मां गंगा के जल पर दिखावा क्यों? शामली नगर पालिका में चल रही है ‘श्रद्धा’ की नहीं ‘ड्रामा’ की राजनीति!

✍️ निशिकांत संगल

"समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, शामली (उत्तर प्रदेश)


"मां गंगा" का जल हिन्दुस्तान की आध्यात्मिक चेतना, श्रद्धा और शुद्धता का प्रतीक है। यह केवल जल नहीं है – यह भाव है, आस्था है, और सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग है। लेकिन जब उसी आस्था के प्रतीक का इस्तेमाल कोई सरकारी अफसर अपनी छवि चमकाने के लिए करने लगे, तो बात चिंता की नहीं, शर्म की बन जाती है।

शामली नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी श्रीमान विनोद सोलंकी जी, आपने मां गंगा के जल को श्रद्धा से अधिक फोटो सेशन की सामग्री बना दिया है। यदि श्रद्धालुओं को गंगाजल वितरित करना ही उद्देश्य था, तो यह शो ऑफ क्यों? यह बैनरबाजी और प्रचार क्यों?

आप 140 लीटर गंगाजल हरिद्वार से लेकर आए – यह जानकारी अख़बारों में बडे़ गर्व से छपवाई गई। कई अख़बारों में यह तक छपवा दिया गया कि “इतिहास में पहली बार यूपी में गंगाजल का वितरण हो रहा है।” लेकिन ज़रा ठहरिए – क्या यह पहली बार हो रहा है? या पहली बार इसका प्रचार इस ढंग से हो रहा है?


"श्रद्धा में शोर नहीं होता"

मां गंगा का जल हमारे घरों में बरसों से मौजूद है। हर सनातनी के घर में गंगाजल सहेजा जाता है – पूजा में, तर्पण में, संस्कारों में। कोई इसे प्रचार का माध्यम नहीं बनाता। लेकिन अधिशासी अधिकारी महोदय, आपने इसे बैनरों, कैमरों और "ड्रामा" का हिस्सा बना दिया।

शामली के हर सभासद की भावना क्या है, यह तो वही जानें, लेकिन जनता बहुत कुछ देख और समझ रही है।


हरदोई से शामली तक: प्रशासन का रंग या परदे का नाटक?

विनोद सोलंकी जी, आप हरदोई से शामली आए हैं – लेकिन यह शामली है। यहां की जनता दिखावे की राजनीति को नकारती है। आप एक सरकारी अधिकारी हैं, किसी पर्सनल प्रचार अभियान के मैनेजर नहीं। अगर कोई "प्रेरित व्यक्ति" आपको इस फोटो ड्रामे में खींच रहा है तो कृपया उससे दूरी बनाएं।

नगर पालिका परिषद की गरिमा को, और एक अधिकारी की मर्यादा को, केवल एक "गंगाजल वितरण शो" में गिरा देना – यह दुर्भाग्यपूर्ण है।


निवेदन नहीं, चेतावनी समझिए – जनता देख रही है

हमारा आपसे निवेदन है – यह ढोंग तुरंत बंद करें। श्रद्धा को प्रदर्शन में मत बदलिए। गंगाजल जिसे चाहिए, वह खुद जाकर ले लेगा – उसे बैनर और 25 सीसी की बॉटल की जरूरत नहीं है।

आपको याद दिलाना जरूरी है – आप सरकारी कर्मचारी हैं, किसी व्यक्तिगत भावनात्मक ब्रांडिंग के ठेकेदार नहीं।


निष्कर्ष

श्रद्धा को नाटक मत बनाइए। मां गंगा का नाम लेकर राजनीति मत कीजिए। शामली की जनता बहुत समझदार है – और यह सब देखकर चुप नहीं रहने वाली।


📞 संपर्क करें:
📰 "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
✍️ लेखक: निशिकांत संगल
📱 8010884848
📧 samjhobharat@gmail.com
🌐 www.samjhobharat.com
📢 #SamjhoBharat #ShamliNews #GangajalDrama #VikasYaPhotoSession



No comments:

Post a Comment