"नाले में मौत और अब राजनीति की चुप्पी: सुरेश की मौत पर पत्नी ने BJP पार्षद पर दर्ज कराया मुकदमा"

✍️ रिपोर्ट: ज़मीर आलम, प्रधान-संपादक, "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📞 संपर्क: 8010884848 | 📧 samjhobharat@gmail.com


🕳️ नाले में गिरकर गई एक जान, अब उठ रहे सवाल लापरवाही और जवाबदेही पर

लखनऊ, ठाकुरगंज – राजधानी लखनऊ में एक आम नागरिक सुरेश की मौत अब महज़ एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक संवेदनहीनता की कहानी बन गई है।
सुरेश की मौत खुले नाले में गिरकर हुई थी, लेकिन इस त्रासदी की तह में जो निकलकर आया है, वह व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।


🧓 क्या है पूरा मामला?

कुछ दिन पहले ठाकुरगंज इलाके में रहने वाले सुरेश

खुले नाले में गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस घटना ने पूरे इलाके में आक्रोश और शोक की लहर दौड़ा दी।

लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब मृतक की पत्नी ने सीधे बीजेपी पार्षद सीबी सिंह पर लापरवाही का आरोप लगाया।


⚖️ पत्नी का आरोप: दी थी सूचना, नहीं की गई कोई कार्रवाई

मृतक की पत्नी ने पुलिस को दी गई तहरीर में कहा:

“मैंने पार्षद श्री सीबी सिंह को समय रहते सूचना दी थी कि सुरेश नाले में गिर गए हैं, लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की। यदि समय पर कार्रवाई होती तो आज मेरे पति जिंदा होते।”

इसी तहरीर के आधार पर अब ठाकुरगंज थाने में पार्षद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह इस मामले में दर्ज होने वाली दूसरी एफआईआर है।


🏛️ पहली FIR: नगर निगम की ओर से फर्म और ठेकेदार पर

इससे पहले नगर निगम ने ठेकेदार और संबंधित फर्म पर FIR दर्ज कराई थी, जिनके ज़िम्मे नाले की मरम्मत और सुरक्षा व्यवस्था थी। यह FIR प्रशासनिक लापरवाही की पुष्टि करती है।


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जवाबदेही का संकट और राजनीतिक चुप्पी

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस गंभीर घटना पर अब तक राजनीतिक नेतृत्व मौन है। मृतक की पत्नी इंसाफ के लिए आवाज़ उठा रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों की तरफ से अब तक कोई संवेदना या माफी तक सामने नहीं आई है।

क्या एक आम आदमी की जान इतनी सस्ती हो चुकी है?
क्या एक चुने हुए जनप्रतिनिधि की कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती?


🚨 “समझो भारत” की राय:

सुरेश की मौत महज एक हादसा नहीं है, यह व्यवस्था की खामियों, शासकीय संवेदनहीनता और राजनीतिक निष्क्रियता का दर्पण है।
जब एक नागरिक मदद की गुहार लगाता है और चुना हुआ प्रतिनिधि मौन रहता है, तब यह लोकतंत्र की असफलता की कहानी बन जाती है।


📣 अब ज़रूरी सवाल उठाने का समय है:

  1. खुले नालों पर कब लगेगा सुरक्षा ढक्कन?
  2. जन प्रतिनिधियों की जवाबदेही तय कब होगी?
  3. मृतक के परिवार को न्याय और मुआवज़ा कब मिलेगा?
  4. क्या यह मामला सिर्फ एक FIR बनकर ही रह जाएगा?

📢 “समझो भारत” आपसे अपील करता है कि ऐसे मामलों में चुप न रहें। यदि आपके क्षेत्र में भी कोई लापरवाही या सुरक्षा की अनदेखी है, तो आवाज़ उठाएँ।
आपकी एक सूचना किसी और की जान बचा सकती है।


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✒️ रिपोर्टर: ज़मीर आलम
प्रधान-संपादक – "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📞 8010884848 | 📧 samjhobharat@gmail.com



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