लखनऊ : हिंदुस्तान की पहली ख्वातीन रेडियो अनाउंसर और मशहूर फिल्म अदाकारा फर्रुख जाफर की मौत से जो कमी पैदा हो गई है उसकी भरपाई नामुमकिन है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1963 में आल इंडिया रेडियो में अनाउंसर की हैसियत से की थी। लखनऊ के सहारा हॉस्पिटल में ब्रेन स्ट्रोक की वजह कर भरती हुई थीं। सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ के रहने वाले रॉयल फैमिली के नवाबजादा सैयद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने आगे कहा की यह शाहगंज के भादी के एक मशहूर जमींदार घराने में पैदा हुई थीं। 89 साल की उम्र में इन्होंने इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। यह अपने गांव की बिना मुकाबला तीन मर्तबा प्रधान भी चुनी जा चुकी थीं। इन्होंने बॉलीवुड में अपनी कैरियर की शुरुआत मशहूर फिल्म मेकर मुजफ्फर अली साहेब की फिल्म "उमराव जान" से की थी इस फिल्म में इन्होंने मशहूर अदाकारा रेखा की मां का रोल बखूबी निभाया था। फिल्म "पीपली लाइव" में इनकी अदाकारी को बेहद सराहा गया था। शाहरुख खान की फिल्म "स्वदेश" और सलमान खान की फिल्म "सुलतान" में भी इन्होंने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया।
आखरी फिल्म "गुलाबो सिताबो" में इन्होंने सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की बेगम का रोल निभाया जिसे लोगों ने बे इंतेहा सराहा। इन्हें अपने गांव से बेहद लगाव था। 25 मोहर्रम का जुलूस इन्होंने अपने गांव में शुरू किया जिसमे हजारों की तादाद में लोग हुआ करते है और यह हमेशा कोशिश करती थीं के वो खुद भी जुलूस में शामिल हों। नवाबजादा सैयद मासूम रज़ा ने आगे कहा की वो बहुत ही सॉफ्ट स्पोकन और नरम दिल इंसान थीं। शायद इसी वजह कर उनकी मकबूलिया में रोज बारोज़ इज़ाफा होता गया। इन्होंने आगे बताया की इन्होंने हमारे घर पर एक सीरियल की शूटिंग करीब एक महीने तक की थी जिसने बॉलीवुड के मशहूर अदाकार शाहबाज खान भी थे। जब तक घर शूटिंग की वो हमलोग के साथ ही खाना खाती थी। उन्होंने यूनिट का खाना नही खाया। हमलोग उन्हें चची अम्मा कहते थें। उनके और बॉलीवुड के मशहूर अदाकार शाहबाज खान के साथ की तस्वीर शेयर कर रहे हैं।
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