मिलिए साक्षी गुप्ता से — कोटा में आईसीआईसीआई बैंक की रिलेशनशिप मैनेजर, जिसने ग्राहकों की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) अकाउंट्स से धोखाधड़ी कर ₹4,58,00,000 (चार करोड़ अठावन लाख रुपये) निकाल लिए। उसने 31 ग्राहकों की एफडी मैच्योरिटी से पहले ही बंद कर दी और ₹1 करोड़ 34 लाख 90 हजार रुपये बिना अनुमति वाले खातों में ट्रांसफर कर दिए। इसके अलावा, उसने अपने नाम पर ₹3 लाख 40 हजार रुपये का पर्सनल लोन भी धोखे से ले लिया।
करीब ढाई साल की जांच में सामने आया कि साक्षी ने 41 ग्राहकों के 110 से अधिक खातों से पैसे निकाले। वह इन पैसों को शेयर बाजार में निवेश कर त्वरित मुनाफा कमाना चाहती थी, लेकिन सब कुछ गंवा बैठी। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह ग्राहकों से उनके मोबाइल नंबर बदलने के फॉर्म भरवाती थी और उनकी जगह अपने या अपने परिवार के लोगों के नंबर दर्ज करवा देती थी, जिससे ग्राहकों को निकासी की कोई सूचना न मिल सके। फिर वह पैसे अपने और परिवार के खातों में ट्रांसफर कर देती थी — और सालों तक यह धोखाधड़ी छिपी रही।
इस फ्रॉड के पैमाने ने लोगों को आक्रोशित कर दिया है। एक व्यक्ति ने टिप्पणी की, "ऐसी नौकरी से अच्छा है बेरोजगार रहो, जो दूसरों की गाढ़ी कमाई को निगल जाए," और साक्षी को "राक्षसी" कहा। वहीं एक अन्य ने बैंकिंग सिस्टम की खामियों पर सवाल उठाया — ICICI बैंक में हर ट्रांजैक्शन के लिए एक मेकर और एक चेकर होता है, तो फिर किसी और की मिलीभगत भी तो हो सकती है? सवाल उठते हैं: आंतरिक ऑडिट कहां था? सिस्टम ने इतने बड़े ट्रांजैक्शन को कैसे अनदेखा किया? और कौन लोग इसमें शामिल या लापरवाह रहे?
कई लोगों का मानना है कि साक्षी को बेल मिल जाएगी और उसे कुछ सालों की सजा ही होगी, जबकि बैंक ग्राहक को अधिकतम ₹8 लाख तक की ही भरपाई कर पाएगा — बाकी रकम शायद हमेशा के लिए खो जाएगी। कुछ लोगों ने यह भी अंदेशा जताया कि सारा पैसा शेयर बाजार में नहीं डूबा होगा — संभव है कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संबंध में हो, जिसे परिवार या दोस्त नहीं जानते, और वह व्यक्ति पैसे को अपने पास सुरक्षित किए हो। एक यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, “स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने वाली लड़कियाँ” — और एक मज़ाकिया इमोजी भी जोड़ा।
कुछ ने इस केस की तुलना आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर से की, जो जेल में समय बिताने के बाद अब "मोटिवेशनल" स्पीकर बन चुकी हैं और उनका अपना यूट्यूब चैनल है। एक व्यक्ति ने लिखा कि भारत की अदालतें और जज महिलाओं को अपराधी मानने में झिझकते हैं — यहां तक कि प्रधानमंत्री भी कह चुके हैं कि महिलाएं कोई गलत काम नहीं करतीं। एक अन्य ने निराशा में कहा, “कुछ नहीं होगा। बेल मिल जाएगी। हमारे जज लोग बड़े दयालु हैं।”
इस घटना को “अंधेरा सच” कहा गया, और एक यूजर ने "Criminal Women of India" नामक किताब की फोटो साझा करते हुए इशारा किया कि यह अकेला मामला नहीं है। सोशल मीडिया पर #FinancialFraud, #BankingScam, #CustomerTrust, #ICICIBank, #WhiteCollarCrime, और #Accountability जैसे हैशटैग के साथ लोग न्याय और बैंकिंग सिस्टम में सुधार की मांग कर रहे हैं।
#samjhobharat
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