जिला कार्यक्रम अधिकारी शामली के संरक्षण में आंगनवाड़ी भर्ती में बड़ा खेल


जहां पहले कार्य कर रही आंगनवाड़ी कार्यकत्री एवं सहायिकाओं के 2004 के आरक्षण को बदलकर अपनी सुविधा के अनुसार किया आरक्षण ,आरक्षण बदलने की क्यों हुई आवश्यकता इस बात का किसी के पास नहीं है जवाब , 2004 से आंगनवाड़ी एवं सहायिकाओं के केंद्र की रिपोर्ट 2004 के आरक्षण के  अनुसार 2021 तक जाती रही है क्या होगा उनकी पूर्व की पत्रावली का होगा क्या क्योंकि लखनऊ पूर्व के रिकॉर्ड में उनका आरक्षण कुछ और, वर्तमान में कुछ और ,वहीं अब मुख्य विकास अधिकारी शामली की आंख में धूल झोंकने का प्रयास बिना मेरिट लगाई है चयनित सूची सुपरवाइजर सीडीपीओ लिपिक सुपरवाइजर एवं चाही थी आंगनवाड़ी एवं दलालों के मोबाइलों में चयनित सूची भेज दी गई और आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों से चयन के नाम पर की जा रही अवैध उगाही ,चयन समिति बैठने के बाद आखिर क्यों नहीं लगाई गई मेरिट लिस्ट बड़ा सवाल , चयन समिति में एक बाल विकास परियोजना जिला कार्यक्रम अधिकारी शामली अर्थ व संख्याधिकारी शामली जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शामली उप आयुक्त स्वरोजगार शामली मुख्य विकास अधिकारी शामली है

जहां उत्तर प्रदेश के लगभग प्रत्येक जनपद में आंगनवाड़ी  सहायिका एवं मिनी आंगनवाड़ी के रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है वही जनपद शामली में चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है सीडीओ की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा चयनित सूची को चस्पा ने कर सीडीपीओ सुपरवाइजर लिपिक  चहेती आंगनवाड़ी एवं कुछ परिचित दलाल के रूप में उगाही करने में लगे हैं


इस भर्ती प्रक्रिया पर सबसे पहला और बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका उनकी केंद्रों का आरक्षण 2004 में ही कर लिया गया था और उसी आरक्षण के अनुसार उनका चयन किया गया था और उसी आरक्षण के क्रम में 2004 से 2021 तक उनकी सभी कार्यों की रिपोर्टिंग होती रही है अब ऐसी क्या आवश्यकता आन पड़ी थी कि रिक्त पदों पर एक पद का मतलब होता है जिन पर पहले से ही आरक्षण तय हो उनका आरक्षण पुन किया जाए विश्वसनीय सूत्रों का मानना है कि सुपरवाइजर द्वारा सेटिंग कर आरक्षण की सूचना जिला कार्यक्रम अधिकारी संतोष श्रीवास्तव को दी गई उसी सुविधा शुल्क आने के आश्वासन पर केंद्रों के आरक्षण चेंज किए गए नियमानुसार जिस आंगनवाड़ी केंद्र पर जिस आरक्षण की आंगनवाड़ी कार्यकत्री होती है उसी की सहायता होनी चाहिए लेकिन काफी संख्या में आंगनवाड़ी के थे और सहायिकाओं का जैन हो चुका था लेकिन अब आरक्षण होने से सभी


स्थिति गड़बड़ा गई है आंगनवाडी कार्यकत्री होने के बाद सुपरवाइजर के लिए लखनऊ जा चुकी है और उनका आरक्षण अलग है और वर्तमान में आरक्षण अलग हो गया है अब उनकी इस परिस्थिति में क्या कोई विभागीय अधिकारी मदद करेगा या वह पटल द पटल काटती रहेंगी चक्कर अधिकारियों को किसी की असुविधा की कुछ नहीं पड़ी है केवल अपनी उल्लू सीधा करने में और धन उगाही में लगे हैं अब ऐसा ही सामना वर्तमान में चल रहे भर्ती में भी देखने वाला ऑनलाइन भर्ती होने से इस बार उम्मीद थी कि सभी आंगनवाड़ी कार्यकत्री मिनी आंगनवाड़ी एवं सहायिका फ्री में होंगी भर्ती लेकिन इस बार भी जिला कार्यक्रम अधिकारी ने अलग ही तरीका निकाल लिया है चयनित वर्करों से पैसे उगाई का जहां मुख्य विकास अधिकारी शामली ने एड़ी चोटी का जोर लगाया की भर्ती पूर्णता पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार मुक्त हो वही इसमें भी जिला कार्यक्रम अधिकारी सीडीपीओ एवं जिले पर तैनात बाबू ने मिलकर भ्रष्टाचार का तरीका खोज निकाला उन्होंने चयन समिति द्वारा चयन करने के बावजूद भी सैनिकों की नहीं लगाई मेरिट क्योंकि उनके द्वारा मेरिट सूची को सभी परियोजनाओं पर अपने चहेतों के पास भेज दिया गया और चयनित


आंगनवाड़ी मिनी आंगनवाड़ी सहायिका उनसे संपर्क कर भर्ती कराने के नाम पर वसूली जा रही है रकम इस खेल में जिला कार्यक्रम अधिकारी की बड़ी भूमिका क्योंकि मेरिट गोपनीय रखना उन्हीं की जिम्मेदारी कम जिम्मेदार नहीं है बाल विकास परियोजना अधिकारी भी और रही बात चयन समिति में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की वह इस विभाग को बहुत बारीकी से जानती है क्योंकि पूर्व में भी बाल विकास परियोजना अधिकारी रह चुकी है उनकी भूमिका भी इस प्रकरण में संदिग्ध है ऐसे में देखना यह होगा कि क्या उच्च अधिकारी अब आरक्षण आरक्षण चेंज करने का प्रकरण हो या भर्ती के नाम पर बिना मैच लगाए चयनित ओर से वसूली जा रही मोटी रकम का प्रकरण क्या कोई अधिकारी जांच करेगा या करेगा दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई और जिन आंगनबाड़ियों केंद्रों का आरक्षण चेंज हुआ है उनके अभिलेखों को सही कराने की कौन लेगा जिम्मेदारी यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि संतोष श्रीवास्तव जिला कार्यक्रम अधिकारी शामली ने सभी अधिकारी अधिकारियों की आंख में धूल झोंकते हुए अपने मंसूबों में कामयाब होते नजर आ रहे हैं!

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