लेखक: मनीष सिंह, विशेष संवाददाता — समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, मेरठ
परिचय:
उत्तर प्रदेश में गोवंशों की देखभाल को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता एक बार फिर स्पष्ट हो गई है। मेरठ स्थित कान्हा उपवन गोशाला में गोवंशों की दुर्दशा को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तेजी और सख्ती से कार्रवाई की, वह पशु कल्याण के प्रति सरकार की गंभीरता का प्रमाण है।
लापरवाही उजागर हुई वायरल वीडियो से
12 जुलाई 2025 को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें कान्हा गोशाला में कई गोवंश भूखे-प्यासे, बीमार और असहाय हालत में दिखाए गए। वीडियो ने जनमानस में रोष और संवेदना की लहर फैलाई। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा और उन्होंने तत्परता से नगर विकास विभाग को कार्रवाई के आदेश दिए।
दो आउटसोर्सिंग फर्मों के खिलाफ एफआईआर
नगर निगम ने दो आउटसोर्सिंग एजेंसियों—जैन कंप्यूटर्स और शिवम इंटरप्राइजेज—पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत FIR दर्ज कराई है। इन फर्मों को 2500 गोवंशों की देखभाल के लिए गोपालकों की नियुक्ति करनी थी, लेकिन हकीकत में कर्मचारी मौके से गायब मिले और गोवंश उपेक्षित।
प्रशासनिक अधिकारियों पर गिरी गाज
- हरपाल सिंह (पशु चिकित्साधिकारी),
- गोशाला के केयरटेकर, और
- विकास शर्मा (लिपिक) — तीनों को निलंबित किया गया है।
- सहायक नगर आयुक्त शरद पाल से गोशाला का प्रभार छीन लिया गया और पंकज कुमार सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गजेंद्र को हटाकर डॉ. अमर सिंह की नियुक्ति की गई है।
गोशाला की स्थिति सुधारने के लिए उठाए गए कदम
- 12 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए ताकि निगरानी सतत बनी रहे।
- फेस रिकग्निशन प्रणाली से कर्मचारियों की हाजिरी सुनिश्चित की जा रही है।
- फर्श निर्माण उन शेडों में कराया जा रहा है जहां फर्श नहीं था।
- चारा आपूर्ति, गोबर उठान और अन्य कार्यों का अभिलेखीकरण अनिवार्य किया गया है।
- छह होमगार्ड और 50 नए कर्मचारी दो शिफ्टों में लगाए गए हैं।
- ट्रॉमा सेंटर में घायल और बीमार गोवंशों के लिए तत्काल चिकित्सा की व्यवस्था की गई है।
- 15,000 वर्ग मीटर भूमि गोशाला विस्तार के लिए चिन्हित की गई है।
योगी सरकार का सख्त संदेश
यह घटनाक्रम एक साफ संदेश देता है कि उत्तर प्रदेश में गोवंशों के प्रति लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से की गई यह तत्काल और निर्णायक कार्रवाई न केवल दोषियों को चेतावनी देती है, बल्कि भविष्य में गोशालाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर है।
समापन विचार: गोवंशों के लिए एक नया सवेरा
मेरठ की कान्हा गोशाला में सामने आए इस प्रकरण ने यह सिखाया कि संवेदनशीलता और तकनीकी निगरानी से गोपोषण की व्यवस्था सुधारी जा सकती है। नगर निगम की सक्रियता और सरकार की इच्छाशक्ति से उम्मीद है कि आने वाले दिनों में गोशालाएं केवल नाम की नहीं, गोवंशों के लिए सुरक्षित और समर्पित आश्रय स्थल बनेंगी।
📍 रिपोर्ट: मनीष सिंह
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