कैराना। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निहत्थे पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के विरोध में कैराना के अधिवक्ताओं और नागरिकों ने अपनी एकजुटता का परिचय दिया। जनपद बार एसोसिएशन कैराना के सदस्यों ने तहसील मुख्यालय पर एकत्र होकर कड़े नारे लगाए और अपने गुस्से का प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए एसडीएम स्वप्निल कुमार यादव को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इस अत्याचार का कड़ा विरोध किया गया।
बुधवार को आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में जनपद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रामकुमार वशिष्ठ और महासचिव राजकुमार चौहान के नेतृत्व में अधिवक्ताओं की एक बड़ी संख्या शामिल हुई। प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं ने इस कायरता पूर्ण घटना की कठोर निंदा की और मांग की कि इस जघन्य अपराध का मुँहतोड़ जवाब दिया जाए।
ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने कहा कि पहलगाम में आतंकियों द्वारा निहत्थे पर्यटकों पर की गई गोलाबारी ने हम सभी को गहरे आघात पहुँचाया है। इस हमले में भारतीय नागरिकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों की भी जान गई, जो देश की शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। यह घटना केवल कानून व्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर किया गया हमला है।
अधिवक्ता वशिष्ठ और चौहान ने कहा, "हमारे देश के नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है और ऐसे हमलों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम शोक संतृप्त परिवारों के साथ खड़े हैं और उनके प्रति अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करते हैं।"
प्रदर्शन में शामिल अधिवक्ताओं ने शांति और न्याय की स्थापना के लिए एकजुट होकर हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर खड़कसिंह चौहान, नरेंद्र गोयल, सालिम अली, मनीष कौशिक, नीरज चौहान, अनुज रावल, ओमपाल चौहान, नेत्रपाल चौहान, रिजवान अली, शक्ति सिंघल, शगुन मित्तल, अनुभव स्वामी, फराज सिद्दीकी, नदीम अहमद, राकेश प्रजापति जैसे कई प्रमुख अधिवक्ता अवस्थित रहे।
इस घटना ने पूरे देश को व्यथित कर दिया है और यह आवश्यक है कि सरकार इस प्रकार के जघन्य अपराधों के खिलाफ ठोस कदम उठाए ताकि भविष्य में ऐसे हिंसक कृत्यों की पुनरावृत्ति न हो सके। कैराना के अधिवक्ताओं की एकता और साहस की प्रशंसा करनी चाहिए, जिन्होंने इस कठिन घड़ी में भी शांति के नारे दिए और न्याय की मांग की। रिपोर्ट गुलवेज आलम
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