स्वयं को वैज्ञानिकता के इस युग में आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर हो : मीनू संगल


शामली 23 अप्रैल। वर्तमान समय में वैज्ञानिकों ने हर क्षेत्र में आविष्कार कर मानव जीवन को अत्यन्त ही सरल  बना दिया है। जिससे आज हमारा देश निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर हो रहा है। आज के विद्यार्थियों को चाहिए कि वे इन सब अविष्कारों के विषय में जानकारी प्राप्त करें और स्वयं को वैज्ञानिकता के इस युग में आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर हो। यदि जीवन में तरक्की प्राप्त करना है तो तकनीकि के विषय में जानकारी प्राप्त करना हर विद्यार्थी के लिए विशेष महत्वपूर्ण है , उक्त विचार स्थानीय सेन्ट आर सी० कान्वेंट स्कूल शामली में आयोजित "दो दिवसीय तकनीकी कौशल विकास-विज्ञान कार्यशाला" का उद्घाटन करते हुए स्कूल प्रधानाचार्या श्रीमती मीनू संगल ने व्यक्त किए ।

कार्यशाला में कक्षा 7 एवम कक्षा 9 के विद्यार्थियों ने भाग लेकर वैज्ञानिक तकनीक कौशल के प्रति अपनी रूचि को प्रदर्शित किया। कक्षा-7 के छात्र/छात्राओं को इलैक्ट्रोमैगनेट प्रोजेक्ट के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए इलैक्ट्रोमैगनेट तैयार करने कि विधि के विषय में बताया । इस प्रोजेक्ट को बनाने में कार्ड बोर्ड, बैटरी, कॉपर वायर आदि सामग्री का प्रयोग किया गया। विद्युतधारा का चुम्बकीय प्रभाव उन प्रमुख सिद्धान्तों में से एक है जो विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों

में बुनियादी सिद्धान्त के रूप में कार्य करता है। इलैक्ट्रोनिक मैगनेटिक चुम्बकीय प्रभाव विद्युत धारा प्रवाहित करने के लिए होता है। जैसे ही विद्युत धारा प्रवाह बन्द हो जाता है वैसे ही मैगनेटिक चुम्बकीय क्षेत्र भी समाप्त हो जाता है।  चुम्बकीय प्रवाद का अर्थ-चिपकना होता है। जैसे ही हम मैगनेटिक चुम्बकीय धारा प्रवाहित करते है। पिन साफ्ट से जाकर चिपक जाती है, और जब हम उस चुम्बकीय धारा को बन्द करते हैं, तो चुम्बकीय प्रभाव समाप्त हो जाता है, और पिन साफ्ट से अलग हो जाती है। इसका प्रयोग इलैक्ट्रो मैगनेटिक क्रेन बनाने के प्रयोग में किया जाता है। आज सम्पूर्ण मानव शरीर की महत्वपूर्ण जांच में प्रयुक्त होने वाली एमआरआई मशीन में इलेक्ट्रोमैगनेट का प्रयोग किया जाता है तथा इण्डस्ट्री क्षेत्र में अनेको कार्य हेतु इलेक्ट्रोमैगनेट का उपयोग किया जाता है। कक्षा 9 के छात्रों को क्रोमेटोग्राफी एवं सेंट्रीफ्यूज के संदर्भ में बताया गया। क्रोमेटोग्राफी फिल्टर पेपर द्वारा एक मिश्रण में से विभिन्न अवयवों को अलग करने की प्रकिया। इस प्रक्रिया द्वारा लेब में विभिन्न रंगों को अलग किया जा सकता है।

इसमें एक स्थैतिक व एक गतिज भाग होता है। गतिज भाग अधीन, जल, फिल्टर पेपर पर -कैपिनरी एक्शन के द्वारा फैलता है व अपने साथ विभिन रंगों की अवयवों की विभिन्न गतियों से फैलाता है। इस विधि द्वारा चिकित्सा क्षेत्र, फरेन्सिक विज्ञान व साथ व पर्यावरण सर्वेक्षण में विभिन्न मिश्रणों की जांच की जाती है। इसमें छात्रों ने फिल्टर पेपर, जल, सनपैक, फोम पीस, बोर्ड पिन तथा कंटेनर्स का प्रयोग किया। सेन्ट्रीफ्यूज यह एक सैन्ट्रीफ्यूगल फोर्स (अभिकेन्द्रीय बल) पर आधारित एक उपकरण है। इसके द्वारा विभिन्न घनत्व के अवयवो को एक मिश्रण में से अलग-अलग किया जाता है। इस उपकरण से दूध में से क्रीम आदि की अलग करने की प्रक्रिया को समझा जाता है।

इसी प्रकार से किसी विलयन से ठोस अशुद्धियों को भी अलग किया जाता है। जैसे वाशिंग, मशीन में कपड़ों की धुलाई व र्निजलीकरण (ड्राई करना होता है)। इसमें छात्रों ने इलैक्ट्रिक मीटर, बैटरी, स्विच, कंटनर्स, कार्डबोर्ड ट्रे वायर (तार) आदि का प्रयोग करके सेन्ट्रीफ्यूज उपकरण बनाया । इस अवसर पर एजुकेशनल डायरेक्ट आदित्य कुमार, उप-प्रधानाचार्य आर०पी०एस० मलिक, अरविन्द चौधरी, मौ० फैजान, मनीष मित्तल, अनिता वत्स, प्रतिमा शर्मा, सुरक्षा, कविता, सपना चौधरी, संचिता वर्मा, अनु मलिक, अंजू पवार, विशाखा चौधरी आदि अध्यापक व अध्यापिकाएँ उपस्थित रहे। मीनू संगल, प्रधानाचार्या, सेंट. आर. सी. कॉन्वेंट स्कूल, शामली।

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