सरकारी गौशाला को बंद कर छोड़े गए आवारा घूमते गोवंशो के झुंड से किसान परेशान

झिंझाना 14 मई। महीनों से बंद पड़ी गौशाला के आवारा घूमते गोवंशो के झुंड से क्षेत्रीय किसान परेशान है। गौवंश की दुर्दशा मुख्यमंत्री के गोवंश पालन के सपने को चकनाचूर कर रही है।

गौरतलब हो कि क्षेत्रीय गांव बीबीपुर जलालाबाद में पूर्व जिलाधिकारी अखिलेश सिंह के निर्देशन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर जनपद शामली में करनाल हाईवे पर बीते वर्ष 2018 में गांव पटनी परतापुर  के निकट सरकारी गौशाला का निर्माण कराया गया था। यह गौशाला गांव  बीबीपुर  जलालाबाद की  चरागाह  भूमि पर  निर्मित कराई गई थी। जिसमें लगभग 60 - 70 तक गोवंश थे। गांव प्रधान श्याम सिंह एवं सचिव की देखरेख में

संचालित इस गौशाला के लिए ₹30 प्रति गोवंश के हिसाब से शासन द्वारा गोवंश पालन हेतु राशि भी मिल रही थी। सरकार द्वारा बेजुबान गोवंशो के लिए शुरू की गई इस योजना से गोवंश का सम्मान बढ़ गया था। परंतु सरकार की यह योजना इसी कार्यकाल में प्रशासन की उदासीनता के चलते दम तोड़ती नजर आ रही है।
गौशाला के संचालक गांव प्रधान के अनुसार  गोवंश किसानों के सुपुर्द कर दिया जाने से गौशाला में गोवंश नहीं रहे थे। जिस कारण इसे बंद कर दिया गया था।
 सूत्रों की माने तो ₹30 प्रति पशु के हिसाब से गौशाला का संचालन घाटे का सौदा बन रहा था। जिस कारण पशुओं को कागजी पूर्ति कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जो आज किसानों के लिए ज्वलंत समस्या बन रहा है। गांव प्रधान एवं सचिव ने गोवंशो को बाहर का रास्ता दिखाते हुए गौशाला बंद कर दी है। जबकि चरागाह भूमि पर निर्मित सरकारी गौशाला की टीन शैड़ आज भी मौजूद है। सूत्रों की माने तो ₹30 प्रति गोवंश से गौशाला का संचालन घाटे का सौदा हो रहा था। जिसके चलते गौशाला का संचालन नहीं हो सका।जिसे बंद कर दिया गया।


सरकार की महत्वपूर्ण योजना इसी कार्यकाल में दम तोड़ जाएंगी, यह बात विपक्ष को मुद्दा देने के लिए काफी है।
 गौशाला बंद होने से क्षेत्र में आवारा घूमते गोवंशो के झुंड से क्षेत्रीय किसानों की नाक में दम आ रहा हैं। किसान चंद्रभान , मनोज  मित्तल , रवि मित्तल , नरेंद्र चौधरी का कहना है कि मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण योजना अधिकारियों की उदासीनता के चलते इसी कार्यकाल में न्यू दम तोड़ जाएगी इसकी तो कल्पना भी नहीं हो सकती। तमाम क्षेत्रीय भाजपा नेता भी इस बात को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं। और किसान अपने खेतों पर खड़ी फसलों को बचाने के लिए मजबूर हो गए है। कुछ किसानों द्वारा आशंका जताई जा रही है कि लगातार घूमते इन गोवंशो की संख्या भी घटती जा रही है। संभवतया गौवंश को चुराकर कटान करने वाले सक्रिय हो रहे हैं।
प्रेम चन्द वर्मा

No comments:

Post a Comment