अज़ादारों की राह में रोड़ा बनी टूटी सड़क, गंदे पानी से परेशान मोहर्रम का जुलूस


✍️ शाकिर अली | समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका

मोहर्रम का महीना मुस्लिम समाज के लिए न सिर्फ ग़म और सब्र का प्रतीक है, बल्कि यह इमाम हुसैन की कुर्बानी की याद दिलाने वाला महीना है। लेकिन जब अज़ादारी के रास्ते में आस्था से ज्यादा अव्यवस्था हावी हो जाए, तो यह प्रशासन के लिए एक बड़ा सवाल बन जाता है।

बिड़ौली सादात, झिंझाना क्षेत्र का एक ऐतिहासिक गांव, जहां मोहर्रम के दिनों में मजलिसों और जुलूसों की रौनक देखते ही बनती है। हर गली, हर चौराहा इमाम हुसैन की याद में डूबा होता है। लेकिन इसी गांव की आइसा मस्जिद के पास की गली आजकल अज़ादारों की आस्था के रास्ते में बाधा बन गई है।

हाल की बारिशों के बाद पहले से खस्ताहाल सड़क की हालत और बिगड़ गई है। मंगलवार को जब मोहर्रम का जुलूस निकला, तो अज़ादारों को गंदे पानी में नंगे पैर चलना पड़ा। कपड़े गीले और गंदे हो गए, माहौल में तकलीफ़ साफ झलक रही थी। इस्लामी परंपरा के अनुसार अज़ादार जुलूसों में नंगे पैर चलते हैं, ताकि इमाम हुसैन और उनके साथियों की तकलीफ़ को महसूस कर सकें — लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण यह इबादत अब एक पीड़ा बन गई है।

स्थानीय निवासी शाकिर, फईम, वसी, हाफिज इनाम, शौकीन, आस मोहम्मद आदि का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है। वर्षों से सड़क टूटी पड़ी है, जलनिकासी का कोई ठोस इंतज़ाम नहीं है और हर साल मोहर्रम में यही परेशानी दोहराई जाती है। लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

अज़ादारों का यह भी कहना है कि इस रास्ते से दस मोहर्रम यानी आशूर के दिन मुख्य जुलूस निकलता है, जो सबसे बड़ा आयोजन होता है। ऐसे में गंदे पानी और कीचड़ में चलना लोगों के लिए न केवल शारीरिक परेशानी का कारण बनता है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत करता है। बाहर से आई अंजुमनों ने भी गांव की बदइंतज़ामी पर नाराज़गी जताई।

समझो भारत की टीम ने मौके पर हालात का जायज़ा लिया और पाया कि सड़क की स्थिति वाकई चिंताजनक है। मोहल्लेवासियों की मांग है कि जिला प्रशासन तत्काल प्रभाव से इस सड़क की मरम्मत कराए और जलनिकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करे, ताकि मोहर्रम के शेष दिनों में अज़ादारी बिना किसी विघ्न के संपन्न हो सके।


मोहर्रम सब्र, कुर्बानी और इबादत का महीना है — लेकिन यह सब तभी मुमकिन है जब व्यवस्था सहयोग करे, न कि बाधा बने। उम्मीद है कि प्रशासन इस संवेदनशील विषय को गंभीरता से लेते हुए अविलंब आवश्यक कदम उठाएगा।

📍 स्थान: बिड़ौली सादात, झिंझाना क्षेत्र
🗓️ तारीख: मोहर्रम 6, 1447 हिजरी
📷 रिपोर्ट: शाकिर अली | समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका


🕯️ या हुसैन!
🙏 आस्था को राह दो, रुकावट नहीं

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