सामुदायिक केंद्र ऊन में बच्ची को जन्म देकर 3_4 घंटे बाद चल बसी प्रसूता के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए परिजनों ने जिलाधिकारी महोदय से गुहार लगाई है। पीड़ित परिवार ने स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त लापरवाहियों के लिए जांच कर जिलाधिकारी से हस्तक्षेप करने की भी मांग की है

झिंझाना 9 जुलाई। ।
     ब्लॉक ऊन में स्थित गांव लव्वा दाउदपुर निवासी अंकित शर्मा ने 7 जुलाई को प्रातः कस्बा ऊन स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अपनी गर्भवती पत्नी मीनाक्षी शर्मा को प्रसव के लिए भर्ती कराया था। केंद्र पर संविदा कर्मी प्रतिभा की देखरेख में प्रसूता ने शाम लगभग 6:30 बजे सकुशल कन्या को जन्म दिया। सामान्य रूप से हुए प्रसव के बाद महिला को ब्लीडिंग जारी हो गई थी। हालत बिगड़ती देख रात्रि लगभग 9:00 बजे एंबुलेंस की व्यवस्था कराते हुए स्वास्थ्य कर्मियों ने शामली के लिए रेफर कर दिया। और अपना दामन छुड़ा लिया। जिस पर बेहोश प्रसूता मीनाक्षी ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया। जिस पर एंबुलेंस ने शामली चिकित्सालय से तसल्ली करवाते हुए परिजनों को रात्रि में 11:00 बजे उन स्वास्थ्य केंद्र पर लाकरछोड़ दिया। जिसके बाद किसी तरह वह रात्रि में  अपने घर पहुंचे।
     संयोग देखिए मीनाक्षी शर्मा ने अपने तीसरे बच्चे कन्या को जन्म दिया था। और वह भी भगवान को प्यारी हो गई। कहते हैं नसीब साथ नहीं छोड़ता। वेद प्रकाश शर्मा के बड़े बेटे अशोक शर्मा से मीनाक्षी की शादी हुई थी। जिससे, 2 बच्चों ने जन्म लिया था। परंतु भाग्य का खेल देखिए बीते वर्ष अशोक शर्मा रेल हादसे का ग्रास बन गए। जिनसे बच्चों से पिता का साया छिन गया था। परिजनों की सूझबूझ के चलते अशोक के छोटे भाई अंकित शर्मा ने बच्चों को पिता का प्यार एवं मीनाक्षी को पत्नी के रूप में स्वीकार करते हुए शादी की। जिससे मीनाक्षी अब गर्भवती हो गई थी।  अंकित शर्मा को पहला बच्चा और मीनाक्षी के लिए तीसरे बच्चे का जन्म सफल तो हो गया परंतु प्रभु की लीला देखिए अब नवजात कन्या का मातृत्व भी प्रकृति ने छीन लिया। उसके बाद सरकारी तंत्र अब इस मृतका को मृत्यु प्रमाण पत्र भी देने से कतरा रहा है।
   विडंबना है कि शासन-प्रशासन द्वारा जारी सुविधाओं के बावजूद सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार को बड़ी सफाई के साथ उच्चाधिकारियों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है। सामान्य डिलीवरी के बावजूद परिजनों को स्वास्थ्य कर्मियों को नजराना भी देना पड़ा। और बाद में हालत बिगड़ने पर स्वास्थ्य विभाग इसे अपनी जिम्मेदारी भी नहीं मान रहा है। और रात्रि में एंबुलेंस द्वारा डेड बॉडी को स्वास्थ्य केंद्र पर ही छोड़ देना यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। जो मानवता को झकझोर रहा है। बरहाल पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी महोदय को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई है।

प्रेम चन्द वर्मा

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