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🕯️ जब शब्द सिर्फ खबर नहीं, सिद्धांत बन जाएं… तब वो पत्रकार होते हैं – उत्तमचंद शर्मा जी।
मुज़फ्फरनगर, 13 जुलाई 2025 – आज सिर्फ एक तारीख़ नहीं, एक मौन संकल्प का दिन है।
आज हम श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं उस शख्सियत को, जिसने मुज़फ्फरनगर की पत्रकारिता की नींव न केवल डाली, बल्कि उसे सत्य, साहस और सिद्धांतों की चट्टान पर स्थापित किया।
स्वर्गीय उत्तमचंद शर्मा जी की आज दूसरी पुण्यतिथि है – लेकिन ये सिर्फ एक स्मृति का दिन नहीं, बल्कि पत्रकारिता के मूल्यों की पुनः प्रतिज्ञा का क्षण भी है।
🖋️ पत्रकारिता के भीष्म पितामह – अतिशयोक्ति नहीं, सच्ची पहचान
उत्तमचंद शर्मा जी को यदि मुज़फ्फरनगर की पत्रकारिता का भीष्म पितामह कहा जाए, तो यह एक सम्मानजनक उपमा नहीं, बल्कि सच्चाई का प्रतिबिंब है।
जैसे महाभारत में भीष्म पितामह ने नीति और धर्म की रक्षा के लिए जीवन भर त्याग किया, वैसे ही शर्मा जी ने अपनी लेखनी को कभी झुकने नहीं दिया।
उनकी कलम सत्ता की चापलूसी से दूर, और जनता की नब्ज़ के बेहद करीब थी।
📜 विरासत जिसे कलम से गढ़ा गया – “मुज़फ्फरनगर बुलेटिन”
उनकी सबसे बड़ी देन – मुज़फ्फरनगर बुलेटिन – आज भी उसी मूल भावना के साथ समाज को जागरूकता, चेतना और निडरता का प्रकाश दे रहा है।
वर्तमान में अंकुर दुआ जी इस पत्रकारिता धरोहर को संभाल रहे हैं और हम आश्वस्त हैं कि यह लौ कभी मंद नहीं होगी।
“विरासत को बनाए रखना आसान नहीं, लेकिन ईमानदारी से निभाया जाए तो वह प्रेरणा बन जाती है।”
🔍 उत्तमचंद जी की पत्रकारिता की विशेषताएँ
✅ निर्भीकता – सत्ता के सामने भी सच बोलने का साहस
✅ निष्पक्षता – न पक्ष, न विपक्ष… सिर्फ सत्य का पक्ष
✅ संवेदनशीलता – खबरों में संवेदना, आंकड़ों से परे मानवीय दृष्टि
✅ शब्दों में विचार – लेखन जो सिर्फ सूचना नहीं, दिशा देता था
🕊️ एक प्रेरक व्यक्तित्व, जो कभी थका नहीं, कभी झुका नहीं
उनका जीवन यह सिखाता है कि पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि एक मिशन है।
जहां शब्द हथियार बनते हैं, लेकिन क्रांति के लिए नहीं, सच को उजागर करने के लिए।
जहां लोकप्रियता नहीं, प्रतिष्ठा मायने रखती है – वो भी जनता की नजरों में।
🙏 श्रद्धांजलि शब्दों में नहीं, संकल्प में होनी चाहिए
आज जब हम उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहे हैं, तो हमें खुद से यह सवाल करना चाहिए:
❝ क्या हम उस पत्रकारिता को ज़िंदा रख पा रहे हैं, जिसे उन्होंने जीवन दिया था? ❞
❝ क्या हमारी कलम में वो सच्चाई, वो संवेदना, और वो साहस है, जो उनकी लेखनी की पहचान थी? ❞
🕯️ श्रद्धांजलि स्वरूप कुछ पंक्तियाँ…
"आपकी राह दिखती रहेगी, आपकी लौ जलती रहेगी,
आप नहीं हैं फिर भी, आपकी कलम चलती रहेगी।"नमन उस आवाज़ को, जो सत्ता के सामने नहीं डिगी।
नमन उस इंसान को, जिसने खबर को विचार बना दिया।
नमन उस पथप्रदर्शक को, जिसने पत्रकारिता को आदर्शों का आधार दिया।
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✒️ रिपोर्टर: ज़मीर आलम
प्रधान-संपादक – "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, मुज़फ्फरनगर
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