लखनऊ : आज मोहम्मद रफी साहेब की पैदाइश पर उन्हें याद कर खिराजे अकीदत पेश किया गया। यह सभी जानते हैं की दुनिया में जो आया है उसको एक मुकर्रर वक्त तक दुनिया में रहकर रुखसत हो जाना है। बॉलीवुड के मशहूर व मारूफ ग्लोकार मोहम्मद रफी साहेब भी जिंदगी के चार दिन काट कर 31 जुलाई 1980 को आखरी सफर पर रवाना हो गए। निकट सिटी स्टेशन, हामिद रोड स्थित सल्तनत मंजिल की इंजिनियर हया फातिमा बिटिया नवाबजादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने कहा की रफी साहेब हमारे दरम्यान नहीं हैं मगर उनकी दिलकश आवाज हमेशा गूंजती रहेगी। यह सच है कि उनकी आवाज का कोई सानी नहीं। रफी साहेब हर किस्म के गाने गाने में माहिर थें। उनकी आवाज का कोई नकल नहीं कर सका। अगर किसी ने नकल करने की कोशिश की तो वो हरगिज कामयाब न हो सका। इंजिनियर हया फातिमा ने आगे कहा कि उनकी गुलोकारी का अंदाज बिलकुल अलग था। वो एक अच्छे इंसान थें। रफी साहेब को 1977 में रिलीज हुई नासिर हुसैन की फिल्म "हम किसी से कम नहीं" के लिए भारत के राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी के हाथों "रजत कमल अवार्ड" से नवाजा गया था। 1965 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था और यह अवार्ड उस समय के राष्ट्रपति डॉक्टर जाकिर हुसैन के हाथों दिया गया था। 31जुलाई 1980 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। इंजिनियर हया फातिमा ने आगे कहा कि रफी साहेब जैसे लोग हमारे बीच नहीं हैं, ऐसे लोग मरते नहीं बल्कि दिलों में हमेशा जिंदा रहते है और उनकी आवाज हमेशा कानो में गूंजती रहती है। डाक विभाग द्वारा 15 मई 2003 को चार मशहूर ग्लोकार किशोर कुमार, मुकेश, हेमंत कुमार और मोहम्मद रफी के एजाज में चार टिकटों का एक सेट "गोल्डन वॉयसेस आफ ईस्टर ईयर्स" के नाम से जारी किया गया था यह नायाब टिकटों का सेट इंजिनियर हया फातिमा के कलेक्शन में चार चांद लगा रहा है।मोबाइल : 9450647131
@Samjho Bharat
8010884848
7599250450
No comments:
Post a Comment