदेश के शामली जिले के गढ़ीपुख्ता क्षेत्र से सामने आया है, जहाँ रास्ता भटक कर पहुँचे एक मज़दूर को स्थानीय लोगों ने चोर समझकर न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि उससे जबरन "चोर होने" की बात कबूल कराते हुए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।घटना का विवरण:
ग्राम भैंसवाल निवासी फुरकान नामक एक ठेकेदार ने कुछ दिन पूर्व प्रमोद नाम के एक मज़दूर को बरेली के इज्जतनगर थाना क्षेत्र से काम करने के लिए बुलाया था। प्रमोद को 2500 रुपये पर गाँव के एक किसान यशपाल के पास काम पर रखा गया था। लेकिन काम की अधिकता के कारण प्रमोद ने तय समय पर वहाँ से वापस लौटने की योजना बनाई। बुधवार रात वह किसान के घर से चुपचाप निकल गया, ताकि अगले दिन सुबह वह अपने घर शामली पहुँच सके। लेकिन किसान द्वारा ढूंढ़े जाने के डर से वह रात भर जंगल में ही छिपा रहा।गुरुवार तड़के क़रीब चार बजे अंधेरे में प्रमोद रास्ता भटक गया और शामली जाने की बजाय गढ़ीपुख्ता के मोहल्ला कश्यपपुरी पहुँच गया। वहाँ स्थानीय लोगों ने एक अनजान व्यक्ति को देख कर उसे संदेह के घेरे में ले लिया।
अमानवीयता की पराकाष्ठा:
गाँव वालों ने बिना किसी पुष्टि के प्रमोद को चोर समझ लिया और पकड़कर उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इतना ही नहीं, उसे बंधक बनाकर उससे जबरन "चोरी करने" की बात कबूल करवाई गई। एक वीडियो में प्रमोद के हाथ में बलकट्टी थमाई गई और उसे चोर बताकर उसकी बेइज्जती की गई।पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर प्रसारित कर दिया गया, जिसने इस अमानवीयता को उजागर कर दिया।
पुलिस की तत्परता:
जैसे ही यह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ, गढ़ीपुख्ता पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची और प्रमोद को मुक्त कराते हुए थाने ले आई। पुलिस के सामने प्रमोद ने अपना पूरा पक्ष स्पष्ट रूप से रखा।पुलिस ने जांच में पाया कि मज़दूर प्रमोद सच में रास्ता भटक गया था। इसके बाद थाना प्रभारी देशराज सिंह ने खुद मामले की निगरानी करते हुए प्रमोद को सकुशल उसके घर बरेली भिजवाया।
जिम्मेदारों पर कार्यवाही तय:
पुलिस ने इस पूरे प्रकरण में उन लोगों की पहचान शुरू कर दी है, जिन्होंने प्रमोद को पीटा और जबरन बयान लेकर उसकी बेइज्जती की। संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसान यशपाल और ठेकेदार फुरकान ने भी बताया कि प्रमोद उनके पास ही वैध रूप से काम कर रहा था।
समाप्ति और प्रश्नचिन्ह:
यह घटना न केवल समाज की असंवेदनशीलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि शक के आधार पर इंसान को कैसे दरिंदगी का शिकार बनाया जा सकता है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऐसी घटनाएं हमारी न्याय प्रणाली, पुलिस व्यवस्था और सामाजिक चेतना पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती हैं।आख़िर हम कब समझेंगे कि किसी को चोर कहने से पहले सच जान लेना ज़रूरी है? क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम इंसानियत को जिंदा रखें?
✍️ पप्पू राणा
गढ़ीपुख्ता संवाददाता
समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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