आवश्यकता आविष्कार की जननी है ऊर्जा के उपलब्ध स्त्रोत की कमी होने पर मानव ने सोलर एनर्जी की खोज की वर्तमान समय में हमारा भारतवर्ष विश्व में वैज्ञानिक तकनीकि के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता बनाये हुए है।

 


विद्यार्थी जीवन वैज्ञानिक तकनीक से हमारा मानसिक विकास होता है और तकनीकी क्षेत्र में छोटी-छोटी उपलब्धि उनके जीवन में आगे बढ़ने के लिए रास्ता बनाती है। विद्यार्थियों का आज देश के आने वाले कल के लिए बेहद् महत्वपूर्ण है, विद्यार्थियों को दिए जाने वाले ज्ञान पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए तथा समय-समय पर तकनीकी विकास कार्यशालाओं का आयोजन विद्यालय में किया जाना अत्यंत आवश्यक है।

उक्त विचार स्कूल निदेशक भारत संगल जी ने तीन दिवसीय कार्यशाला मे समापन पर व्यक्त किये। कार्यशाला में तृतीय दिन की तकनीकी फाउण्डेशन में इंडिया के इंजीनियर्स ने कक्षा 6वीं से कक्षा 8वीं के विद्यार्थियों को सोलर कुलर कैसे बनाया जाता है

उसको वर्किंग माॅडल को बना कर सिखाया। वर्किंग माॅडल के माध्यम से बच्चों ने जाना की प्रकृति में भरपूर मात्रा में उपलब्ध सूर्य की ऊर्जा को किस प्रकार सामान्य ऊर्जा में बदल कर दैनिक दिनचर्या में से बिजली को बचाया जा सकता है।

वर्कशाप समापन अवसर पर विज्ञान तकनीकी फाउण्डेशन ऑफ इण्डिया दिल्ली के प्रबंधक इंजीनियर श्री प्रमोद कुमार ने बच्चों को कार्यशाला व तकनीकी ज्ञान को शीघ्र सीखने की क्षमता की तारिफ करते हुए कहा कि विद्यार्थियों का तीनों दिन सहयोग मिला किसी विद्यार्थी को फिर भी कोई समस्या आये तो हम ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगे।

वर्कशाप में कुशाग्र मोहन, हरेन्द्र सिंह, आशा सेठ, निशा शर्मा आदि का सहयोग रहा। प्रधानाचार्या : सैंट. आर. सी. काॅन्वेंट स्कूल,शामली !!

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