बढ़ रहे, नए पत्रकारों की भरमार से ,भ्रष्टाचार की समाज में बढ़ौतरी ,चौथा स्तंभ बना दागी : बी एस बेदी

 


कहते है कलम की वो ताकत है जिसे  न लतलवर काट सकती है न , कोई हथियार , कलम  से ही इंसान की  तकदीर और जनम ,मरण,परमात्मा अपनी पवित्र कलम से लिखता है , जिसे कोई मिटा नहीं सकता , इस लिए कलम की ताकत का अंदाजा लगाया  सकता है  यही जीवन की सच्चाई है , आज वही कलम इंसान के हाथ में आते ही बिक गई , जिसे, जनता की सच की आवाज बनना चाहिए वह झूठ की बुनियाद  लिखे जा रहा है , देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार और अपराधों  का मुख्य कारण  बढ़ते बेरोजगार में , सूचना प्रसारण द्वारा , भरमार मीडिया संस्थानों को आर एन आई रजिस्ट्रेशन  देना इसकी बढ़ रहे भ्रष्टाचार में अहम भूमिका है , जो पैसे लेकर बेरोजगार और 10 वी और 12 वीं पास युवाओं को एक प्रेस का आई कार्ड थमा कर पत्रकार बना देना ,हमें समझना होगा , जिस ने कभी पत्रकारिता की ए ,बी , सी डी नहीं पढ़ी वह संस्थान ने पत्रकार बना दिया  , जो एक , आई ए एस और आई पी  एस जैसे अधिकारियों  पर रौब गालिब करने के लिए काफी , जब इतने बड़े अधिकारियों को उसकी प्रेस का भय होता है तो निचले अधिकारियों से तो साहब सीधे दलाली का काम होगा जो भ्रष्टाचार  की दिनों दिन बढ़ोत्तरी में  हिस्सेदार होगा , ऐसे भेड़ चाल पत्रकारों ने आज ईमानदार पत्रकार भाइयों की छवि को भी धूमिल किया है जो , काले  कारनामें  करने वालों के चेहरे अपनी कलम से बे नकाब करते हैं  और सच और ईमान को जिंदा रखते , अगर देश में मीडिया वालों की गढ़ना की जाए  दस में से  7 पत्रकार बताने वाले निकलेंगे , हर किसी की कार बाइक पर प्रेस का स्टीकर लगा होगा , जिसे कोई   पुलिस वाला रोकने की  हिम्मत  नहीं जुटा सकता , चाहे वह कोई क्राइम क्यों  न कर के जा रहा हो , सरकारें भी बहुत  बड़ी भूल करती हैं जो  बिना सोचे समझे ताकत दिए जा रहीं है अपने स्वार्थों के लिए , सरकारों को चाहिए जिन समाचार  पत्रों या पत्रिकाओं को  प्रकाशित करने के लिए जो ओथार्टी दी है , क्या  वह पूरी हो रही है , या बेरोजगारों से धन लेकर प्रेस कार्ड जारी कर देश में भ्रष्टाचार को बढावा देने वाले पत्रकारों की फौज बनाई जा रही है , सरकार को ऐसे हर मीडिया संस्थानों की जिलाधिकारी द्वारा और एक विशेष टीम गठित करके  जांच कराई जाए कि  जिन समाचार पत्रों या पत्रिकाओं के संस्थान चल रहे हैं क्या उनकी समाचार  पत्रों की जिले में  कम से कम 2000  कॉपियां ,प्रकाशित की जा रही है या नहीं , इसी तरह पत्रिका , ,मासिक / त्रैमासिक है तो कितनी  पत्रिका छपी जा रही है , अगर दोनों में से कोई संस्थान नहीं निकाल रहा है तो उस प्रेस के पत्रकारों को मान्यता नहीं दी जाए , आमन्य माना जाए और संस्थान की मान्यता भी रद्द की जाए , , अगर सरकार यह कदम उठाती है तो देश व समाज हित में सराहनीय कदम होगा। 

जो भ्रष्टाचार को रोकने में अहम भूमिका निभाएगा , सरकार चौथा स्तंभ कहे जाने वाले    स्थंभ को मजबूत और बेदाग बनना चाहती है तो , देश में जिस तरह,आई टी आई , व इंजिनियर आदि काॅलेज है इसी तरह सरकार युवाओं के लिए  खोले और, पत्रकरिता को पढ़ाई के कोर्स में शामिल कर पत्रकारिता जगत में पारदर्शिता लाए , क्योंकि पत्रकारिता एक आयिना है जो समाज को गंदगी से बचाता स्वच्छ रखता है ,

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