आंदोलन को कमजोर करने के लिए किसानों को आपस में लड़ाने के बजाय इसके समाधान के प्रयासों पर जोर दे केंद्र सरकार -- उपेंद्र चौधरी

 


लगभग 10  महीने से चल रहे किसान आंदोलन को वापस लेने के लिए  12 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन समाधान कोई नहीं निकला या यूं कहिए कि सरकार ने निकालना नहीं चाहा, आंदोलन को कमजोर करने के बजाय समाधान खोजने के प्रयास जारी रखे जाते तो अब तक कोई न कोई समाधान निकल सकता था सुप्रीम कोर्ट के दखल का भी कोई सकारात्मक नतीजा नहीं दिखा! बिना किसान संगठनों की सहमति के सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति की रिपोर्ट आ जाने के बावजूद भी आज तक सार्वजनिक ने किया जाना भी है एक बड़ा सवाल अब किसान संगठनों ने 27 सितंबर को भारत बंद का एलान किया है!

किसानों को आतंकवादी और देशद्रोही कहने से आंदोलन को हवा मिल रही है! आए दिन आंदोलन को कमजोर करने के लिए नए-नए सरकार द्वारा रच्चे जा रहे षड्यंत्र एवं किसानों को आपस में बढ़ाने की  योजनाओं से मजबूत हुआ किसान आंदोलन । यदि किसानों को लेकर केंद्र सरकार लचीला रुख नहीं अपना आती है तो देश और सरकार दोनों के ही इतने नहीं होगा तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान संयुक्त मोर्चे को कमजोर करने के उद्देश्य से किसानों को आपस में लड़ाने का षड्यंत्र रचाना बंद करें केंद्र सरकार यह कथन कुंडू खास उत्तर प्रदेश के बाबा उपेंद्र चौधरी काहे उन्होंने एक प्रेस नोट में केंद्र सरकार को चेतावनी हुए बताया कि 26 सितंबर को मुजफ्फरनगर में भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर हो रही किसानों की पंचायत तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे

आंदोलन को कमजोर करने के उद्देश्य से रचा गया षड्यंत्र है क्या इससे आम दोनों को कमजोर करने का उद्देश्य नहीं किसानों को आपस में लड़ाने का भी उद्देश्य है वही खाप पंचायतों  में भी फूट डालने की योजना है लेकिन अब किसान इतना मूर्ख नहीं रहा कि वह सरकार की इन योजनाओं को ना समझे लेकिन फिर भी सरकार को चिंता ना चाहते हैं कि इस तरह के षड्यंत्र रचना बंद करें इससे माहौल खराब होता है और माहौल खराब होना नहीं सरकार के हित में होता है और ना ही देश के इसलिए एक बार फिर हमारा अनुरोध है कि केंद्र केंद्र सरकार तीनों काले कृषि कानूनों पर अपना लचीला रुख अपनाते हुए तीनों कानूनों को वापस लें अन्यथा यह सरकार और देश हित में नहीं होगा साथ ही साथ यह भी समझ से परे है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जब पीना किसान संगठनों की सहमति के समिति का गठन किया गया था और समिति की रिपोर्ट आज आने के बावजूद भी आज तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं तो उप समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया और न ही इस पर कोई निर्णय लिया

गया यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है और इतना ही नहीं यह सभी षड्यंत्र 27 सितंबर को आयोजित होने वाले इतिहासिक भारत बंद को  विफल।बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं उन्होंने अपने प्रेस नोट में किसी का नाम ना लेते हुए किसान मैं किसान संगठनों के नेताओं एवं खाप चौधरी एवं थाबेदारों से सचेत रहने की अपील करते हुए किसी भी तरह के सरकार के षड्यंत्र प्रलोभन एवं  दमनकारी नीति का हिस्सा न बनने की अपील की

साथ ही साथ अपना 100% योगदान संयुक्त किशान मोर्चा द्वारा संचालित इन काले कानूनों के विरुद्ध चलाए जा रहे आंदोलन जो कि सही मायने में असल नस्ल फसल के साथ-साथ भारत के प्रत्येक व्यक्ति के पेट की लड़ाई है जिसे सरकार ने केवल पहले किसानों तक सीमित कर दिया और अब जाट किसानों तक सीमित करने की योजना है इनकी सभी योजनाओं को नाकाम करने के लिए हम सब को एकजुट रहने की आवश्यकता है और हर कीमत पर आंदोलन को सफल बनाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है सभी से एकजुट रहते हुए सभी बॉर्डर पर चल रहे धरना प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने का आभार किया

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