धार्मिक भक्त समाज के तत्वाधान में आयोजित सत्संग संध्या में प्रवचन करते हुए सोमवार को धार्मिक भक्त समाज के मुख्य संचालक एवं संत शिरोमणि स्वरूपानंद गिरी महाराज ने ब्रह्मलीन परमहंस वीतराग संत स्वामी दयानंद गिरि जी को सिद्ध पुरुष बताया। संत ने बताया कि सिद्ध पुरुष गिरि जी महाराज ने 16 वर्ष की आयु में ही सन्यास ले कर कठोर तप किया था। जो अपने भक्तों की हर समस्या को बिना बताए ही जान लेते थे। और उसका निवारण करते थे।
जिनके मार्गदर्शन से आज भी बड़ी संख्या में भक्तों का कल्याण हो रहा है। संत प्रवर ने सिद्ध संतो की महिमा को बखानतें हुए श्री राम का दृष्टांत दिया और कहा कि संत के संपर्क में आने के बाद श्री राम ने कहा था
आज धन्य मैं सुनहु मनीषा ,
तुमरे दर्श जाहि अघधिशा।
बड़े भाग पायो सतसंगा,
बिना प्रयास हुई भव भंगा।।
अर्थात भगवान राम ने भी संत का दर्शन होने पर अपने आप को बड़ा भाग्य शाली बताया था। संत ने कहा कि गुरु कृपा के बाद कठिन से कठिन लक्ष्य भी आसानी से प्राप्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अशुद्ध मन को भजन ,पाठ ,सत्संग कीर्तन आदि से शुद्ध , निर्मल बनाया जा सकता । संत ने संसार को जड़ , असत्य एवं नाशवान बताया।
उन्होंने कहा भगवान सत चित आनंद है। जिसके लिए हमेशा जनमानस को सांसारिक मोह माया को छोड़कर भगवान की शरणागत होना चाहिए।गौरतलब हो कि धार्मिक भक्त समाज के मुख्य संचालक स्वामी स्वरूपानंद गिरी जी महाराज गुरु पूर्णिमा से पूर्व कस्बे में पधारे हैं। जो संध्या के वक्त श्रद्धालुओं को संतवाणी से सराबोर कर रहे हैं।
जिसमें श्रद्धालु बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। धार्मिक भक्त समाज के झिंझाना अध्यक्ष नीरज मित्तल एवं सचिव डॉ राकेश शर्मा की देखरेख में कार्यक्रम श्रद्धा पूर्वक जारी है। प्रेम चन्द वर्मा
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