कृषि विश्वविद्यालय में “ग्रामीण आजीविका हेतु कृषि-वानिकी” पर छः दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का हुआ समापन, कृषि-वानिकी में अपार संभावनाएं हैं- प्रो. अरविन्द कुमार, पेड़, पौधें जमीन का श्रृंगार हैं- डी एफ ओ वी. के. मिश्रा


झाँसी। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्याल, में उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्र्तगत “बहुउद्देशीय कृषि-वानिकी वृक्ष प्रजातियों की रोपण तकनीक” पर छः दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ 15 जून को हुआ था, जो कि 20 जून तक चला आज इसका समापन हुआ इसमें निवाड़ी (म.प्र.) के 54 किसानों ने प्रतिभाग किया। इस प्रशिक्षण में विभिन्न विभाग एवं संस्थानों से आए वैज्ञानिकों ने अलग-अलग विषयों पर किसानों को जानकारी दी इसमें पहले दिन डाॅ. उषा सहायक प्राध्यापक कीट विज्ञान ने मधुमक्खी पालन द्वारा किसानों की आय वर्धन के बारे में किसानों को प्रशिक्षित किया साथ ही डाॅ. पंकज लावानिया द्वारा किसानों को वानिकी पौधशाला एवं पाॅलीहाउस का भ्रमण कराया गया दूसरे दिन डाॅ. नरेश कुमार, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा कृषि-वानिकी अपनाने में आवश्यक सावधानियां एवं उनका प्रभाव पर कृषकों से ज्ञान साझा किया।

डाॅ. एम. जे. डोबरियाल विभागाध्यक्ष वानिकी ने कृषि-वानिकी में औषधीय पौधों के महत्व एवं औषधीय पौधों को कृषि में समन्वित कर आय वर्धन पर कृषकों को प्रशिक्षित किया। साथ ही डाॅ. अशुंमान सिंह वैज्ञानिक ने कृषि-वानिकी में दालहनीय फसलों का सकारत्मक प्रभाव पर व्याख्यान दिया। किसानों को डाॅ. विनोद कुमार द्वारा औषधीय एवं सगंधीय वाटिका एवं सब्जी प्रक्षेप का भ्रमण कराया गया। प्रशिक्षण के तीसरे दिन विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डाॅ. आर. पी. यादव ने कृषि-वानिकी में महत्वपूर्ण पौधों एवं फसलों का चयन के बारे में समझाया। कृषि-वानिकी अनुसंधान संस्थान से आये वैज्ञानिक डाॅ. आशा राम ने बुन्देलखण्ड के महत्वपूर्ण कृषि-वानिकी वृक्षों से कृषकों की आय वर्द्धन के बारे में प्रशिक्षित किया। डाॅ. ए. एस. काले सहायक प्राध्यापक ने कृषकों से कृषि-वानिकी वनत्पाद द्वारा आय वर्धन पर ज्ञान साझा किया।

साथ ही डाॅ. रवीन्द्र ढाका द्वारा अर्बोरेंटम एवं भोजल प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया गया। चतुर्थ दिवस में डाॅ. गोविन्द विश्वकर्मा ने कृषि-वानिकी में फलदार वृक्षों से कृषकों की आय वर्धन के बारे व्याख्यान दिया। भारतीय चारगाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान से आए प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. एस. आर. कांतवा ने कृषि-वानिकी में फसलों एवं मृदा की भूमिका विषय पर किसानों को प्रशिक्षित तथा परिचर्चा करी साथ ही डाॅ. प्रमोद सोनी ने कृषि-वानिकी में पशु प्रवधंन पर व्याख्यान दिया इसके साथ ही किसानों ने केन्द्रीय कृषि-वानिकी अनुसंधान संस्थान झाँसी में समन्वित कृषि एवं अन्य कृषि-वानिकी माॅडल का भी भ्रमण किया। प्रशिक्षण के पाँचवें दिन विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डाॅ. प्रभात तिवारी ने औद्योगिक कृषि-वानिकी द्वारा ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने में योगदान के विषय पर कृषकों प्रशिक्षित किया। झाँसी रेंज के सहायक वन संरक्षक श्री विनोद कुमार ने कृषकों ग्रामीण आजीविक हेतु वन विभाग की भूमिका के बारे में अवगत कराया एवं विस्तृत जानकारी दी। कृषकों ने प्रक्षेत्र कृषि वि.वि. का भ्रमण किया। आज समापन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार ने की मुख्य अतिथि के रूप में  वी. के. मिश्रा, प्रभागीय वनधिकारी, प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. एस. एस. सिंह एवं कृषि अधिष्ठाता डाॅ. एस. के. चतुर्वेदी और डाॅ. एम. जे. डोबिरियाल, विभागाध्यक्ष (वनसंवर्धन एवं कृषिवानिकी) मंच पर उपस्थित रहे। अधिष्ठाता डाॅ. एस. के. चतुर्वेदी ने किसानों वृक्षों के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि किसान अपने निज निवास के बाहर दो वृक्ष अवश्य लगाये साथ ही कृषि-वानिकी के महत्व पर विस्तृत चर्चा की।

प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. एस. एस. सिंह ने समापन सत्र पर किसानों को शुभाकामान दी साथ ही बताया कि वर्षा का संतुलन बिगड़ रहा है जिसका निदान कृषि-वानिकी अपनाकार किया जा सकता है उन्होंने नीम, महुआ, बाॅस, चिरोजी आदि वृक्षों को अपनाने के लिए किसानों से अवाह्न किया। मुख्य अतिथि प्रभागीय वनधिकारी वी. के. मिश्रा ने बताया कि पेड़, पौधें जमीन का श्रृंगार है एवं पर्यावरण संतुलन के लिए अतिवाश्यक हैं उन्होंने ऊसर भूमि सुधार के लिए भी चर्चा की किसानों से कहा की कृषि बचाना है तो कृषि-वानिकी अपनाना अतिंम विल्कप है।  अध्याक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार ने कहा कि कृषि-वानिकी में अपार संभावनाएं हैं उन्होंने किसानों को नीम व शमी के पेड़ के बारे में बताया उन्होंने किसानों से कहा कि आप औषधीय पौधे भी लगाकर आय बढ़ा सकते हैं प्रशिक्षण लेने के बाद स्वरोजगार कैसे बढे़गा विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है। इस अवसर पर डाॅ. गौरव शर्मा, डाॅ. प्रियंका शर्मा, डाॅ. गरिमा गुप्ता, डाॅ. ए. एस. काले, डाॅ. बिजीलक्ष्मी, राघवेन्द्र चैहान, रोहित, तपन, नितिन आदि उपस्थिति रहे। संचालन प्रशिक्षण समन्वयक डाॅ. प्रभात तिवारी एवं आभार प्रशिक्षण सह-संयोजक  डाॅ. आर. पी. यादव ने व्यक्त किया। 

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