कैराना। कभी सोशल मीडिया पर नंगई का तमाशा करता दिखा, तो कभी किन्नरों के साथ अश्लील हरकतों में पकड़ा गया—कैराना नगर पालिका का एक सभासद इन दिनों फिर से सुर्खियों में है, लेकिन वजह वही पुरानी—घटिया हरकतें, बेहूदे आरोप और वायरल होने की भूख।
इस शख्स को लोग अब एक "तथाकथित राजनीतिक प्यादा" कहने लगे हैं, क्योंकि इसकी हरकतें उस विचारधारा के सिद्धांतों और छवि पर सवाल खड़े करती जा रही हैं जिससे यह खुद को जुड़ा बताता है। कोई आम नागरिक भी इससे दूरी बनाए रखता है, लेकिन यह खुद को राजनीतिक योद्धा साबित करने पर तुला है, वो भी ऐसे तरीकों से जो किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं हो सकते।
हाल ही में इस व्यक्ति ने कैराना के उस प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार के खिलाफ ज़हर उगलना शुरू कर दिया है, जिसकी गिनती जिले ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति में होती है। सांसद और विधायक जैसे गरिमामयी पदों पर बैठने वाले लोगों के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और भ्रामक आरोप लगाकर यह सभासद अपनी राजनीति की नाकामी को ढकने की नाकाम कोशिश कर रहा है।
बड़े शर्म की बात है कि जब किसी के पास खुद दिखाने को कुछ अच्छा न बचे, तो वह दूसरों की ईज़्ज़त पर कीचड़ उछालने लगता है। यही आज इस प्यादे की हालत हो चुकी है।
*पुलिस रिकॉर्ड खुद बयां करते हैं इसकी कहानी*
यह कोई पहली बार नहीं है जब यह शख्स चर्चाओं में आया हो। इससे पहले भी इसे शांति भंग की आशंका में पुलिस ने कोतवाली से उठाकर चालान कर दिया था। लेकिन सबक? कुछ नहीं। न इसकी ज़ुबान सुधरी, न इसके हावभाव। पूर्व में भी इंटरनेट पर इसकी कुछ ऑडियो क्लिप्स वायरल हो रही थी, जिनमें यह गाली-गलौज करते, झूठी कहानियाँ गढ़ते और गंदगी फैलाते साफ-साफ सुना जा सकता था।
इस पूरी घटना ने उस विचारधारा से जुड़े संगठनों को भी कटघरे में ला खड़ा किया है, जो खुद को अनुशासन, संस्कार और राष्ट्रवाद की पहचान बताते हैं। क्या उन्हें ऐसे गिर चुके लोगों की ज़रूरत है जो चंद लाइक्स और कमेंट्स के लिए अपने ही नेताओं की छवि को धूमिल करें?
यह शख्स "कीचड़ उछालो और खुद को हीरो बताओ" वाली राजनीति का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। सोशल मीडिया की सस्ती लोकप्रियता पाने के चक्कर में यह इतना गिर गया है कि अब समाज में इसकी बातों को गंभीरता से लेने वाला कोई नहीं बचा।
*कैराना की जनता समझ चुकी है सच्चाई*
लोग अब खुलकर कहने लगे हैं कि यह आदमी अब महज एक तमाशा बन चुका है। वो अपने पुराने काले इतिहास से पीछा नहीं छुड़ा पा रहा, और नई पहचान बनाने के लिए दूसरों को बदनाम कर रहा है। लेकिन कैराना की मिट्टी ने देखा है किसने क्या किया, और कौन किस लायक है।
*"जिसके दामन में दाग हों, वो दूसरों के उजाले से जलता है।"*
*राजनीति नहीं, निजी दुश्मनी निभा रहा है ये व्यक्ति*
जिस तरह से ये व्यक्ति सांसद और विधायक पर निजी हमले कर रहा है, उससे साफ लगता है कि यह कोई लोकतांत्रिक आलोचना नहीं, बल्कि एक गंदी व्यक्तिगत दुश्मनी है। और इसे अंजाम देने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है—अश्लीलता फैलाना हो, अफवाह गढ़नी हो या गालियों से समाज में ज़हर घोलना हो।
अब वक्त आ गया है कि जनता खुद तय करे कि वो कैराना के भविष्य को किसके हाथों में देखना चाहती है—उनके जो काम कर रहे हैं, या उनके जो दिन-रात मोबाइल पर वीडियो बनाकर दूसरों को गिराने की कोशिश कर रहे हैं?
उन संगठनों को भी अब इस बात की गंभीरता से समीक्षा करनी होगी कि क्या उन्हें ऐसे प्यादों की ज़रूरत है, जो न संगठन के प्रति ईमानदार हैं, न समाज के प्रति। वरना आने वाले समय में उन्हें ऐसे ही चेहरों की वजह से राजनीतिक और नैतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ये प्यादा अब जनता की नज़रों में गिर चुका है, और कोशिश कर रहा है कि किसी तरह दूसरों को गिराकर खुद उठ सके। लेकिन राजनीति में लोग अब सब समझने लगे हैं – असली नेता बनते हैं सेवा से, न कि सोशल मीडिया की नौटंकी से। समझो भारत न्यूज से इमरान अब्बास की रिपोर्ट
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