कैराना। गत रात्रिश्री रामलीला महोत्सव गौशाला भवन कैराना में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है श्री रामलीला महोत्सव के 12 दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ डी के पब्लिक कान्वेंट स्कूल कैराना के प्रबंधक श्री संजीव गोयल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह विराट जी और श्री आशुतोष सिंगल द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया l प्रथम दृश्य में दिखाया गया कि भगवान रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी सीता जी की खोज में जंगलों में इधर-उधर घूम रहे हैं तभी उन्हें रास्ते में अपनी कुटिया में भगवान रामचंद्र जी की लगातार प्रतीक्षा कर रही उनकी भक्त सबरी मिलती है तब सबरी रामचंद्र जी को अपने सम्मुख देखकर बेहद प्रसन्न होती है और उन्हें अपने झूठे बेर खिलाती है तभी रामचंद्र जी सबरी को अपना सारा वृतांत बताते हैं और उनसे कोई सुलभ उपाय पूछते हैं तो सबरी उन्हें बताती है कि कुछ ही दूर पर किष्किंधा पर्वत पर सुग्रीव नामक राजा अपनी सेना के साथ रहते हैं जो निश्चित रूप से सीता जी को खोजने में तुम्हारी मदद करेंगे तब रामचंद्र जी किष्किंधा पर्वत की ओर बढ़ते हैं तो रास्ते में महाराजा सुग्रीव के मंत्री हनुमान जी मिलते हैं हनुमान जी रामचंद्र जी का परिचय पूछते हैं
तो रामचंद्र जी अपना परिचय देते हुए अपना सारा वृतांत बताते हैं तब हनुमान जी उन्हें अपने महाराजा सुग्रीव के बारे में बताते हैं और उन्हें अपने कंधे पर बिठाकर अपने महाराजा सुग्रीव के पास ले जाते हैं जहां पर सुग्रीव अपने साथ हो रहे अत्याचार के बारे में बताते हैं कि उनके भाई बाली ने उनकी पत्नी को जबरदस्ती अपने कब्जे में रख रखा है और भगवान राम से विनती करता है कि उनका उनके भाई बाली से किसी भी प्रकार छुटकारा दिलाया जाए तब रामचंद्र जी उनसे वादा करते हैं कि निश्चित रूप से बाली का वध होगा और आप वाली से युद्ध करें इसी दौरान रामचंद्र जी भी सुग्रीव को सीता हरण के बारे में सारा वृतांत बताते हैं तो बाली का भाई सुग्रीव रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी को माता सीता के आभूषण दिखाता है और बताता है कि लंका का राजा रावण अपने पुष्पक विमान में इस पर्वत के ऊपर से ही सीता का हरण कर कर ले जा रहा था उसी दौरान सीता जी अपने आभूषण फेकती जा रही थी उन्हीं में से यह चूड़ामणि शायद सीता जी का होगा जिसे देखकर रामचंद्र जी पहचान जाते हैं और कहते हैं कि यह सब आभूषण सीता जी के हैं उधर जब सुग्रीव बाली से युद्ध के लिए जाता है
तो पीछे से तीर मारकर रामचंद्र जी बाली को तीर मार देते हैं तो जब बाली तड़प रहा होता है तो वह उनसे तीर मारने कारण पूछता है तो रामचंद्र जी कहते हैं कि आपने अधर्म का साथ दिया है इसलिए आप को तीर मारा है तब वाली रामचंद्र जी से विनती करता है कि आप मेरे पुत्र अंगद को अपनी शरण में ले लीजिए और बाली अपने प्राण त्याग देता है वहीं दूसरी ओर रामचंद्र जी और महाराजा सुग्रीव से आज्ञा पाकर हनुमान जी सीता जी की खोज में निकल जाते हैं और समुद्र पार करके लंका में पहुंच जाते हैं किष्किंधा पर्वत की बहुत ही सुंदर दृश्य सीनरी डायरेक्टर सुनील कुमार उर्फ टिल्लू ने प्रस्तुत की जो आकर्षण का केंद्र रही l राम का अभिनय सतीश प्रजापति लक्ष्मण का राकेश प्रजापत बाली का अभिनय अमन गोयल सुग्रीव का अभिनय रोहित नामदेव तारा का अभिनय सागर मित्तल हनुमान जी का अभिनय आशु गर्ग सबरी का अभिनय राकेश सप्रेटा बाल अंगद का अभिनय वाशु मित्तल उर्फ भालू ने किया रामलीला मंचन के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारी पुलिस बल तैनात रहा कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से डाक्टर रामकुमार गुप्ता अभिषेक गोयल संजू वर्मा सोनू नेता राजेश सिंघल पंकज सिंघल राजेश नामदेव अतुल गर्ग पदम सेन नामदेव दीपांशु गर्ग आलोक गर्ग रोहित अश्वनी सिंगल काका आशु विजय नारायण तायल मोहनलाल आर्य ढोलक मास्टर पप्पू हारमोनियम मास्टर शंकर साउंड मास्टर मन्नू सिंघल रविंद्र हर्ष बंसल राकेश भारद्वाज अनमोल कुचल अंकित जिंदल ऋषभ कुछल वंश गोयल जयपाल सिंह कश्यप पवन जैन पारस वर्मा रोहित कश्यप पदम सैनी विकास जय देव आदि मौजूद रहे l
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