दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर पीड़िता लक्ष्मी परिहार, प्रशासन एवम् जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की आड़ में नहीं मिल पा रहा हैं, पीड़िता को न्याय।


 जोधपुर / ओसियां / तिंवरी : मामला राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के तिंवरी पंचायत समिति के अन्तर्गत रामपुरा भाटियान का हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं, तिंवरी स्थित रामपुरा भाटियान गांव की मूल निवासी पीड़िता लक्ष्मी परिहार। दर _ दर की ठोकरें खाने को मजबूर पीड़िता लक्ष्मी परिहार, जोधपुर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों एवम् जनप्रतिनिधियों की गलत रवैये के कारण अर्थात यूं कहे की रिश्वत या भ्रष्टाचार की आड़ में नहीं मिल रहा हैं,

पीड़िता लक्ष्मी परिहार को न्याय। आखिर जोधपुर जिले के समस्त प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस पीड़िता के मामले को क्यों दबाया जा रहा हैं। जब हमारी समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल नई दिल्ली से राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.के.एल.परमार पीड़िता के  आवास रामपुरा भाटियान में पहुंचे और हकीकत पीड़िता की आप बीती और न्याय नहीं मिलने की

पूरी कहानी सुनी तब हुआ इस बात का हकीकत खुलासा, कि इस देश ही नहीं अपितु राजस्थान राज्य में भी सरकार का हर एक नुमांदगा भ्रष्टाचार की आड़ में लिप्त हैं। अगर ऐसा कहे तो इसमें कोई अतिश्योक्ति वाली बात नहीं हो सकती हैं। जी हां जोधपुर जिले का प्रशासन एवम् जनप्रतिनिधियों के द्वारा पीड़िता को न्याय नहीं मिलने

का एक ही साफ कारण हैं, कि भ्रष्टाचार की आड़ में सारे अधिकारियों और नेताओं के जेब गर्म हो चुके हैं। इसलिए तो पीड़िता लक्ष्मी को न्याय नहीं मिल पा रहा हैं। आखिर यह भ्रष्टाचार का खेल कब तक चलेगा या ऐसे भ्रष्टाचारियों पर नकेल कस कर उनकी हेकड़ी निकालकर तुरन्त प्रभाव से ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और

जनप्रतिनिधियों पर कानूनी कार्यवाही कर उन्हें सबक सिखाया जाएगा या फिर यह रिश्वत का खेल ऐसे ही चलता रहेगा। जब इस बड़े मामले को लेकर जब हमारी टीम के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.परमार ने भी जोधपुर संभागीय स्तर सहित जोधपुर जिले के समस्त प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से इस मामले में बात की तब


उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देने में कोई रुचि नहीं दिखाई। अर्थात यह कहे की उन्होंने मीडिया को भी तवज्जों देना उचित नहीं समझा। फिर इस बात से यह अंदेशा लगाया जा सकता हैं, कि जब यहां पर आम जनता को क्या खाक जबाव देते होंगे ? इस राजस्थान राज्य सहित भारत देश में अगर जंगलराज कहे तो भी कोई अतिश्योक्ति वाली बात नहीं हो सकती हैं।  पीड़िता लक्ष्मी परिहार ने समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.के.एल.परमार को बताया कि मेरी लड़ाई की शुरुआत ग्राम साथिन पद से शुरू हुई थी  । सन 2017 की विज्ञप्ति के अनुसार दिनांक 11 दिसंबर 2017 के दिन पंचायत में ग्राम सभा की बैठक हुई। जिसमें प्रस्ताव पारित करके मेरे नाम का आवेदन पेश किया था। इसके बाद पंचायत मुझे आश्वासन देती कि जब कार्यालय से आदेश आएगा तो तुम्हारा आवेदन आगे भेज देंगे।

लेकिन दिनांक 26 जनवरी 2019 के दिन कार्यालय से लीला चौधरी का सीधा चयन होकर के आदेश आया था। जिसकी जानकारी पंचायत को भी उसी दिन हुई थी। पंचायत ने कहा लीला चौधरी का आवेदन ऑनलाइन हुआ इसलिए हमको जानकारी नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि कोई ऑनलाइन फॉर्म नहीं भरा गया और ना ही पंचायत से भरा गया था। दिनांक 26 जनवरी 2019 के दिन झूठ फुट की तारीख लगा कर झुठफूट के डॉक्यूमेंट तैयार किया गया था।

जिसमें खास बात यह रही थी कि जिस महिला का गैरकानूनी से चयन हुआ था उसने पंचायत में आकर 1 दिन भी उपस्थित की हाजरी नहीं लगाई थी। उसने नौकरी को स्वीकार भी नहीं किया था। फिर भी उपनिदेशक महिला अधिकारिता जोधपुर ने अपनी गलतियों को छुपाने के लिए 4 माह तक झुठफुट का नाम घसीटते रहे थे।

इस प्रकार झूठा आवेदन पेश किया


झूठी नौकरी भी करवा दी और झूठा त्यागपत्र भी दिलवा दिया था।

सन 2021 में मुख्यमंत्री  के मुख्य सचिव जुगल किशोर ने मुझे कहा हमने जांच पड़ताल की है लीला चौधरी गलत नियमों से लगी थी। इसलिए उनको हटा दिया गया अब हम तुमको लगा देते हैं लेकिन तुम्हारा आवेदन कार्यालय में नहीं मिला है। इसलिए आवेदन कार्यालय में जमा कराओ फिर मेरी पंचायत ने दिनांक 19 फरवरी 2021 के दिन मेरे नाम का प्रस्ताव पारित किया और आवेदन पेश किया था। उसी आवेदन को लेकर मेरी पंचायत के लोग और मैं दिनांक 5 अप्रैल 2021 के दिन कार्यालय में जमा कराने गए तो फरसा राम ने जमा करने से मना कर दिया और विज्ञप्ति को खारिज कर दिया था मात्र 3 दिन में 8 अप्रैल 2021 को नई विज्ञप्ति जारी कर दी थी। जिसमें मेरा चयन नहीं हुआ था।


मेरा चयन सन 2017 की विज्ञप्ति के अनुसार हो रहा है। मेरी गलती यह बता रहे हैं कि मेरा आवेदन आगे नहीं पहुंचा इसके जिम्मेदार पंचायत व फरसा राम दोनों है। फिर सजा मुझे क्यों मिल रही है। ग्राम सेवक जी ने मुझसे ₹5000 की रिश्वत मांगी थी। लेकिन मैंने नहीं दी थी जिसका सबूत यह है कि मेरा आवेदन आज भी मेरी पंचायत में पड़ा है। पंचायत ने मेरे साथ धोखाधड़ी की, इसके अलावा बहुत सारे अधिकारियों ने मेरे साथ बेईमानी  की थी। पद के अलावा मुझे अनेक प्रकार से शारीरिक मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था। इसलिए मैं पुलिस के संपर्क में आई। सोचा था पुलिस मदद करेगी लेकिन पुलिस ने भी अपराधी से मिलीभगत करके मुझे प्रताड़ित कराया। इस प्रकार कड़ी से कड़ी जुड़ कर पूरा प्रशासन एक है। मुझे लगभग 2 साल तक फोन से वंचित रखा था। इसलिए न्याय दिलाने के लिए लगभग 200 शिकायत लेटर भेजा था। उसमे से पुलिस के   द्वारा 16 बार बयान भी हो चुके हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की थी। इस प्रकार भ्रष्टाचार आधिकारियों ने आज तक मेरी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। 

अब देखना यह हैं, कि पीड़िता लक्ष्मी परिहार को न्याय कब तक मिलता हैं, और ऐसे दोषियों के खिलाफ कब तक कानूनी कार्यवाही होगी। या फिर ऐसे ही रिश्वत का खेल चलता रहेगा? वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा ?   जोधपुर : समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल नई दिल्ली से राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.के. एल.परमार के साथ तिंवरी मथानिया से कैमरा मैन श्रवण बिरठ गोपासरिया की कलम से स्पेशल कवरेज : 9636125006

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