आजादी के 70 साल बाद भी योजनाओं से महरुम है मजरा पठडा झोपडी व छप्परनुमा मकानों में जीवन गुजार रहे हैं मजरावासी न प्रधानमंत्री आवास योजना, न मनरेगा व मिल रहा वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ


शामली। देश को आजादी मिले 70 साल से अधिक का समय बीत चुका है, देश दिन रात विकास और तरक्की की राह पर अग्रसर है लेकिन कुछ परिवार ऐसे हैं जो आज भी विकास व सरकार की योजनाओं से पूरी तरह महरुम है। ये परिवार कच्चे व छप्परनुमा झोपडियां में अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं। उन्हें न प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल रहा है, न वृद्धावस्था पेंशन और न ही अच्छी सडक, सरकारी हैंडपंप न होने के कारण पानी के लिए भी तरसना पड रहा है। 

जानकारी के अनुसार भले ही देश को आजादी मिले 70 साल से अधिक का समय बीत चुका है। देश लगातार तरक्की और विकास के नये आयाम स्थापित कर रहा है लेकिन जिले में आज भी कुछ परिवार ऐसे हैं जो सरकार की लगभग सभी योजनाओं से महरुम है। गढीपुख्ता क्षेत्र के गांव जंधेडी का मजरा पठडा में निवासी करने वाले एक दर्जन से अधिक परिवार ऐसे हैं जो आज भी छप्परनुमा झोपडियों में रहने के लिए मजबूर हैं। झोपडी में जीवन गुजारने वाले रामपाल व उसकी पत्नी फूलकली का कहना है कि उनके पूर्वज करीब 200 साल पूर्व यहां आकर बस गए थे। उनके पास थोडी ही जमीन है जिस पर खेती कर वे अपना और परिवार का पालन पोषण करते हैं। देश को आजादी मिले भले ही 70 साल से अधिक का समय बीत चुका हो, लेकिन हम लोग आज तक आजाद नहीं हो पाए। झोपडी में रहकर जीवन गुजारना पड रहा है। गांव में करीब 15-16 परिवार रहते हैं लेकिन किसी भी परिवार को आज तक किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल पाया है। सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना चलायी गयी है लेकिन उन्हें आज तक इस योजना का लाभ नहीं मिला, वहीं प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना के तहत किसी का भी जाॅबकार्ड तक नहीं बन पाया है। मजरा में बच्चांे की शिक्षा के लिए न तो कोई प्राइमरी स्कूल है, न किसी की विधवा या वृद्धावस्था पेंशन बनी है। मजरे में रहने वाले युवाओं का कहना हर साल चुनाव के दौरान नेता आते जरूर हैं लेकिन जीतने के बाद कोई नहीं


आता, किसी जनप्रतिनिधि ने भी आज तक उनकी सुध नहीं ली है। गांव प्रधान भी मजरे में कभी नहीं आते, कहने को मजरे में एक सीसी सडक बनी हुई है लेकिन वह भी टूटी फूटी पडी है, इसे बनाने के भी कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इसके अलावा सुखबीर, रामकली, गोमती, भूरिया आदि ने बताया कि जो मजरे में रहने वाले कुछ लोगों ने किसी प्रकार मेहनत मजदूरी कर एक पक्का कमरा बना लिया है जिसमें पूरा परिवार रहता है। कमरे के आगे छप्पर डालकर किसी प्रकार जीवन गुजार रहे हैं। उन्होंने बताया कि हालांकि कुछ साल पूर्व उनके मजरे में बिजली आपूर्ति शुरू हो गयी थी लेकिन सरकारी हैंडपंप न होने के चलते पानी के लिए समस्या झेलनी पडती है। मजरे में रहने वाले परिवारों ने प्रशासन से गुहार लगायी है कि उन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाए ताकि उनका जीवन स्तर सुधर सके। इस संबंध में जब ग्राम प्रधान हरेन्द्र सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

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