नोटिस की समय सीमा समाप्त होने के बाद अधिकारियों द्वारा गन्ना कोल्हू को सीज न कर 133 की कार्रवाई में समय बिताने का प्रयास

 


उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर का भ्रष्टाचार के चलते बड़ा कारनामा, 15 नवंबर को जारी नोटिस बना धन उगाही का जरिया, जांच में सही पाए गए थे शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए सभी आरोप, मात्र 100 मीटर के दायरे में एक जूनियर हाई स्कूल एक प्राइमरी स्कूल व 4 आंगनवाड़ी केंद्र से संचालित, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गीता वर्मा ने कहा प्रदूषण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की समस्या मेरी नहीं बच्चों को यदि कुछ होता है तो स्वास्थ्य विभाग और पोलूशन विभाग होगा जिम्मेदार, वही स्कूल के प्रधानाचार्य का कहना है कि नियम कानून की नहीं है

जानकारी हां लेकिन समाचार पत्र में खबर पढ़ी और खबर से अभिभावक भी अपने बच्चों को भेजने में कर रहे हैं आना कानी, मात्र 100 मीटर के दायरे में 500 बच्चे प्रतिदिन ग्रहण करते हैं शिक्षा जिनको उपरोक्त गन्ना कोल्हू से होती है सांस लेने में भारी परेशानी, जिस गन्ना कोल्हू को पहली जांच में ही तत्काल प्रभाव से बंद कर एफआईआर, कर देनी चाहिए थी उसे  पहले नोटिस के अनुसार समय दिया गया अब 133 की कार्यवाही कर और समय देने की है तैयारी, जनपद में संचालित लगभग 125 गन्ना कोल्हू में से 38 कोलू आबादी में संचालित है। स्कूलों के पास है गन्ना कोल्हू  75 , इन सभी से प्रति सीजन ₹50000 वसूलता है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर, गन्ना कोल्हू से संबंधित प्राप्त शिकायत होती है वरदान साबित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के लिए, अपनी इस अवैध उगाई में प्राइवेट कर्मचारियों का भी लेते हैं सहारा प्राइवेट

कर्मचारी लगाए गए हैं अवैध उगाही में, लगभग 1 जनपद मात्र शामली से ही 50 से 60 लाख की होती है प्रति सीजन अवैध उगाही, अधिकारियों की चुप्पी साबित करता है।  कि उनकी भी इस अवैध उगाही के 50 से 60 लाख में है हिस्सेदारी, आपको बता दें कि जनपद शामली के करनाल रोड स्थित ग्राम टिटौली में संचालित गन्ना कोल्हू की शिकायत उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में की गई थी जिसको समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था उसके बाद उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हरकत में आया था और 15 नवंबर को प्राप्त शिकायत को सच पाते हुए उक्त गन्ना कोल्हू संचालक को नोटिस जारी किया था कि 15 दिन के अंदर अपने गन्ना कोल्हू को  वहां से हटाए शिकायतकर्ता का जांच अधिकारी के अनुसार गन्ना कोल्हू आबादी के बीचो-बीच दो स्कूल व चार आंगनवाड़ी

केंद्रों से मात्र 100 मीटर की दूरी पर और चिमनी की हाइट भी नियमानुसार 10 मीटर न होकर मात्र 10 से 12 फुट है इसी के चलते जारी किया गया नोटिस लेकिन नोटिस की समय अवधि बीतने के बावजूद भी गन्ना कोल्हू संचालक द्वारा नहीं हटाया गन्ना कोल्हू इसके पीछे की कहानी को समझने के लिए हमें यह जानना काफी है कि समय अवधि बीत जाने के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई क्यों की यदि जानकार सूत्रों की सच माने तो मोटी रकम का हुआ है लेन-देन अब 133 की कार्रवाई में उलझा कर सीजन बिताना चाहते हैं । उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

के अधिकारी व गन्ना कोल्हू संचालक, लेकिन अधिकारियों को नहीं है स्कूल के पास आबादी आबादी में रहने वाले स्वास्थ्य लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान इंसानियत तो उस टाइम शर्मसार होती है । जब स्कूल के नजदीक प्रतिदिन आने वाले 400 से 500 बच्चे के स्वास्थ्य से भी कर रहे खिलवाड़ जिस गन्ना कोल्हू को पहले ही जांच में सीज कर एफआईआर करते हुए करनी चाहिए कि उचित कार्रवाई पहले तो उसे मोटी पैसे की वसूली कर दिया गया 15 दिन का समय अब कार्रवाई में समय बिताने का प्रयास निश्चित रूप से ग्रामीणों में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है गन्ना कोल्हू उसी दिन नियमानुसार सीज हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ अनेकों समाचार पत्रों में छपी खबरों से जागृत अभिभावक अब अपने बच्चों को स्कूल में भेजने में कर रहे आनाकानी जब इस विषय में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शामली गीता वर्मा से बात की गई तो

उनका कहना है कि इस तरह की कार्रवाई पॉल्युशन विभाग के अधीन आती है और भी कर सकते हैं यदि बच्चों को कोई दिक्कत आएगी तो स्वास्थ्य विभाग अपना काम करेगा या नहीं यह कहिए कि वह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ती नजर आई और जब स्कूल संचालक प्रधानाचार्य से बात की गई तो उनका कहना है कि नियम की जानकारी नहीं है तो समय की विड़बना देखी बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रधानाध्यापक अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं । उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के लिए वरदान साबित हो रही है। आपको बता दें कि अकेले जनपद शामली में ही लगभग 125 गन्ना कोल्हू संचालित है जिनमें से 75 गन्ना कोल्हू आबादी व स्कूलों के नजदीक संचालित है जिनसे प्रति सीजन के हिसाब से उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 35 से ₹50,000 तक वसूल करता है।  जिसकी शिकायत प्राप्त होती है उससे एक्स्ट्रा उगाही की जाती है अब इस हिसाब से देखा जाए

तो लगभग अकेले जनपद शामली से ही उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर की 50 से 60 लाख की वसूली हो जाती है और उनके द्वारा केवल कार्रवाई के नाम पर जारी होते नोटिस नहीं होती कोई ठोस कार्रवाई और ऐसे में  उच्च अधिकारियों की चुप्पी भी अपनी कहानी बयां करने को काफी है क्योंकि किसी भी विभाग या अधिकारी के बस की बात नहीं कि वह 50 से 60 लाख की अवैध उगाही को अकेली हजम कर जाए इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारियों के मुंह पर अवैध उगाही की इस रकम की टेप लगी है यूं ही नहीं चुप है तो इसके पीछे भी चल रहे खेल को समझने की आवश्यकता है अब देखना यह

होगा कि आखिर इस तरह ग्रामीणों व बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कब तक चलता रहेगा खिलवाड़ कब तक चुप रहेंगे अधिकारी और कब तक चलती रहेगी गन्ना कोल्हू और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर के अधिकारियों की मनमानी यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि यदि यही रवैया रहा तो 1 दिन लोगों को भारी नुकसान उठाने के बाद सड़क पर उतरना पड़ेगा और वह दिन उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिए घातक होगा क्योंकि  आहिस्ता आहिस्ता लोग जागरूक हो रहे हैं जिस दिन भी अपनी स्वास्थ्य के प्रति आवाज बुलंद करेंगे वही उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर के लिए  सर दर्द बनेंगे।

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